उज्जैन में एक माह का लगता है हर साल कार्तिक मेला, 400 से ज्यादा दुकानें और झूले लगते हैं मेले में
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में लगने वाले कार्तिक मेले की अनुमति जिला प्रशासन ने कोविड के चलते जारी नहीं की है। मेले को विधिवत रूप से लगने के लिए अब छह दिन बचे हैं। इसमें पूरी तैयारी होना भी संभव नहीं है। हालांकि प्रशासन ने यह भी कहा है कि वे मेले में दुकान लगाने वालों को रोकेंगे नहीं। हालांकि अभी तक प्रशासन के पास मेले को लगाने की गाइड लाइन नहीं पहुंची है। इस वजह से कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
बताया जाता है कि दो दिन पहले कलेक्टर अशीष सिंह ने एक मेले से संबंधित सवाल का जवाब दिया था। इसमें उन्होंने साफ कहा था कि सरकार से मेला लगाने की कोई गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। इसलिए प्रशासन ने भी अनुमति जारी नहीं की है। न ही सरकार ने मेला लगाने के निर्देश दिए हैं। बताया जाता है कि हर साल कार्तिक मेला 18 नवंबर से 17 दिसंबर तक एक माह के लिए लगाया जाता है।
इस बार 18 नवंबर से मेला लगने में केवल छह दिन बचे हैं। वहीं मेले को लगाने की तैयारी डेढ़ माह पहले से नगर निगम द्वारा की जाती है। परन्तु इस बार मेले के आयोजन को लेकर प्रशासन कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। क्योंकि मेले में शहर और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ती है। कोरोना संकट के चलते अगर इस दौरान संक्रमण फैल गया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।
इस सवाल का जवाब कोई भी देने को तैयार नहीं है। न ही प्रशासन के अफसर अनुमति देकर खुद भी अपनी नौकरी दांव पर लगाने को तैयार हैं। परन्तु स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मेले में दुकान लगाने वाले और इससे जुड़े लोगों की मांग को देखते हुए प्रशासन से मेला लगाने की अनुमति देने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि मेले में दुकान लगाने वालों को रोजगार मिलेगा। कोरोना की वजह से उनके सामने संकट खड़ा हो गया है।
उज्जैन में कोरोना से 171 की हो चुकी मौत
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय शर्मा के के मुताबिक 11 नवंबर तक उज्जैन में 171 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। कुल पॉजीटिव केस 19102, सैंपल लेकर जांच के लिए 517013 लोगों के भेजे जा चुके हैं। उज्जैन में पॉजीटिव पाए जाने वाले मरीजों की दर 3.69 प्रतिशत है। 18931 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं।
ये आयोजन होते हैं मेले में
मेले में करीब 400 दुकानें लगती है। इसके अलावा 10 से ज्यादा झूले और अन्य मनोरंजक व्यवसायी अपनी दुकानें मेले में सजाते हैं। वहीं एक माह तक सांस्कृतिक आयोजन, कवि सम्मेलन, मुशायरा, बॉडी बिल्ंिडग स्पर्धा जैसी अन्य प्रतियोगिताएं भी मेले में होती हैं। करीब दो साल से यह सब कोरोना की वजह से रुकी हुई हैं।
मेले का आयोजन अनुमति पर निर्भर
इस संबंध में नगर निगम के पीआरओ रईस निजामी का कहना है कि प्रशासन से अभी तक नगर निगम को मेला लगाए जाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसलिए निगम ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है। जिला प्रशासन किस शर्त के साथ कैसी अनुमति देता है उसके मुताबिक मेले के आयोजन का फैसला लिया जाएगा। वैसे परंपरागत रूप से 18 नवंबर से विधिवत रूप से मेला लगता है। पहले मेले को लगाने की तैयारी एक से डेढ़ माह पहले से की जाती थी। परन्तु इस बार कोरोना की वजह से कोई फैसला नहीं किया गया है।