बिजली के तारो में दौड़ेगी पवन चक्की की उर्जा

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आष्टा से उज्जैन के बीच ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का काम पूरा

उज्जैन, अग्निपथ। तारों के जरिए आपके घरों को रोशन करने वाली बिजली अब किसी थर्मल यूनिट के बजाए पवन चक्की या सौर उर्जा के जरिए उत्पादित होकर पहुंचेगी। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तहत मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने उज्जैन से आष्टा के बीच 400 के.वी. डबल सर्किट लाईन को उर्जीकृत करने का काम पूरा कर लिया गया है। कंपनी ने निर्धारित समय से पहले ही यह काम पूरा किया है।

मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश में कुल 2 हजार 773 सर्किट किलोमीटर अति उच्च दाब लाइनों सहित अति उच्च दाब के 10 सबस्टेशन भी ऊर्जीकृत किए गए है। मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अधीक्षण अभियंता इंजी. एम. एम. ढ़ोके ने बताया कि इस स्कीम के तहत में प्रदेश में 400 के.व्ही. के तीन सबस्टेशन, 220 के.व्ही. के सात सब स्टेशन, 400 के.व्ही. की 5 डबल सर्किट लाइने, 220 के.व्ही. की 15 डबल सर्किट लाइनें तथा 132 के.व्ही. की 26 डबल सर्किट की कुल 2773 सर्किट किलोमीटर अति उच्च दाब लाइने निर्मित की गई।

इस स्कीम से 400 के.व्ही. की 1890 एम.व्ही.ए. क्षमता, 220 के.व्ही. में 2400 एम.व्ही.ए. क्षमता तथा 132 के.व्ही. में 498 एम.व्ही.ए. कुल 4788 एम.व्ही.ए. अतिरिक्त ट्रांसफॉरमेशन की क्षमता मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के ट्रांसमिशन में नेटवर्क में जोड़ी गई। ग्रीन एनर्जी कारीडोर स्कीम के तहत मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने सागर, उज्जैन तथा मंदसौर में 400 के.व्ही. के सब स्टेशन, सेंधवा ,कानवन, जावरा, सैलाना, गुडग़ांव, रतनगढ़ तथा नलखेड़ा में 220 के.व्ही. के सब स्टेशन तथा 132 के.व्ही. के दो अतिरिक्त ट्रांसफार्मर स्थापित कर ऊर्जीकृत किये है।

क्या है ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर

  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। केंद्र सरकार धीरे-धीरे बिजली की निर्भरता पूरी तरह से गैर परंपरागत स्त्रोत जैसे सोलर(सूर्य) व विंड(हवा) एनर्जी पर लाना चाहती है।
    इन दोनों ही स्त्रोत से प्राप्त उर्जा का पूरे देश में नए सिरे से नेटवर्क बनाना शुरू किया गया है। योजना के पहले चरण में गुजरात, आंध्र, कर्नाटक, हिमाचल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश्, तमिलनाडू और राजस्थान में काम शुरू किया गया है।
    देश के 7 राज्यों में 2025-26 तक 20 गीगा वॉट की अक्षय उर्जा बिजली परियोजनाओं के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधाएं जुटाने का लक्ष्य है।
    पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 2,100 करोड़ रूपए है, इसमें से 840 करोड़ रूपए का लोन जर्मनी के बैंक के.एफ.डब्ल्यू द्वारा मुहैया कराया गया है।
    ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर प्रोजेक्ट देश की महत्वाकांक्षी योजना है इसलिए इस प्रोजेक्ट की सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से सतत् मॉनिटरिंग की जा रही है।

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