तहसीलदार कोर्ट से जारी आदेश की मियाद पूरी, राजस्व कार्रवाई में कई सारी पेचिदगियां
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में उर्दू स्कूल से सटे 13 मकानों को सरकारी जमीन पर दर्शाने के बाद अब जिला प्रशासन ने रहवासियों को सोमवार तक मकानों से सामान हटा लेने की चेतावनी जारी कर दी है। न किसी तरह का नोटिस जारी हुआ न ही रहवासियों के दस्तावेजों की जांच हुई। तहसीलदार ने एक पक्षीय आदेश जारी किया और मौखिक चेतावनी देकर चलते बने। 13 मकानों में सालों से निवास कर रहे परिवारों में तहसीलदार की चेतावनी के बाद से ही चिंता बढ़ गई है।
महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र के विस्तार के दौरान ही राजस्व का एक पुराना नक्शा निकालकर सर्वे नंबर 2251/1 और 2252/2 की जमीन को शासकीय स्कूल फील्ड की जमीन बता दिया गया था। इन दोनों ही सर्वे नंबर का रकबा 0.021 और 0.920 हेक्टेयर है। वर्तमान में इन दोनों ही सर्वे नंबर की जमीन पर 13 मकान बने हुए हंै।
तहसीलदार अभिषेक शर्मा की कोर्ट से सभी 13 मकानों में रहने वाले परिवारों को 30 जुलाई को नोटिस जारी किया। 3 अगस्त तक रहवासियों से जवाब मंगाए और जवाब आते ही 11 अगस्त को तहसीलदार ने सभी रहवासियों को जमीन से बेदखल करने के आदेश पारित कर दिए। रहवासियों को 18 अगस्त तक जमीन खाली करने को कहा गया।
राजस्व न्यायालय में यह मामला इतनी तेजी से निपटाया गया कि यहां रहने वाले परिवारों को दूसरे किसी न्यायालय में अपना पक्ष सही तरह से रखने का अवसर भी नहीं मिल सका। 19 अगस्त को तहसीलदार अभिषेक शर्मा उर्दू स्कूल के नजदीक निवास करने वाले परिवारों के पास पहुंचे और 23 अगस्त तक जमीन खाली करने की मौखिक चेतावनी दे दी।
एडीजे कोर्ट में आज होगी सुनवाई
तहसीलदार अभिषेक शर्मा की कोर्ट से पारित हुए बेदखली के आदेश के बाद उर्दू स्कूल के सामने रहने वाले सभी 13 मकानों के मालिकों ने एडीजे कोर्ट में तहसीलदार कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है। सोमवार को एडीजे जितेंद्र सिंह की कोर्ट में मामले की सुनवाई होना है।
एडीजे कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद राजस्व विभाग ने अपनी ओर से जवाब तो प्रस्तुत किया है। लेकिन यह आधा अधूरा है। इसमें केवल सर्वे नंबर 2251/1 और 2252/2 को स्कूल फील्ड भूमि का होना बताया गया है, न तो फील्ड बुक कोर्ट को दी गई है और न ही बटांकन की जानकारी दी गई है।
कौन देगा इन सवालों के जवाब
- सर्वे नंबर 2251/1 और 2252/2 पर बने मकानों वाली जमीन सरकारी है तो इतने सालों तक क्या राजस्व विभाग के अधिकारी सोते रहे ?
- नगर निगम ने सभी मकानों पर भवन अनुज्ञा जारी की, संपत्तिकर वसूलते रहे। संपत्तियों पर बैंक लोन भी हुए, सरकारी जमीन पर बने मकानों पर नगर निगम कैसे भवन अनुज्ञा जारी करती रही?
- सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र से 500 मीटर के दायरे में आने वाले अतिक्रमण को हटाने के निर्देश जारी किए हैं, लेकिन जिन मकान मालिकों के पास रजिस्ट्री है, भवन अनुज्ञा है, नामांतरण है उनको यदि अतिक्रमणकारी दर्शा दिया जाएगा तो आगे की प्रक्रिया क्या होगी यह प्रशासन ने स्पष्ट नहीं किया है।
- नजदीक ही शकैब बाग की जमीन सरकारी थी, इस पर कुछ मकानों को पट्टे मिले थे। प्रशासन ने सभी को अतिक्रमणकारी माना लेकिन इसके बावजूद इन्हें 3-3 लाख रुपए अनुग्रह राशि दी गई जबकि इनके पास तो रजिस्ट्री भी नहीं थी।
सर्वे भी हवा-हवाई
- तहसीलदार कोर्ट से विवादास्पद जमीन पर निवास करने वाले इमरान पिता शेख हमीद और सोनू पिता शेख हमीद के नाम से नोटिस जारी किया था। वास्तव में इन दोनों नामों वाला कोई शख्स सर्वे नंबर 2251/1 और 2252/2 की जमीन पर रहता ही नहीं है।
- जिन दो लोगों को नोटिस दिया गया, उनके सही नाम इमरान शेख पिता इकबाल शेख और फरहान पिता इकबाल शेख है।
- इमरान और इकबाल शेख का मकान सर्वे नंबर 2251/1 और 2252/2 की विवादास्पद जमीन पर होना बताया गया है। जबकि इनकी रजिस्ट्री में मकान सर्वे नंबर 2253/1/2 की जमीन पर होना दर्ज है।
- इकबाल शेख ने 8 सितंबर 2015 को नगर निगम में बकायदा अपनी संपत्ति का नामांतरण कराया, इसके बाद से ही नगर निगम इस संपत्ति पर टैक्स वसूलती रही है।
- 19 जून 2014 को अब्दुल हमीद के नाम से इसी संपत्ति पर नगर निगम से भवन अनुज्ञा जारी हो चुकी है।
- विवादास्पद सर्वे नंबर पर बनी 13 संपत्तियों में से एक नीतेश जैन की शुभम होटल पर 40 लाख रुपए का बैंक लोन है, इसी तरह देवकाबाई के मकान पर 8 लाख 50 हजार रुपए का बैंक लोन है। संपत्ति छिन जाएगी जो इस लोन का क्या होगा, कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
इनका कहना
11 अगस्त को कोर्ट से 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित हुआ था। 18 अगस्त को यह अवधि समाप्त हो चुकी है, इसलिए रहवासियों को सामान हटाने की सूचना दी गई। आगे जैसे ही संसाधन जुटेंगे या हमारी व्यवस्थाएं बनेंगी, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। यह कब शुरू होगा फिलहाल यह नहीं कह सकते। –अभिषेक शर्मा, तहसीलदार