सावन के पहले रविवार को महाकाल मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

महाकाल मंदिर में सावन के पहले रविवार

करोड़ों के निवेश से बनी नई व्यवस्थाओं ने भक्तों को दी राहत

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध श्री महाकाल मंदिर में सावन माह के पहले रविवार को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए कतार में लगे नजर आए। इस दिन छुट्टी होने के कारण उम्मीद से ज्यादा भीड़ रही, जिसने मंदिर प्रशासन द्वारा की गई नई और बेहतर व्यवस्थाओं की परीक्षा ली। अनुमान के अनुसार, रविवार को करीब दो लाख से अधिक भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए, जो सावन के शुरुआती तीन दिनों में सबसे अधिक संख्या है।

सावन का पवित्र माह 11 जुलाई से शुरू हुआ, और पहले दिन यानी शुक्रवार को 1.26 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। शनिवार, 12 जुलाई को यह आंकड़ा थोड़ा बढ़कर 1.29 लाख तक पहुंचा। लेकिन रविवार को साप्ताहिक अवकाश होने से महाकाल मंदिर में भक्तों की संख्या में अचानक भारी उछाल आया और यह दो लाख के पार पहुंच गया। महाकाल मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने इस बात की पुष्टि की कि रविवार को भक्तों की भीड़ अप्रत्याशित रूप से अधिक थी, लेकिन नई व्यवस्थाओं के कारण दर्शन सुगम रहे। मंदिर प्रशासन को पहले से ही इस बात की उम्मीद थी, जिसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

सुगम दर्शन के लिए बदली हुई व्यवस्थाएं बनीं मददगार

इस साल सावन में भक्तों को सुगम दर्शन करवाने के लिए मंदिर समिति ने कई बदलाव किए हैं। रविवार को भारी भीड़ को देखते हुए आम दर्शनार्थियों के लिए कार्तिक मंडप और गणेश मंडप में अलग-अलग लाइनें चलाई गईं, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और दर्शनार्थियों को ज्यादा देर तक कतार में न रहना पड़े।

आम दर्शनार्थियों का प्रवेश मानसरोवर से हो रहा था, जहां से न्यू फैसिलिटी सेंटर तक पहुंचने के बाद लाइन को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया। यह व्यवस्था भीड़ प्रबंधन में काफी कारगर साबित हुई और भक्तों को कम समय में दर्शन करने का मौका मिला।

वहीं, महाकाल मंदिर में नए कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ ने भी श्रद्धालुओं के लिए सुविधा बढ़ा दी है। कॉरिडोर के बनने से भक्तों को सीधे मंदिर तक पहुंचने में आसानी हो रही है। परिसर में साफ-सफाई और सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस बल और स्वयंसेवकों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई है, जो भक्तों की मदद कर रहे हैं और भीड़ को नियंत्रित रखने का काम कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन का कहना है कि उनकी प्राथमिकता यही है कि हर भक्त बिना किसी परेशानी के भगवान महाकाल के दर्शन कर पाए।

महाकाल मंदिर में तीन दिनों में 12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने की भस्मारती

महाकाल मंदिर में सावन माह में भस्मारती का महत्व और भी बढ़ जाता है। बीते तीन दिनों में करीब 12 हजार से अधिक श्रद्धालु, जिनके पास अनुमति पास थे, उन्होंने महाकाल मंदिर में भस्मारती में शामिल होकर भगवान महाकाल के अलौकिक दर्शन का लाभ उठाया। भस्मारती को भगवान शिव की विशेष पूजा और श्रृंगार माना जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से भक्त उज्जैन पहुंचते हैं।

इस साल मंदिर प्रशासन ने भस्मारती के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा को और भी बेहतर किया है, जिससे श्रद्धालुओं को पहले से ही अपनी यात्रा की योजना बनाने में मदद मिल रही है। 30 दिनों तक चलने वाले इस सावन माह में करीब 80 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के महाकाल के दर्शन करने का अनुमान है, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड होगा।

सावन के पहले सोमवार पर महाकाल का विशेष श्रृंगार और दर्शन

सावन माह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन का विशेष महत्व होता है। सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को है, जिसके लिए मंदिर में विशेष तैयारियां की गई हैं। सोमवार को भक्तों की संख्या और भी अधिक होने की उम्मीद है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंदिर के पट तड़के 2:30 बजे ही खोल दिए जाएंगे।

महाकाल मंदिर में सबसे पहले भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक और पूजन किया जाएगा, जिसके बाद सुबह की भस्मारती से दर्शनों का सिलसिला शुरू होगा। यह सिलसिला रात 10:30 बजे तक बिना किसी रुकावट के लगातार जारी रहेगा। इस दौरान श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। वे केवल गणेश मंडप और कार्तिक मंडप से ही भगवान के दर्शन कर पाएंगे। सुरक्षा के लिहाज से मंदिर परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और बैरिकेडिंग को और मजबूत किया गया है।

महाकाल मंदिर में भक्तों का यह सैलाब न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि उज्जैन की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। सावन के महीने में शहर के होटल, धर्मशालाएं, और व्यापारिक प्रतिष्ठान भक्तों की आवाजाही से गुलजार रहते हैं। मंदिर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन दोनों मिलकर इस विशाल भीड़ को संभाल रहे हैं, ताकि हर भक्त महाकाल के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य कर सके।

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