धार, अग्निपथ। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के सहकारिता मंत्रालय के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में गुजरात के आणंद में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान उन्होंने अमूल और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के कई विकास कार्यों का शुभारंभ किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर देशभर से आईं सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाएं और सदस्यों ने केंद्रीय मंत्री से सीधा संवाद किया।
इस मंच पर धार जिले ने अपनी छाप छोड़ी। धार से CCB बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के.के. रायकवार और अंकित परमार ने मध्य प्रदेश के समस्त प्रतिभागियों को ले जाने की जिम्मेदारी संभाली थी। इस संवाद में धार से रुचिका परमार, ज्योति चौहान, पवन पाटीदार, तनिष्का रायकवार सहित कई अन्य लोग शामिल हुए।
धार की रुचिका परमार: 2508 सदस्य और 15 करोड़ रुपये का टर्नओवर
धार जिले की नौगांव पैक्स की प्रबंधक रुचिका परमार ने केंद्रीय मंत्री को अपनी संस्था की सफलता की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था में 2,508 सदस्य हैं और वे सालाना लगभग 15 करोड़ रुपये का नकद और खाद वितरण करती हैं। उनकी पैक्स अभी खाद वितरण, समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का काम कर रही है। रुचिका ने यह भी बताया कि उनकी संस्था के पास एक एकड़ अनुपयोगी जमीन है, जिस पर मैरिज गार्डन खोलने का प्रस्ताव रखा गया है।
इस पर अमित शाह ने तुरंत पूछा, “जमीन कितनी है?” रुचिका ने जवाब दिया, “एक एकड़।” शाह ने कहा, “जिला सहकारी बैंक से पूरी जानकारी लेकर आइए, हम जरूर ऋण दिलवाएंगे।” उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को अपनी आय बढ़ाने के लिए नई गतिविधियां अपनानी होंगी। जैसे, हर घर नल योजना का रखरखाव, सीएससी सेंटर, डेयरी, माइक्रो एटीएम, बैंक मित्र जैसे कई विकल्प मौजूद हैं।
शाह ने रुचिका से खाद के हिस्से के बारे में भी पूछा। रुचिका ने बताया कि यह लगभग तीन करोड़ रुपये है। शाह ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “आप बहुत अच्छा व्यापार कर रही हैं। यही पैक्स की समृद्धि की सही दिशा है।”
ड्रिप सिंचाई से सुदामा अछालिया का 85% बढ़ा मुनाफा
धार जिले के नालछा की किसान सुदामा अछालिया ने भी संवाद में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि पहले खेती में ज्यादा मुनाफा नहीं था, लेकिन अब वे मल्चिंग और ड्रिप जैसी आधुनिक तकनीकों से टमाटर, मक्का और सोयाबीन की खेती कर रही हैं। उन्हें संस्था से बिना ब्याज के ऋण भी मिलता है।
शाह ने पूछा, “मुनाफा कितना बढ़ा?” सुदामा ने गर्व से जवाब दिया, “25% से बढ़कर 75% हो गया है।” शाह ने उन्हें सलाह दी कि मंडी में भेजने की बजाय भारत सरकार के ऐप पर पंजीकरण कराएं, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम मिलने पर वे बाजार में बेच सकें और कम दाम होने पर सरकार खरीद लेगी।
सुदामा ने एक सुझाव भी दिया कि मक्का लगाने की जो नई हाथ से चलने वाली मशीन है, वह यदि सोसाइटी में सब्सिडी पर मिले तो किसानों को बहुत फायदा होगा। अमित शाह ने इस पर तुरंत जवाब दिया, “हमने एक नई योजना शुरू की है, जिसमें पैक्स मशीनें लेकर किराए पर किसानों को दे सकती हैं। आप अपनी पैक्स का नाम भेजिए।”
अंत में, अमित शाह ने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि पैक्स को केवल खाद वितरण तक सीमित न रखें। उन्होंने पैक्स को अपनी खाली जमीन का उपयोग करने, मशीनें किराए पर देने, जनऔषधि केंद्र खोलने और नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि गांव आत्मनिर्भर बनें और समितियां खुद लाभ में रहें।
यह कार्यक्रम दर्शाता है कि सहकारिता आंदोलन देश के ग्रामीण विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। क्या आपके क्षेत्र में भी ऐसी कोई सहकारी समिति है जो किसानों और स्थानीय समुदायों को सशक्त कर रही है?