रोजगार गारंटी के निर्माण कार्यो में विभाग द्वारा जमकर की जा रही बंदरबांट, योजना बनी कमाई का साधन

जरूरतमंद लोगों रोजगार देने वाली योजना मशीनों के लिए हो रही वरदान साबित

झाबुआ, अग्निपथ। रोजगार गारंटी योजना में 40 प्रतिशत मशीन एवं मटेरियल में राशि खर्च करना है और 60 प्रतिशत जरूरमंद लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। जिससे जिले से बड़ी मात्रा में हो रहे पलायन पर कुछ हद तक रोक लग सके। गांव में ही लोगों को रोजगार पर्याप्त मात्रा में मिलता है, तो निश्चित ही पलायन करने वाले अपने छोटे-छोटे बच्चों व परिवार के साथ गांव में रहकर जहां एक और बच्चों को विद्यालयों में भेज सकेंगे।

वर्तमान में विगत दो वषों से प्राकृतिक आपदा कोरोना संक्रमण के चलते लोग हर तरह से रोजगार एवं घर का संचालन करने में परेशानी के साथ दायित्व निभाने को मजबूर है। वहीं दूसरी और रोजगार गारंटी योजना में शासन द्वारा निर्माण कार्य के नाम से जिले में करोड़ों रूपया तालाब रोड, विकास कार्यों एवं उनके बनाने के नाम से पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन इसका फायदा ग्रामवासियों को नहीं मिलते हुए नौकरशाह जमकर फायदा उठा रहे हैं।

वर्तमान में रोजगार के निर्माण कार्य तालाब व रोड का कार्य ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा जिलेभर में बिना मापदंड के झाबुआ, रामा, पेटलावद, रानापुर में कराये जा रहे हैं। विभाग के जिन उपयंत्रियों द्वारा निर्माण कार्य वर्तमान में व पूर्व में जो निर्माण कार्य करवाये गये और करवाये जा रहे हैं, वे निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन होकर निस्तार तालाब बना दिये गये हैं, जो बिना मापदंड के एवं वर्तमान में उन तालाबों में आज की स्थिति में पानी की एक भी बंूद देखने को नहीं मिलेगी।

मामला झाबुआ विखं की ग्रापं पिपलीपाड़ा व विजयाडूंगरी का है। जहां वर्ष 2020-21 में तीन तालाब स्वीकृत हुए थे। उक्त कार्य उपयंत्री सुरेशबाबू शर्मा द्वारा अघोषित ठेकेदार जो कमीशन पर बिना तकनीकी ज्ञान के लोगों द्वारा निर्माण कार्य करवाया, जिसमें से एक तालाब में आज की स्थिति में पानी की एक बंूद भी नहीं है। तालाब की लागत 24 लाख से अधिक है।

वहीं दूसरी और विजयाडूंगरी में एक ही नाले पर 150 मीटर की दूरी पर दो तालाबों का निर्माण कराया है, जिसमें एक तालाब की लागत 24 लाख से अधिक और दुसरे तालाब की लागत 50 लाख के आसपास का है। इन दोनों तालाबों के दो वर्ष पूर्ण होने को हैं, लेकिन आज दिनांक तक पिचिंग व एक तालाब का अर्थवर्क भी पूरा नहीं हुआ है।

कार्य की गुणवत्ता घटिया स्तर की है। दो वर्ष का समय तालाब बनाने के लिए अधिक है, किंतु उपयंत्री की कार्यशैली बहुत की धीमी गति की है। जबकी उक्त उपयंत्री झाबुआ विकास खण्ड के अलावा रामा विखं में भी अघोषित ठेकेदारों द्वारा बिना मापदंड के निस्तार तालाबों का निर्माण करवा रहा है। उपयंत्री साईड पर समय नहीं दे रहे है।

फिल्ड के जो भी कार्य हो रहे हैं उसकी देखरेख बिना तकनीकी ज्ञान के व्यक्ति जो उपयंत्री के रिश्तेदार द्वारा करवाया जा रहा है। उपयंत्री तो केवल नाम के लिए हैं। रिश्तेदार इस योजना में जमकर मलाई सूत रहा है और घटिया निर्माण कार्य करवा कर गरीबों के हक का निवाला छीनकर जेसीबी मशीनों और टै्रक्टरों से काम करवा रहा है।

विभाग के मुखिया बने मुक दर्शक

निर्माण कार्य की गुणवत्ता, समयावधी में कार्य को पूर्ण करना व मापदंड में उपयंत्री द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है या नहीं आदि टेक्निकल बातों को मौके पर जाकर देखना अनिवार्य होता है। लेकिन उपयंत्री द्वारा सदभाव बनाये रखने के कारण विभाग के मुखिया एयर कण्डिशन कमरों से बाहर ही नहीं निकलते है, जिसके कारण गलत कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा हैं।

और जहां सरकार के धन की बर्बादी हो रही है। वहीं ऐसे अपरिपक्वों द्वारा अपनी तिजोरियां भरे जाने का काम सतत जारी है। पारदर्शिता का पूरा अभाव होने के चलते यह ज्ञात भी नहीं हो पाता है कि वास्तव में जनता की गाढ़ी कमाई- सरकारी धन का ठीक से उपयोग भी हो रहा है या नहीं।

एक ग्रामीण ने तो तंज कसते हुए यहां तक कह दिया है कि सरकार इस तरह निरर्थक पैसा बर्बाद करने की बजाय इतनी ही राशि ग्रामीणों को ही बांट देवें तो उनका पलायन ही रूक जावेगा। जो भी हो पूरे कुंए में भांग घुली हुई है और इसे देखने वाला जानबुझ कर अनदेखी कर रहा है।

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