उज्जैन, अग्निपथ। सावन माह शुरू होने से पहले उज्जैन में धार्मिक संगठनों की मांग प्रशासन से है कि महाकाल मंदिर जाने वाले रास्तों पर स्थित सभी होटलों और रेस्तरां के बाहर मालिक का नाम साफ-साफ लिखा जाए। गौरतलब है कि उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर क्षेत्र में करीब 600 होटल और रेस्तरां हैं, जिनमें से 200 से अधिक मुस्लिम समुदाय द्वारा संचालित किए जाते हैं।
धार्मिक संगठनों की आपत्ति
धार्मिक संगठनों का कहना है कि कई होटलों के संचालक मुस्लिम हैं, लेकिन उनके नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे गए हैं। ऐसे में, सावन जैसे पवित्र महीने में जब लाखों श्रद्धालु उज्जैन आते हैं, तो उन्हें यह पता नहीं चल पाता कि वे किस दुकान में खाना खा रहे हैं। कई बार नॉनवेज खाना परोस दिया जाता है, जिससे विवाद की स्थिति बनती है और श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होती हैं।
सावन माह की तैयारियां और श्रद्धालुओं की अपेक्षाएं
इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी लाखों भक्त कांवड़ लेकर महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए उज्जैन आएंगे। अधिकतर भक्त इंदौर रोड से उज्जैन में प्रवेश करते हैं और बेगमबाग जैसे इलाकों से होकर मंदिर पहुंचते हैं। इन रास्तों पर बड़ी संख्या में होटल और रेस्तरां स्थित हैं।
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के पदाधिकारी महेश पुजारी ने कहा कि कई बार श्रद्धालु बिना जानकारी के किसी भी होटल में खाना खा लेते हैं। यदि वहां नॉनवेज परोसा गया तो बाद में विवाद हो सकता है। इसलिए हर होटल या ढाबे पर मालिक का नाम नेम प्लेट पर लिखा जाना चाहिए ताकि कोई भ्रम न रहे।
पारदर्शिता और आस्था का सवाल
हिंदूवादी नेता रितेश माहेश्वरी ने कहा कि मंदिर क्षेत्र में करीब 600 होटल और रेस्तरां हैं, जिनमें से 200 से अधिक मुस्लिम समुदाय संचालित करते हैं। लेकिन उनकी दुकानों के नाम ऐसे हैं कि लगता है कोई हिंदू संचालक है। कई बार भक्तों को खाना खाते समय हड्डी या नॉनवेज मिलने की शिकायतें आई हैं। इसलिए सभी दुकानों पर मालिक का नाम लिखा जाना जरूरी है।
महामंडलेश्वर ज्ञान दास महाराज ने कहा कि सावन में हजारों भक्त उज्जैन पहुंचते हैं और रास्ते में कई जगह फलाहार या भोजन करते हैं। कई बार उन्हें यह नहीं पता होता कि दुकान किसकी है और वहां क्या परोसा जा रहा है। इसलिए हमारी मांग है कि हर होटल-रेस्तरां पर मालिक का नाम लिखा हो, ताकि कोई विवाद न हो और भक्तों की आस्था बनी रहे।