महाकाल मंदिर में दान वस्तुओं की कदर नहीं: 6 ई-रिक्शा, महंगे झूमर कबाड़ बने

Mahakal Jhoomar kabad

लाखों के सोलर पैनल को भी कबाड़ में ऐसे ही पटक रखा, पुरानी एलईडी सहित सेंट्रल एयर कूलर के अते पते नहीं

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं और भगवान महाकाल से अभिभूत होकर अपनी ओर से लाखों का दान कर जाते हैं। लेकिन इस दान की हिफाजत करने वाले दान में आई हुई वस्तुओं को कबाड़ में पटक रहे हैं। ऐसे में अभी तक दान में आये हुए चांदी सोने के अलावा अन्य वस्तुओं का भी लेखा जोखा होना प्रदशित होना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को दान देने वालों की कोई कमी नहीं है। कोई श्रद्धालु सोना चांदी का दान करता है तो कोई अन्य वस्तुओं का जोकि मंदिर की व्यवस्था के अनुरूप काम आता है। महाकालेश्वर मंदिर को पंडे पुजारी समय-समय पर अपने यजमान से मंदिर को कीमती वस्तु दान करवाते रहते हैं। मसलन ठंडे पानी की मशीन, एंबुलेंस, फर्नीचर, एलईडी टीवी, झूमर, कूलर, एसी, सोलर पैनल सहित कई ऐसी कीमती वस्तुओं का दान करवाया जाता है जो कि मंदिर हित में काम आते हैं। लेकिन मंदिर की कोठार शाखा इनकी ठीक से हिफाजत नहीं कर पा रही है।

इसका नमूना तब देखने में आया जब लाखों रुपए का नंदीहाल में लगा हुआ झूमर हटाकर उसको फैसिलिटी सेंटर के पास स्थित एक कबाड़ में पटक दिया गया। जबकि झूमर को अन्य जगह पर लगा कर मंदिर की शोभा बढ़ाई जा सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं किया जाकर इसको कबाड़ की श्रेणी में लाकर पटक दिया गया। कोठार शाखा का दायित्व है कि दान में आई वस्तुओं की ठीक तरह से साज संभाल करें और समय समय पर इनका संधारण भी करवाती रहे।

6 ई-रिक्शा कबाड़ बन गए, पुरानी एलईडी नदारद

दानदाताओं द्वारा महाकालेश्वर मंदिर को एलईडी भी समय समय पर दान की गई हैं, लेकिन जब भी कोई नई एलइडी आती है तो उसको लगाकर पुरानी एलईडी उतार ली जाती है और फिर उसके कोई जानकारी तक नहीं हो पाती है। वर्षों से दान स्वरूप प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं का लेखा जोखा मंदिर के अधिकारियों को देखना चाहिए। इसी तरह मंदिर को 6 ई-रिक्शा दान में प्राप्त हुए थे। लेकिन बैटरी खराब हो जाने के बाद इनको कबाड़ में पटक दिया गया। जबकि बैटरी डलवा कर इनको काम में लिया जा सकता था। वहीं मंदिर विस्तारकरण के बाद वैसे भी ये ई रिक्शा आगामी समय में काम आते। जानकारी में आया है कि कबाड़ वाले को दान में आई हुई वस्तुओं के पुराने हो जाने के बाद ओने पौने दामों में बेच दिया जाता है।

सोलर पैनल ऐसे ही पड़ी हुई

पुराने महानिर्वाणी अखाड़े की छत पर लाखों की लागत से सोलर पैनल लगाई गई थी। ताकि विद्युत व्यवस्था ठीक-ठाक बनी रहे। लेकिन महाकाल विस्तारीकरण कार्य के चलते महानिर्वाणी अखाड़े को जमींदोज किया जाना था लिहाजा सोलर पैनल को उखाड़ कर कबाड़ में पटक दिया गया है। इसका हश्र भी आगामी समय में ऐसा ही होगा जैसे दान में आने वाली पुरानी वस्तुओं का हुआ है। इसके अलावा सेंट्रल एयर कूलर सिस्टम भी नंदीहाल में काफी पहले लगाया गया था। इसको हटा दिया गया और अब वह न जाने कहां पड़ा हुआ होगा। ऐसी न जाने कितनी वस्तुएं दानदाताओं ने मंदिर हित के चलते दान की हैं, जिनको सुधरवा कर काम लेने की जगह कबाड़ में पटक रखा गया है।

इनका कहना है

सुरक्षा का दृष्टि से झूमर को हटाया गया है। 6 ई रिक्शा को कंपनी से रिप्लेस कर रहे हैं। एक आ भी गया है। सोलर पैनल को नवनिर्मित बिल्डिंग में लगाया जाएगा। कोठार में दान में आई हुई वस्तुओं का पूरा लेखा जोखा है।

– गणेश कुमार धाकड़, प्रशासक श्री महाकालेश्वर मंदिर

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