सप्लाय में दिक्कत आई तो आधी कर दी एलम की मात्रा

घरों में सप्लाय होने वाले पानी की शुद्धता पर सवाल

उज्जैन, अग्निपथ। क्या आपके घर नलों के जरिए पहुंचने वाला पानी पूरी तरह साफ है। क्या इस पानी को पीने से आपका परिवार पूरी तरह सुरक्षित है? यदि आप अपने घर पर पहुंचने वाले पानी को पूरी तरह साफ मानकर इसका उपयोग कर रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए चौंकाने वाली हो सकती है।

पानी को साफ करने में उपयोग होने वाले एलम की मात्रा पिछले कुछ दिनों में फिल्टर प्लांट में आधी कर दी गई है। लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के पास महज 15 दिन का ही एलम का स्टाक बचा है, नया सप्लाय अटका पड़ा है लिहाजा जितना एलम है उसी से काम चलाया जा रहा है।

पीएचई के गंभीर, गऊघाट, साहेबखेड़ी और उंडासा में फिल्टर प्लांट पर प्रति घंटे औसत 5 किलो एलम का इस्तेमाल पानी साफ करने के लिए किया जाता है। इन फिल्टर प्लांट पर हर रोज औसत 500 किलो यानि आधा टन एलम (फिटकरी) लग जाता है। मंगलवार तक की स्थिति में विभाग के पास महज 7 टन ही एलम का स्टाक मौजूद है।

इसे ज्यादा से ज्यादा 14 दिन तक चलाया जा सकता है। एलम की कमी की वजह से फिल्टर प्लांट्स पर हर रोज जहां 5 किलो प्रति घंटा एलम खर्च की जा रही थी, वहीं अब इसकी मात्रा 2 से 3 किलो प्रति घंटा कर दी गई है।

5 जनवरी को हुआ आखिरी सप्लाय

पीएचई (नगर निगम) ने शाजापुर की फर्म मेसर्स भारत सप्लायर के साथ एलम सप्लाय का अनुबंध किया था। यह फर्म 5 हजार 838 रूपए प्रति मेट्रिक टन के दाम पर नगर निगम को एलम सप्लाय करती है। टेंडर एक साल के लिए 580 मेट्रिक टन का हुआ था। पूरे साल में लगभग 200 मेट्रिक टन ही एलम आया।

टेंडर अवधि पूरी हो जाने की वजह से नया सप्लाय रूका पड़ा है। अब पीएचई की तरफ से नगर निगम आयुक्त को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र के माध्यम से सप्लाय अवधि बढ़ाने या नया टेंडर कराने के लिए अनुरोध किया गया है। पीएचई को 30 नवंबर को 13 टन और 5 जनवरी को 20 टन एलम मिला था। फिलहाल केवल 7 टन का ही स्टाक शेष है।

केमिस्ट तक नहीं

पीएचई के पास किसी भी फिल्टर प्लांट पर विशेषज्ञ केमिस्ट नहीं है। बिना केमिस्ट से ही फिल्टर प्लांट पर लैब असिस्टेंट के जरिए काम चलाया जा रहा है। लैब असिस्टेंट या उनके प्रतिनिधि ही पानी की शुद्धता मापते है। केमिस्ट की मौजूदगी नहीं हो पाने की वजह से पानी की शुद्धता की हर रोज होने वाली जांच ही संदेह के दायरे में है।

इनका कहना

पानी में कितना मटमेलापन है, इसके अनुरूप एलम की मात्रा तय की जाती है। अभी साफ पानी ही नदी से मिल रहा है लिहाजा एलम कम मात्रा में इस्तेमाल हो रही है। सप्लाय संबंधी दिक्कतों के लिए आयुक्त को पत्र भेजा गया है। – हीरासिंह मोरी, लैब असिस्टेंट

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