उज्जैन, अग्निपथ। धर्म नगरी उज्जैन को जल्द ही एक और बड़ी सौगात मिलने जा रही है। शहर में रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक 1.8 किलोमीटर लंबा आधुनिक रोपवे बनाया जा रहा है, जो लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक सुगम और रोमांचक यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा यह प्रोजेक्ट शहर के बुनियादी ढांचे को एक नया आयाम देगा और परिवहन व्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाएगा।
दुनिया की सबसे प्रमुख रोपवे निर्माता कंपनी Doppelmayr इस परियोजना के लिए अपनी अत्याधुनिक तकनीक और डिज़ाइन प्रदान कर रही है। कंपनी के एमडी और सीईओ प्रफुल्ल चौधरी के अनुसार, उज्जैन में यह रोपवे साल 2026 के अंत तक शुरू हो जाएगा। यह परियोजना न केवल यातायात को सुगम बनाएगी बल्कि उज्जैन के पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
इस रोपवे के निर्माण का कार्य MSIEL (MSI Engineering Pvt. Ltd.) द्वारा किया जा रहा है, जबकि नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLM) इसकी कंसल्टिंग एजेंसी है। Doppelmayr इस रोपवे के लिए OEM टेक्नोलॉजी सप्लायर के रूप में काम कर रही है, जो यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना में उच्चतम गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए।
आधुनिक तकनीक और रोमांचक यात्रा का संगम
यह रोपवे 1.8 किलोमीटर के मार्ग पर चलेगा, जिसमें कुल तीन स्टेशन बनाए जाएंगे। पहला स्टेशन रेलवे स्टेशन के पास होगा, दूसरा स्टेशन बीच में और तीसरा स्टेशन सीधे महाकाल मंदिर के पास। यह तीन स्टेशन श्रद्धालुओं को बिना किसी ट्रैफिक जाम और परेशानी के सीधे मंदिर तक पहुंचाएंगे।
इस पूरे मार्ग पर कुल 55 गोंडोले (केबिन) संचालित होंगे। प्रत्येक गोंडोला अपने गंतव्य तक पहुंचने में केवल 5 से 7 मिनट का समय लेगा, जो समय की बचत के साथ-साथ एक अद्भुत अनुभव भी देगा। यह रोपवे प्रतिदिन 16 घंटे तक संचालित होगा, जिससे बड़ी संख्या में यात्रियों को सेवा दी जा सकेगी।
रोपवे के प्रत्येक केबिन की बैठक क्षमता लगभग 10 व्यक्तियों की होगी और ट्रैवल टाइम लगभग 7 मिनट होगा। रोपवे में मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। इंटीग्रेटेड रेस्क्यू सिस्टम और वर्टिकल रेस्क्यू सिस्टम रोपवे में रहेंगे। रोपवे की क्षमता लगभग 2000 यात्री प्रति दिशा प्रति घंटा होगी।
यह परियोजना सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं है, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो भक्तों को उज्जैन की सुंदरता का विहंगम दृश्य दिखाएगा। गोंडोलों में बैठकर यात्री शहर, क्षिप्रा नदी और महाकाल लोक की भव्यता को ऊपर से देख सकेंगे।
यह सुविधा उन बुजुर्गों, दिव्यांगों और बच्चों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित होगी, जिन्हें पैदल चलकर या ट्रैफिक में फंसकर मंदिर तक पहुंचने में कठिनाई होती है। यह रोपवे पर्यावरण के अनुकूल भी होगा, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और शहर की हरियाली बनी रहेगी।
रोपवे : सिंहस्थ 2028 की तैयारी में मील का पत्थर
उज्जैन में हर 12 साल में आयोजित होने वाला सिंहस्थ कुंभ दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। 2028 में होने वाले अगले सिंहस्थ में लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे। ऐसे में, शहर की परिवहन व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ना तय है। यह परियोजना इस दबाव को कम करने और श्रद्धालुओं को सुविधाजनक आवागमन प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित होगी।
यह परियोजना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उज्जैन को विश्वस्तरीय धार्मिक और पर्यटन केंद्र बनाने के विजन का हिस्सा है। महाकाल लोक के सफल निर्माण के बाद, यह रोप वे परियोजना उज्जैन के आधुनिक और आध्यात्मिक स्वरूप को और भी निखारेगी।
स्थानीय व्यवसायियों और पर्यटन से जुड़े लोगों का मानना है कि इस रोपवे के शुरू होने से उज्जैन में पर्यटकों की संख्या में ज़बरदस्त बढ़ोतरी होगी। इससे होटल, टैक्सी, और अन्य छोटे-मोटे व्यवसायों को भी लाभ मिलेगा। यह परियोजना स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी पैदा करेगी, जिससे उज्जैन की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यह रोपवे सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक नया युग है, जो उज्जैन को विकास और प्रगति की राह पर आगे बढ़ाएगा।