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उज्जैन, अग्निपथ. सावन का पहला सोमवार आते ही उज्जैन नगरी भक्ति और आस्था में डूब गई। भगवान महाकाल के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से लेकर देर रात तक भक्तों की कतारें लगी रहीं और हर तरफ ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष गूंजते रहे। मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार, सावन के पहले सोमवार को करीब 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया। यह भीड़ इस बात का प्रमाण है कि महादेव के प्रति भक्तों की श्रद्धा कितनी अटूट है।
भस्म आरती में उमड़ी आस्था, महाकाल ने दिए तड़के दर्शन
भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा महाकाल भी तड़के 2.30 बजे ही जाग उठे। सबसे पहले भस्म आरती हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भस्म आरती का यह अद्भुत नजारा देख हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति ने अन्य श्रद्धालुओं के लिए कतारबद्ध तरीके से ‘चलित दर्शन’ की व्यवस्था की, ताकि कोई भी भक्त दर्शन से वंचित न रहे।
मंदिर समिति ने बताया कि सोमवार को 4492 लोगों ने भस्म आरती के चलित दर्शन किए। पिछले एक सप्ताह, यानी 8 से 14 जुलाई तक, लगभग 26,995 भक्तों ने चलित भस्म आरती में दर्शन किए हैं। यह संख्या यह दर्शाती है कि भस्म आरती का महत्व भक्तों के बीच कितना गहरा है।
एक सप्ताह में 11 लाख से अधिक भक्तों ने किए महाकाल के दर्शन
सावन के महीने में महाकाल के दरबार में भक्तों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि कम समय में भगवान महाकाल के दर्शन हो सकें, इसके लिए मंदिर समिति द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। 8 से 14 जुलाई तक, यानी पिछले एक सप्ताह में, सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि पट बंद होने तक लगभग 11 लाख 6 हजार 270 भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए हैं।
यह आंकड़ा यह बताता है कि सावन का महीना शिव भक्तों के लिए कितना विशेष होता है और वे दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने उज्जैन पहुंचते हैं। मंदिर प्रशासन भक्तों की सुविधा के लिए लगातार प्रयासरत है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि सभी को सुगमता से दर्शन प्राप्त हो सकें।
अन्नक्षेत्र में 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया फलाहार
सावन के पहले सोमवार पर महाकाल मंदिर के निःशुल्क अन्नक्षेत्र में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। करीब 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां फलाहार ग्रहण किया। शुरुआत में मंदिर समिति ने सोमवार के लिए 5 हजार लोगों के फलाहार की व्यवस्था की थी, लेकिन भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और अधिक फलाहार तैयार किया गया। शाम तक फलाहार बनाकर लगातार वितरित किया गया।
अन्नक्षेत्र में साबूदाने की खिचड़ी, साबूदाने की खीर, आलू की चिप्स और दही की आमटी परोसी गई। इन व्यंजनों को बनाने में करीब 10-10 क्विंटल साबूदाना और आलू, 2 क्विंटल मूंगफली दाना, 300 लीटर दूध, 100 किलो दही, डेढ़ क्विंटल चिप्स और अन्य सामग्री का उपयोग किया गया। यह दिखाता है कि मंदिर प्रशासन भक्तों की आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों जरूरतों का पूरा ध्यान रखता है। निःशुल्क फलाहार की व्यवस्था ने उन भक्तों को बड़ी राहत दी जो व्रत रखकर दर्शन करने आए थे।
सावन की महिमा और महाकाल का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिव भक्त उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव पृथ्वी पर वास करते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व तो और भी अधिक है, क्योंकि यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां दर्शन करने से भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि सावन में उज्जैन में देश-विदेश से श्रद्धालु खींचे चले आते हैं।
सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम
बढ़ती भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और कोई अप्रिय घटना न हो। इसके अलावा, पीने के पानी, शौचालय और चिकित्सा सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। स्वयंसेवकों की टीम भी भक्तों की सहायता के लिए लगातार सक्रिय है। इन सब प्रयासों से भक्तों का अनुभव और भी सुखद बन जाता है।
सावन का पहला सोमवार तो निकल गया, लेकिन अभी भी कई सोमवार बाकी हैं। उम्मीद है कि आने वाले सोमवारों पर भी इसी तरह लाखों की संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचेंगे और उज्जैन नगरी भक्तिमय वातावरण में डूबी रहेगी।