शासन की घर-घर पानी पहुंचाने की नलजल योजना को लगाया पलीता
पारा, अग्निपथ। प्रदेशवासियों की जल समस्या को दूर करने व शुद्ध पेयजल उपलब्ध करावाने के लिए राज्य सरकार नीत नई योजनाएं चला रही है ताकि प्रदेश के छोटे से छोटे गांव में बारह महीनों पेयजल उपलब्घ हो, किन्तु वर्षों से जिले कि कुर्सी पर जमे अधिकारी व कर्मचारी सरकार के पैसों का बन्दरबांट कर योजनाओं को पलिता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला गत दिनों देखने को मिला। गत वर्ष पारा नगर के बखतपुरा क्षेत्र के लिए पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए पीएचई विभाग ने करीब आधे करोड़ की एक योजना बनाकर शासन से मंजूर करवा कर अपने चहते ठेकेदार को उपकृत करते हुए नलजल योजना का ठेका उसके नाम करवा दिया।
ठेकेदार ने भी अपनी कार्यकुशलता से नलजल योजना को पलिता लगाते हुए इतनी जल्दी से आधा अधुरा कार्य कर पूर्ण होने की सीसी लेने की जुगत में लग गया ताकि उक्त नलजल योजना को ग्राम पंचायत को हस्तांतरित कर सके। भले ही जितने नल कनेक्शन दिए गये उनमें से 10 प्रतिशत नलों में भी पानी पर्याप्त दबाव के नहीं आ रहा हो।
ये है मामला
पीएचई विभाग झाबुआ ने गत वर्ष 2020-2021 में शासन की मंशा के अनुरुप जल संकट से जुझ रहे पारा नगर के बखतपुरा की जल समस्या हल करने के लिए करिब आधा करोड ़ की पेयजल योजना बनाई। प्रदेश सरकार की स्वच्छ नलजल योजना के अंतर्गत उक्त नलजल योजना को मंजूरी मिली। पारा बखतपुरा की नलजल योजना के लिए प्रदेश सरकार ने 49 लाख 86 का टेन्डर राजेश जैन झाबुआ का मंजूर किया।
जिसमें ठेकेदार ने जेसीबी की सहायता से बगैर भूमिगत पाईप लाईन का लेवल लिए ऊंची-नीची जहां जैसी जमीन खुदी उसी में करीब 5330 मीटर पाईप लाईन डाल दी। जिसके कारण बखतपुरा क्षेत्र के 90 प्रतिशत से अधिक घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। शेष 10 प्रतिशत घरों में जहां पानी पहुंच रहा है वहां पर कम दबाव से पानी नलों में आ रहा है। वहीं पीवीसी पाईप गुणवत्ता हीन ओर लोकल कम्पनी के होने से कई जगह पर पाईप लाईन फुट गई है।
इस योजना में बखतपुरा के 376 घरों में नल लगाने का प्रावधान है किन्तु अभी तक करीब 280 घरों में ही नल लग पाए हैं। वहीं कई घरों के सामने नल के कनेक्शन के लगाए गए घटिया पाईप अभी भी खुले अधुरे पड़े हैं। जिससे आये दिन आमजन इन खुले पड़े पाईप मे उलझ कर चौटील हो रहे हैं। न ही इन लगाए गए नलों को उचित तरीके से ठिया बना कर घरों के सामने खड़ा किया गया है।
केवल सीमेंट के पाईप में नल कनेक्शन का पाईप खड़ा करके उसमे रेत गिट्टी भर कर इतिश्री कर ली गई है। जिससे अधिकांश नल योजना के पुर्ण होने के पुर्व ही नीचे गिर गए हैं।
इस नलजल योजना के पानी सप्लाई के लिए जिस नलकुप का खनन किया गया है। वहीं शासकीय भूमि पर न लगा कर निजी भूमि पर किया गया है। जबकि उक्त स्थान से सिर्फ कुछ फर्लांग की दूरी पर शासकीय भूमि उपलब्घ थी। वहां पर भी पानी पर्याप्त होने की उम्मीद थी।
बावजूद इसके सरकारी कर्मचारियों द्वारा शासकीय भूमि को छोडक़र निजी भूमि पर नलकुप खनन करवाना भी कई आशंकाओं को जन्म दे रहा है। वहीं निजी भूमी पर करवाए गए नलकुप कि साईज डेढ़ इन्च है जो कि घरेलु नलकुप की होती है। वहीं उक्त नलकुप में भी पानी नहीं के बराबर है जिससे आगामी ग्रीष्म ऋतु बखतपुरावासियों को पानी मिलेगा या नहीं इसमे भी संशय है। कुल मिला कर आधा करोड़ के लगभग राशि खर्च होने के बाद भी पारा के बखतपुरा क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझने की संभावना नहीं है।
इस समबंध में राहुल सूर्यवंशी एई पीएचई से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तू उन्होंने फोन रिसिव नहीं किया।