रोटेशन ड्यूटी के तहत केवल चुनिंदा कर्मचारियों का ही तबादला
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में वही पुराने ढर्रे पर रोटेशन ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें कोई भी फेरबदल नहीं हो पाया है। हालांकि नवागत प्रशासक के आने के बाद मंदिर की व्यवस्थाएं बेहतर हुई हैं। लेकिन रोटेशन ड्यूटी में तो आंशिक भी फेरबदल दिखाई नहीं दे रहा है। ले दे कर केवल उन्हीं कर्मचारियों को रोटेशन ड्यूटी के तहत इधर से उधर किया जा रहा है। जिनका हमेशा से ही किया जाता रहा है।
कुछ समय से मंदिर प्रशासन द्वारा जो रोटेशन ड्यूटी के तहत कर्मचारियों को इधर से उधर किया जा रहा है। उनमें वही कर्मचारी शामिल हैं, जिनका हमेशा ही रोटेशन ड्यूटी के तहत तबादला किया जाता रहा है। शुक्रवार को फिर से एक तबादला सूची जारी की थी, जिसमें वही पुराने कर्मचारी जिनको पहले भी इधर से उधर किया गया था। पुन: सूची जारी कर उनको स्थानांतरित किया गया है।
इस सूची में निरीक्षक लोकेश वर्मा को चांदी द्वार निरीक्षक, निरीक्षक राकेश श्रीवास्तव को निरीक्षक गेट नंबर 13, गेट नंबर 5 निरीक्षक अनिल लश्करी को निरीक्षक गेट नंबर 13, निरीक्षक राजू मालवीय को निरीक्षक गेट नंबर 5, मंदिर परिसर निरीक्षक आकाश देथलिया को गणेश मंडपम एवं कार्तिकेय मंडपम लाइन चालकों पर नियंत्रण, गेट नंबर 4 निरीक्षक उमेश दीक्षित को गणेश मंडपम एवं कार्तिकेय मंडपम लाइन चालकों पर नियंत्रण, गेट नंबर 5 निरीक्षक राजेन्द्र तिवारी को गेट नंबर 4 निरीक्षक, गेट नंबर 4 निरीक्षक ब्रजमोहन पाराशर, शंख द्वार निरीक्षक विनोद चौकसे, नंदीहाल निरीक्षक गोपी कृष्ण शर्मा को प्रभारी स्थापना के निर्देशानुसार अपना कार्य संपादित किया जाना करेंगे। वहीं आशीष दुबे को स्व कार्य के साथ-साथ नंदीहाल एवं गर्भगृह के प्रभारी के रूप में संपूर्ण दायित्व सौंपा गया है।
प्रभारी अनुभवी, कम्प्यूटर आपरेटरों का तो करो
जानकारी में आया है कि रोटेशन ड्यूटी के तहत प्रशासनिक कार्यालय में स्थापना, लेखा, निर्माण, स्टोर, कोठार आदि शाखाओं के प्रभारियों का रोटेशन इसलिए नहीं किया जा रहा है कि उनको शाखा चलाने का खासा अनुभव है। ऐसे में उनका रोटेशन किए जाने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं। लेकिन इनके आफिसों में बैठे ढेरों कम्प्यूटर आपरेटरों को क्योंकर अभयदान दिया जा रहा है। यह बात समझ से परे नजर आ रही है। इनको प्रशासनिक कार्यालयों की अन्य शाखाओं में आपस में रोटेशन किया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं किया जाकर केवल उन कर्मचारियों को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है। जोकि हमेशा से ही बनते आए हैं।
मंदिर कर्मचारियों की सूची तलब करे प्रशासन
मंदिर में ऐसे ढेरों कर्मचारी हैं जोकि केवल अपना अंगूठा लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं। इनके पास कोई भी काम नहीं है। महाकाल धर्मशाला को ही ले लिया जाए तो यहां पर दो दर्जन के करीब कर्मचारी कार्यरत थे। लेकिन धर्मशाला के डिस्मेंटल होने के बाद इनको कहां पर पदस्थ किया है। इसकी जानकारी मंदिर प्रशासन के पास नहीं है। मंदिर के सभी 323 कर्मचारियों की मंदिर प्रशासन को सूची तलब करना चाहिए। तभी रोटेशन ड्यूटी लगाने की सार्थकता रहेगी। अन्यथा ऐसे ही मंदिर की यह व्यवस्था अपने पुराने ढर्रें पर चलती रहेगी।