उज्जैन, अग्निपथ। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अकसर विलंबित परीक्षा परिणामों को लेकर छात्रों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डिग्री मिलने में देरी से लेकर उच्च शिक्षा में प्रवेश और नौकरी के अवसरों में बाधा तक, यह समस्या छात्रों के भविष्य को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। लेकिन, अब उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय ने इस पुरानी परिपाटी को तोड़ते हुए एक नया अध्याय लिखा है।
यह विश्वविद्यालय पूरे मध्य प्रदेश में समय पर परीक्षा आयोजित करने और परिणामों की घोषणा करने वाला पहला संस्थान बन गया है। इस उपलब्धि ने न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ाई है, बल्कि हजारों छात्रों को समय पर अपने करियर की राह चुनने का अवसर भी प्रदान किया है।
कुलगुरु का विजन: छात्रों का भविष्य सर्वोच्च प्राथमिकता
विक्रम विश्वविद्यालय के इस ऐतिहासिक बदलाव की नींव अक्टूबर 2024 में कुलगुरु प्रो. अर्पणा भारद्वाज के पदभार ग्रहण करने के साथ ही पड़ गई थी। पदभार संभालने के बाद उनकी पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता लंबित परीक्षा परिणामों को समय पर जारी करना था, क्योंकि उस समय तक पिछले सत्र की परीक्षाओं के नतीजे घोषित नहीं हुए थे।
प्रो. भारद्वाज ने इस गंभीर समस्या पर तत्काल कार्रवाई की। उनके नेतृत्व में, विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने युद्धस्तर पर काम करते हुए 28 अक्टूबर 2024 को सभी लंबित परिणाम जारी कर दिए। इस सफलता के बाद, नवंबर-दिसंबर 2024 में आयोजित परीक्षाओं के परिणाम जनवरी के दूसरे सप्ताह में घोषित कर दिए गए, और मार्च 2025 में शुरू हुई परीक्षाओं के पहले परिणाम मई 2025 के पहले सप्ताह में ही जारी कर दिए गए। यह गतिशीलता और समयबद्धता विश्वविद्यालय के लिए एक नया कीर्तिमान है।
तकनीकी सुधार और प्रशासनिक तालमेल का परिणाम
विक्रम विश्वविद्यालय ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के लिए अपनी पूरी कार्यप्रणाली में कसावट लाई है। कुलगुरु प्रो. अर्पणा भारद्वाज ने बताया कि यह सफलता कार्य व्यवस्था में बेहतर तालमेल और प्रभावी प्रशासनिक सुधारों का परिणाम है। विश्वविद्यालय ने मई 2025 में आयोजित परीक्षाओं के बीकॉम, बीएचएससी, बीबीए और बीसीए सहित स्नातक स्तर के सभी परिणाम घोषित कर दिए हैं। इसके साथ ही, एमए, एमएससी और अन्य स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के परिणाम भी निर्धारित समय सीमा के भीतर जारी कर दिए गए।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने इस प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए कहा कि परीक्षा परिणामों को शीघ्र घोषित करने के लिए एक समयबद्ध व्यवस्था लागू की गई, जिसका पूरी निष्ठा से पालन किया गया। इस प्रक्रिया में कोई कोताही न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागों में दिन-रात काम किया गया। यह प्रशासनिक चुस्ती और पारदर्शिता की एक मिसाल है।
त्रुटिरहित परिणाम और छात्रों का भरोसा
समय पर परिणाम जारी करना ही एकमात्र चुनौती नहीं थी, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी था कि परिणामों में कोई त्रुटि न हो। परीक्षा नियंत्रक डॉ. मदनलाल जैन ने इसे एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य बताया। उन्होंने कहा, “समय पर परीक्षाएं करवाकर बिना किसी त्रुटि के परिणाम घोषित करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था, जिसे पूरी गंभीरता के साथ समय पर पूरा कर लिया गया है।”
विक्रम विश्वविद्यालय ने परिणामों की घोषणा से पहले हर स्तर पर सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और समीक्षा की, जिससे छात्रों को सटीक और विश्वसनीय नतीजे मिल सके। यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को अपने अकादमिक भविष्य के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
विश्वविद्यालय द्वारा घोषित किए गए परिणामों में सीबीसीएस प्रणाली (Choice Based Credit System) के अंतर्गत सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, कला, प्रौद्योगिकी और अन्य संकायों के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की कुल 108 परीक्षाओं के परिणाम शामिल हैं, जिनमें 33 स्नातक और 75 स्नातकोत्तर परीक्षाएं हैं। इसके अलावा, सीबीसीएस प्रणाली की लगभग 170 परीक्षाओं में से 165 के अतिरिक्त, सत्र 2024-25 में आयोजित अन्य परीक्षाओं के परिणाम भी घोषित किए जा चुके हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय : उच्च शिक्षा में नया मानक
विक्रम विश्वविद्यालय की यह सफलता न केवल उसके अपने छात्रों के लिए बल्कि पूरे राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक शुभ संकेत है। समय पर परिणाम मिलने से छात्र तुरंत आगे की पढ़ाई या नौकरी की तैयारी शुरू कर सकते हैं। उन्हें अपनी मार्कशीट या डिग्री के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनका समय और ऊर्जा दोनों बचेंगे। यह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है कि किस तरह प्रशासनिक इच्छाशक्ति और प्रभावी कार्यान्वयन से छात्रों के हित में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
यह उपलब्धि दर्शाती है कि विक्रम विश्वविद्यालय सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है, बल्कि एक ऐसा केंद्र है जो छात्रों के भविष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। कुलगुरु प्रो. अर्पणा भारद्वाज और उनकी टीम की मेहनत ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो भविष्य में मध्य प्रदेश को शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।