उज्जैन, अग्निपथ। उज्जयिनी देवताओं की नगरी होने के साथ अब साईंस सिटी होने की पहचान निर्मित कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला हमारा म.प्र. प्रथम राज्य बना है। भारत की अंतरआत्मा को पहचानते हुए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अमूलचूल परिवर्तन किये हैं। शिक्षा में हुए परिवर्तन को हमें लागू करने में थोड़ी हिचक आ रही थी किंतु हम इस नवाचार में सफलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
यह उद्गार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने विक्रम कीर्ति मंदिर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। शिक्षा में स्वायत्ता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर विक्रम विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय ने करते हुए कहा कि स्वच्छंदता और स्वतंत्रता में अंतर होना चाहिये। शिक्षा के माध्यम से हमारी नई पीढ़ी संस्कार ग्रहण करती है। हमें साक्ष्यों के साथ भारती शोध परंपरा को विश्व पटल पर रखने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता अशोक कड़ेल ने कहा कि स्वायत्त शिक्षा के साथ समाज जीवन और देश जीवन में भी आवश्यक है। स्वायत्ता परिवार से शुरू होनी चाहिये। स्वस्थ और चेतन्य समाज का निर्माण स्वायत्ता के बगैर नहीं हो सकता। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इग्नू विवि नईदिल्ली के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि नीति को लागू करने में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास देश के प्रत्येक भाग में कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को न्यास ने समाज से जोड़ा है।
विषय प्रवर्तन न्यास के शिक्षा में स्वायत्ता विषय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने किया। स्वागत वक्तव्य कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने प्रस्तुत किया। आभार संगोष्ठी संयोजक डॉ. डीडी वेदिया ने माना। इस अवसर पर सांची वैद्य विवि के कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता, चित्रकुट विवि के कुलपति डॉ. भरत मिश्र, विवेकानंद विवि के कुलाधिपति डॉ. अनिल तिवारी, प्रवेश एवं षुल्क नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र कान्हारे, डॉ. ऋषभ प्रसाद जैन वर्धा, संजय स्वामी दिल्ली, जगराम दिल्ली, कार्यपरिषद सदस्य संजय नाहर, विनोद यादव, सुरेश गुप्ता भोपाल सहित विद्वानगण उपस्थित थे।