महाकालेश्वर मंदिर के देवघर में बारिश से टपक रहा पानी

महाकालेश्वर मंदिर के देवघर में बारिश से टपक रहा पानी

भोग कक्ष की स्वच्छता पर भी उठे सवाल

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन स्थित भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर में एक बड़ी समस्या सामने आई है। मंदिर के नए फैसिलिटी सेंटर के नीचे बने देवघर में, जहाँ भगवान महाकाल के लिए नैवेद्य (भोग) तैयार किया जाता है, बारिश के दौरान पानी टपकने लगा है। यह नव-निर्मित भवन, जो ‘शिखर दर्शन योजना’ के तहत बनाया गया है और जिसका लोकार्पण दो साल पहले हुआ था, अब रखरखाव की कमी के कारण श्रद्धालुओं और कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस समस्या से नैवेद्य कक्ष की स्वच्छता और हाइजीन पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

महाकालेश्वर देवघर में सीलन और जल रिसाव: एक गंभीर समस्या

श्री महाकालेश्वर मंदिर का देवघर, जहाँ भगवान की प्रतिमाएँ स्थापित हैं और प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है, अब सीलन और पानी के रिसाव से प्रभावित है। इस स्थान पर भगवान गणेश, भगवान लक्ष्मीनारायण, भोलेनाथ (चंद्रमौलेश्वर), श्री राधाकृष्ण और लड्डू गोपाल विराजित हैं। बारिश के दिनों में मामूली फुहार भी इस देवघर में पानी टपकने का कारण बन जाती है, जिससे अंदर का माहौल सीलनभरा और असहज हो जाता है।

मंदिर के कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार मंदिर समिति के जिम्मेदार अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया है, लेकिन अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है। यह स्थिति मंदिर की पवित्रता और व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है।

नैवेद्य कक्ष की स्वच्छता खतरे में

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि इसी देवघर में भगवान महाकाल के लिए नैवेद्य तैयार किया जाता है। नैवेद्य कक्ष का वातावरण साफ-सुथरा और हाइजीनिक होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे भगवान के प्रसाद से संबंधित है। हालांकि, पानी टपकने और सीलन के कारण नैवेद्य कक्ष का माहौल प्रदूषित हो रहा है, जिससे प्रसाद की शुद्धता और हाइजीन पर सीधा असर पड़ रहा है। यह एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है।

शिखर दर्शन योजना भवन में निर्माण संबंधी खामियाँ

‘शिखर दर्शन योजना’ के तहत निर्मित यह भवन, जिसका निचला तल (फैसिलिटी सेंटर) श्री महाकाल मंदिर के कोटितीर्थ कुंड की ओर है और जिसकी छत पर शिखर दर्शन के लिए एक बड़ा खुला हिस्सा है, करीब दो साल पहले लोकार्पित किया गया था और लगभग एक साल से उपयोग में लाया जा रहा है। इतनी कम अवधि में ही इस नव-निर्मित भवन के निचले हिस्से में जगह-जगह से पानी टपकना शुरू हो गया है।

हालांकि, अभी निचले हिस्से का उपयोग मुख्य रूप से पंडित-पुजारी अपने यजमानों से विभिन्न प्रकार की पूजा करवाने के लिए कर रहे हैं, जिससे उन्हें पानी टपकने के कारण विशेष परेशानी नहीं हो रही है। लेकिन नैवेद्य कक्ष में पानी टपकने से गंभीर असुविधा हो रही है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

शीघ्र समाधान की अपेक्षा

इस गंभीर समस्या पर मंदिर समिति और संबंधित अधिकारियों को तुरंत ध्यान देना चाहिए। भगवान महाकाल का यह पवित्र स्थान, जहाँ लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर आते हैं, सर्वोच्च स्तर की स्वच्छता और रखरखाव का हकदार है। नैवेद्य कक्ष की पवित्रता बनाए रखने और भक्तों की आस्था को अक्षुण्ण रखने के लिए इस जल रिसाव की समस्या का शीघ्र समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। यह केवल एक निर्माण संबंधी समस्या नहीं, बल्कि धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी मामला भी है, जिस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

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