निगम को न्यायालय में मिली बड़ी सफलता, मामला मक्सीरोड सब्जी मंडी और जालसेवा की जमीन का
उज्जैन, अग्निपथ। मक्सीरोड स्थित सब्जी मंडी के पास जाल स्कूल से लगी करोड़ों रुपए कीमत की जमीन के मामले में नगर निगम को बड़ी सफलता मिली है। जमीन पर अपना स्वामित्व बताने वाले समाजोन्नति ग्रामोद्योग ट्रस्ट का कोर्ट से दावा खारिज हो गया है। न्यायालय ने माना है कि ट्रस्ट को 1943 में म्युनिसिपल कमेटी ने ही यह जमीन स्कूल और छात्रावास संचालित करने के लिए सौंपी थी।
न्यायालय के इस फैसले के बाद सब्जी मंडी से लगी पूरी जमीन पर नगर निगम द्वारा कब्जा लिए जाने का रास्ता साफ हो गया है। आज के बाजार मूल्य से देखें तो इस जमीन की वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।
अष्टम व्यवहार न्यायाधीश फातेमा अली कनिष्ठ खंड उज्जैन के न्यायालय ने हाल ही में समाजोन्नति व ग्रामोद्धार ट्रस्ट का दावा खारिज कर दिया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार सिंह चौहान, उनके वारिस रूद्रपालसिंह, रविंद्र सिंह, कैलाशचंद्र परमार निवासी ग्राम चंदेसरा, जाल स्कूल परिसर निवासी निर्मला राजेश सिंह कुशवाह सहित 8 लोगों ने नगर निगम के खिलाफ यह केस दायर किया था। नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एसजी नाईक ने न्यायालय में पक्ष रखा। न्यायालय ने ट्रस्ट के जमीन पर आधिपत्य का दावा खारिज कर दिया है।
एक नजर पूरी कहानी पर
- ग्रामीण इलाके के निर्धन और दलित विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से छात्रावास, स्कूल और पुस्तकालय संचालित करने के लिए ग्वालियर राज्य सरकार ने 9 जनवरी 1943 और 6 मई 1943 को दो अलग-अलग आदेश जारी कर तत्कालीन माधवनगर म्युनिसिपल कमेटी के जरिए समाजसेवी जे.सी. जाल की संस्था को मक्सीरोड़ पर मुफ्त जमीन दी थी।
- मक्सीरोड पर सर्वे नंबर 4097/2 रकबा 1.097 हेक्टेयर, सर्वे नंबर 4099/1 रकबा 0.314 हेक्टेयर, सर्वे नंबर 4099 रकबा 0.146 हेक्टेयर, सर्वे नंबर 4101/ रकबा 1.808 हेक्टेयर और सर्वे नंबर 4102/4 रकबा 0.996 की जमीन जे.सी. जाल के प्राइवेट ट्रस्ट समाजोन्नति व ग्रामोद्धार ट्रस्ट को सौंपी गई।
- ट्रस्ट के ठहराव प्रस्ताव के माध्यम से सरदार सिंह चौहान को अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष की हैसियत से वे ही ट्रस्ट का संचालन करते रहे। वर्तमान में यह ट्रस्ट अस्तित्व में ही नहीं है। ट्रस्ट के अध्यक्ष स्व. सरदारसिंह चौहान के परिवार के सदस्यों ने जमीन के बड़े हिस्से को किराए पर दे रखा है अथवा इसका सौदा कर दिया है।
- प्रायवेट ट्रस्ट की इसी जमीन के एक बड़े भाग पर 1998 में नगर निगम ने कब्जा ले लिया था। जमीन के इसी भाग पर मक्सीरोड सब्जी मंडी बसी हुई है। इसी जमीन के एक भाग पर जालसेवा स्कूल का संचालन हो रहा है। इसी जमीन के एक भाग पर मंदिर, गोदाम और कुछ मकान बने हुए हैं।
- समाजोन्नति व ग्रामोद्धार ट्रस्ट की ओर से 8 लोगों ने 10 मई 1999 को न्यायालय में वाद दायर किया था कि नगर निगम को जमीन का आधिपत्य लेने का अधिकार ही नहीं है। नगर निगम ने इस जमीन के भू-भाग पर सब्जी मार्केट का निर्माण अवैधानिक रूप से किया है।
- लगभग 22 साल तक न्यायालय में यह केस चला और अब न्यायालय ने ट्रस्ट का दावा खारिज कर दिया है।
अभी राह नहीं आसान
- ट्रस्ट अध्यक्ष के परिवार और अन्य लोगों का अष्टम व्यवहार न्यायाधीश के न्यायालय से दावा खारिज हो जाने का सीधा तात्पर्य यह है कि सब्जी मंडी के अलावा भी ट्रस्ट के पास जितनी जमीन अभी शेष है, उस पर भी नगर निगम द्वारा आधिपत्य लेने की प्रक्रिया को ग्रीन सिग्नल मिल गया है लेकिन प्रक्रिया अब भी काफी जटिल है।
- न्यायालय से नगर निगम के पक्ष में जयपत्र जारी होने के बाद कब्जा वारंट जारी कराने के लिए इसी न्यायालय में फिर से अपील दायर की जाएगी। ट्रस्ट पदाधिकारी अष्टम व्यवहार न्यायालय से हारे है लिहाजा वे जिला न्यायालय में अपील करेंगे।
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अष्टम व्यवहार न्यायालय में कब्जा वारंट की नगर निगम की अपील पर दूसरे पक्ष की ओर से आपत्ति दर्ज कराई जाएगी, अपील करने का हवाला दिया जाएगा। यदि जिला न्यायालय में अपील खारिज भी हुई तो मामला करोड़ो रूपए की जमीन है लिहाजा हाईकोर्ट भी निश्चित रूप से जाएगा।
इनका कहना
हालिया फैसले के आधार पर तत्काल जमीन पर कब्जा लेने की कार्रवाई में कुछ देरी जरूर हो सकती है। लेकिन नगर निगम की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पर न्यायालय की मुहर लग गई है। अष्टम व्यवहार न्यायालय से हुआ यह फैसला आगे तक नजीर साबित होगा। -एस.जी. नाईक, नगर निगम के वकील