उज्जैन, अग्निपथ. श्रावण मास का प्रथम सोमवार उल्लास और भक्ति के रंग में सराबोर हो गया। आज महाकाल की प्रथम सवारी में भगवान मनमहेश स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले। बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने और उन्हें दर्शन देने के लिए पालकी में विराजमान होकर शहर की सड़कों पर निकले, जिसका हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान पूरा उज्जैन शिवमय हो गया और हर तरफ ‘जय महाकाल’ के जयघोष गूंजते रहे।
पूजन-अर्चन और आरती के बाद निकली महाकाल की प्रथम सवारी
सवारी के निकलने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभा मंडप में भगवान श्री महाकालेश्वर का षोडशोपचार पूजन-अर्चन और आरती शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने करवाई। इस पवित्र अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। प्रभारी मंत्री डॉ. गौतम टेटवाल, मध्य प्रदेश शासन के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और श्रम विभाग मंत्री प्रहलाद पटेल, और राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में शामिल हुए।
इस अवसर पर विधायक सतीश मालवीय, महेश परमार, जितेंद्र पंड्या, निगम सभापति कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता सहित अन्य अधिकारियों ने भी सभा मंडप में भगवान श्री मनमहेश का पूजन किया। यह क्षण भक्तों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की आस्था और समन्वय को दर्शाता है।
सशस्त्र पुलिस बल ने दी गार्ड ऑफ ऑनर, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
पूजनोपरांत अवंतिकानाथ भगवान श्री मनमहेश के स्वरूप में पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। जैसे ही महाकाल की प्रथम सवारी महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। यह सम्मान बाबा महाकाल के प्रति गहरी आस्था और परंपरा का प्रतीक है।
सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने पालकी में विराजित श्री मनमहेश भगवान के भक्तिभाव से दर्शन लाभ लिए। सड़क के किनारे खड़े भक्त अपने आराध्य की एक झलक पाने को आतुर दिखे और बाबा के ऊपर पुष्पवर्षा करते हुए उनका अभिनंदन किया।
गार्ड ऑफ ऑनर के बाद सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से शुरू होकर गुदरी चौराहा, बख्शी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची। यहां भगवान महाकालेश्वर श्री मनमहेश के स्वरूप में अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए मां क्षिप्रा के तट पर पहुंचे। रामघाट पर भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन और जलाभिषेक पुजारी आशीष गुरु ने करवाया।
प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल और जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भी यहां भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती की। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और सावन के महीने में इसका विशेष महत्व होता है।
जनजातीय कलाकारों ने सवारी में दी मनमोहक प्रस्तुति
सांस्कृतिक विविधता और परंपरा का अद्भुत संगम भी महाकाल की प्रथम सवारी में देखने को मिला। संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद और त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों के दल ने सहभागिता की।
चार जनजातीय दलों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति देकर भगवान महाकाल की प्रथम सवारी में पालकी के आगे प्रस्तुति देते हुए सम्मिलित हुए। इन कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य शैलियों से सवारी में चार चांद लगा दिए, जिससे यह और भी आकर्षक और जीवंत हो उठी।
उत्साह से शामिल हुए भक्तजन और भजन मंडलियां
सवारी मार्ग पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल पर पुष्पवर्षा कर दर्शन लाभ लिए। सवारी मार्ग पर चारों ओर दर्शन के लिए भारी संख्या में जन-समूह उपस्थित रहा। भजन मंडलियों में सैकड़ों महिलाओं ने शिव स्तुतियां की और ‘जय महाकाल’ का उद्घोष करती रहीं। सवारी में सम्मिलित भजन मंडलियां उत्साहपूर्वक डमरू और मंजीरे बजाते हुए सवारी में आगे-आगे चले।
विशाल ध्वज के साथ बाबा महाकाल की प्रथम सवारी निकाली गई, जिससे पूरे शहर में एक अद्भुत भक्तिमय माहौल बन गया। शाम 6 बजे तक सवारी गोपाल मंदिर तक पहुंच चुकी थी। भक्तों का उत्साह और ऊर्जा देखने लायक थी, जो यह दर्शाती है कि भगवान महाकाल के प्रति उनकी आस्था कितनी गहरी है।
20 किलो चांदी से बनी है भगवान महाकाल की नई पालकी
इस वर्ष बाबा महाकाल की प्रथम सवारी एक नई और भव्य पालकी में निकली। भगवान महाकाल की यह नई पालकी एक वर्ष पहले भिलाई के एक भक्त ने गुप्त दान में दी थी। इस पालकी को सागौन की लकड़ी और स्टील के पाइप का उपयोग करके बनाया गया है। इस पर करीब 20 किलो 800 ग्राम चांदी का आवरण चढ़ा हुआ है, जो इसे और भी दिव्य रूप प्रदान करता है।
100 किलो वजनी इस पालकी की लंबाई 17 फीट है। यह तीन फीट चौड़ी और पांच फीट लंबी है। पालकी को उठाने वाले हत्थे पर सिंह मुख की आकृति बनाई गई है, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाती है। चांदी के आवरण पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और दो शेरों की नक्काशी की गई है, जो इसे कलात्मक रूप से बेहद सुंदर बनाती है। कहार हेमराज और प्रशांत चंदेरी ने बताया कि नई पालकी पुरानी पालकी की तरह ही आरामदायक और भव्य है, जिससे बाबा की सवारी को और अधिक गरिमा मिलती है। यह नई पालकी भक्तों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन गई है, जो इसके दर्शन कर आनंदित हो रहे हैं।