धार, अग्निपथ. बेटियों के जन्म को लेकर समाज में फैली भ्रांतियाँ अब ख़त्म हो रही हैं और लोगों की सोच में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। एक समय था जब लोग बेटियों को बोझ समझकर माँ की कोख में ही (भ्रूण हत्या) मारने का पाप अपने सिर लेते थे। वहीं, अब स्थिति में तेज़ी से सुधार हो रहा है। आदिवासी बाहुल्य धार ज़िले में कम शिक्षा के बावजूद लड़कों के मुक़ाबले बेटियाँ अधिक जन्म ले रही हैं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। जहाँ एक ओर देश में लिंगानुपात प्रति एक हज़ार पुरुषों के मुक़ाबले 933 रह गया है, वहीं धार ज़िले में प्रति एक हज़ार लड़कों की तुलना में 1056 बेटियाँ जन्म ले रही हैं।
यह चौंकाने वाला ख़ुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की 2019-21 की रिपोर्ट में हुआ है। वर्ष 2015-16 में यह प्रतिशत एक हज़ार पुरुषों की तुलना में 992 था, जो अब और बेहतर हुआ है। वर्ष 2025-26 का सर्वे अभी चल रहा है, जिससे उम्मीद है कि यह स्थिति और सुधरेगी।
अशिक्षा के बावजूद बेटियों का बढ़ा सम्मान
धार ज़िले की क़रीब 80% आबादी जनजाति व आदिवासी समुदाय की है। इनमें कई लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसके बावजूद बेटियों को लेकर उनकी सोच विकसित है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रूण हत्या जैसा पाप लगभग नहीं होता। जबकि शहरी क्षेत्रों में शिक्षित होने के बावजूद कुछ लोग अब भी बेटियों को जन्म देने में संकोच करते हैं।
चार विधानसभा सीटों पर महिला वोटर्स की संख्या ज़्यादा
पिछले लोकसभा चुनाव में निर्वाचन विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, ज़िले की सात में से चार विधानसभा सीटों पर महिला वोटरों की संख्या पुरुषों से अधिक पाई गई। सरदारपुर, कुक्षी, मनावर और बदनावर विधानसभा में वयस्क महिलाएँ पुरुषों के मुक़ाबले ज़्यादा हैं। राजनीति की बात करें तो ज़िले से केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर और विधायक नीना वर्मा देश और प्रदेश में धार की महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
30 लाख के पार हो सकती है ज़िले की आबादी, आधी होगी महिलाओं की संख्या
महिलाओं की जनगणना को सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, तब ज़िले की आबादी 21 लाख 85 हज़ार थी, जो बढ़कर 30 लाख के पार पहुँच सकती है। हालाँकि, आधिकारिक आँकड़े गिनती के बाद ही सामने आएँगे। इस बढ़ी हुई आबादी में आधी संख्या यानी महिलाओं की संख्या 12 से 14 लाख के बीच हो सकती है।
सुविधाएँ बढ़ाना भी ज़रूरी: वर्तमान में आ रही ये परेशानियाँ
- शिक्षा: लड़कों की तुलना में बेटियों को अच्छी शिक्षा देने में हम अभी भी पीछे हैं। बेटों की तरह बेटियों को भी अच्छी शिक्षा के अवसर मिलने चाहिए।
- स्वास्थ्य: शारीरिक रूप से बालिकाओं और महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। उसके हिसाब से ज़िले में मेडिकल सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं।
- रोज़गार: शासकीय नौकरी और राजनीति में महिलाओं को आरक्षण है। प्राइवेट सेक्टर में भी ऐसी व्यवस्थाएँ कर लड़कियों को रोज़गार के अवसर दिए जा सकते हैं।
“स्थिति में सुधार हुआ है”
धार के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. आरके शिंदे ने बताया, “ज़िले में लिंगभेद में कमी आई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पिछली रिपोर्ट में ज़िले में प्रति एक हज़ार लड़कों की तुलना में 1056 लड़कियों का जन्म हुआ है। अभी सर्वे चल रहा है, जिसके आँकड़े आना बाक़ी हैं। उम्मीद है कि स्थिति में और सुधार होगा।”