उत्तम वर्षा व कृषि की स्थिति बेहतर होगी, अघोषित बीमारी के प्रति सावधान रहना होगा
उज्जैन, अग्निपथ। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में संवत्सर की गणना का अलग गणित दिया गया है। यह शास्त्र के गणितीय पक्ष की अवस्था है। इसे संवत्सर के आधार पर वर्ष पर्यंत होने वाली घटना आदि का विवरण दिया जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ धर्मशास्त्रीय मान्यता से देखे तो सनातन धर्म परंपरा का वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर आरंभ बताया गया है।
अर्थात सृष्टि के आरंभ का दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा था। तभी से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वर्ष के आरंभ के दिन की भी गणना के रूप में माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बावाला ने बताया कि इसी अनुक्रम से देखे तो इस बार संवत 2079 का आरंभ शनिवार के दिन प्रतिपदा तिथि पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष पर हो रहा है। इस दृष्टि से संवत्सर के राजा शनि होंगे। शनि राजा होने के साथ-साथ तीन विभागों के भी अधिपति रहेंगे। शनि का नए संवत्सर पर विशेष प्रभाव रहेगा और ज्योतिष शास्त्र में शनि की प्रकृति अलग प्रकार की दी गई है।
नल नाम का होगा संवत्सर
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हर वर्ष गणना के आधार पर अलग-अलग प्रकार के संवत्सर के नामों की व्याख्या की गई है। हर संवत्सर का समय 60 वर्ष बाद पुन: स्थापित होता है। इस बार संवत्सर का नाम नल होगा।
राजा शनि का नए वर्ष में फल
नवग्रहों में शनि का स्थान न्याय ईमानदारी, परिश्रम, भाग्य की उन्नति, रहस्य का उद्घाटन आदि से कारकत्व बताया जाता है। यह शनि वर्तमान में मकर राशि में परिभ्रमण कर रहे हैं। इस आधार पर शनि का प्रभाव इस वर्ष अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलेगा। न्याय प्रणाली तथा कार्य प्रणाली में सकारात्मक अंतर आएगा।
प्राकृतिक प्रभाव से धान्य का उत्पादन कहीं अनुकूल तो कहीं प्रतिकूल होगा। भारतीय मौद्रिक नीति में परिवर्तन होने से कुछ स्थानों पर महंगाई बढ़ेगी और चूकि शनि के प्रभाव मकर राशि से आरंभ होंगे उस दृष्टि से संक्रामक रोगों के संबंध में सावधान रहना होगा।
वहीं राजनीतिक दृष्टिकोण से अस्थिरता तथा विवाद की स्थितियां बनेंगी। शनि से संबंधित वस्तुओं जिसमें उड़द, कोयला, लकड़ी, लोहा, कपड़ा स्टील पदार्थ यह तेज रहेंगे।
नए साल के मंत्री हैं गुरू
अन्नादि का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होगा। वर्षा की स्थिति उत्तम रहेगी। शासन प्रशासन में संतुलन की स्थिति रहने से देश की जनता भी कुछ स्थानों पर अनुकूलता अनुभव करेगी। भारत की ख्याति विश्व में बढ़ेगी।
सस्येश शनि का फल
शनि के प्रभाव होने से विशेष सावधानियों की आवश्यकता है। व्याधि अधिक न बड़े उसके लिए सभी नियमों का ध्यान रखना होगा। हालांकि विशेष समस्या नहीं होगी, फिर भी ध्यान की आवश्यकता रहेगी। राजनीति में कुछ प्रदेशों में राजा का विरोध होगा। कहीं-कहीं अस्थिरता से प्रदेश में संकट की स्थिति बन सकती है। इस खंड में धान के मूल्य की वृद्धि रहेगी।
धान्येश शुक्र का फल
फसलों के उत्पादन में कुछ स्थानों पर कमी की स्थिति दिखाई देगी। फिर भी धान की प्रचुर मात्रा से प्रजा संतुलित रहेगी। वहीं दूध घी के उत्पादन में कमी आने से वह मूल्य तेजी होने से उतार चढ़ाव का बाजार रहेगा।
मेघेश बुध का फल
80 प्रतिशत व्यापक वर्षा होने से गेहूं सहित अन्य धानों का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होगा। वहीं धार्मिक गतिविधि बढऩे से यज्ञादि व धर्म कार्य के प्रति जनता की रूचि बढ़ेगी। बहुत से स्थितियों में प्रजा शांति का अनुभव करेगी। विद्वत जनों के लिए यह समय उन्नति व सुख कारक रहेगा।
रसेश चंद्र का फल
उत्तम जल वृष्टि होने से चारों और सुख शांति का वातावरण रहेगा। भौतिक पदार्थ का भी सुख प्राप्त होगा।
नीरसेश शनि का फल
पेट्रो पदार्थ, रासायनिक वस्तु, स्टील, लोहा, खनिज पदार्थ, मशीनरी, विशेष वस्त्र, पत्थर, सीमेंट, सरिया आदि के भाव में तेजी की स्थिति बनेगी। वहीं बस रेल वायुयान किराया में भी वृद्धि का योग बन सकता है।
फलेश मंगल का फल
प्राकृतिक और स्थिरता होने से फल पुष्प में कमी होगी। कुछ स्थानों पर रोग आदि का प्रभाव बन सकता है। शासन प्रशासन को अपने कार्य प्रणाली में परिवर्तन करना होगा।
धनेश शनि का फल
शासन अथवा सरकार के माध्यम से मौद्रिक नीति में परिवर्तन करने से महंगाई में कहीं कहीं वृद्धि होगी। जिसके कारण असंतुलन की स्थिति बन सकती है। यहां सरकार को सामंजस्य बैठाने की आवश्यकता होगी।
सेनानायक बुध का फल
जनता को संतुलन की आवश्यकता अनुभव होगी। यदि वर्ष का आरंभ से लेकर अंत तक सावधानी संतुलन सामंजस्य इन तीनों का सहयोग लेंगे तो वर्ष अनुकूल रहेगा।