महाकाल मंदिर में अव्यवस्था से दर्शनार्थी परेशान

महाकालेश्वर मंदिर

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में श्रद्धालु व्यवस्थाएं सिस्टेमेटिक नहीं होने के कारण भटकने को मजबूर हो रहा है। यहां तक कि उसको प्रोटोकाल कार्यालय तक पहुंचने में पसीना आ रहा है। यह रास्ता व्यस्ततम होने के कारण यहां हारफूल वालों और दलालों की भीड़ के बीच में पहुंचना आसान नहीं रहता है। वहीं एक ही विंडो से ही सभी काम किये जा रहे हैं। जिससे श्रद्धालुओं को तो परेशानी आ ही रही है। वहीं कर्मचारी भी परेशान हो रहे हैं।

सावन मास बीतने के बाद प्रोटोकाल कार्यालय को फेसिलिटी सेंटर से हाल ही में नि:शुल्क अन्न क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है। यहां पर एक विंडो से 1500, 250 रुपए का टिकट काटा जा रहा है। वहीं इसी विंडो से प्रोटोकाल प्राप्त श्रद्धालुओं को अनुमति बनाकर दी जा रही है। इतना ही नहीं विंडो से लड्डू प्रसाद का विक्रय भी किया जा रहा है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि एक विंडो होने के कारण कितने श्रद्धालु को एक ही समय निपटाया जा रहा होगा।

किसी श्रद्धालु को लड्डू प्रसाद लेना हो तो उसको लाइन में लगकर ही लेना होगा। श्रद्धालुओं के साथ साथ कर्मचारी भी एक विंडो चालू होने से परेशान हो रहे हैं। कोई 1500 की टिकट मांग रहा है तो कोई प्रोटोकाल अनुमति। ऐसे में अलग अलग विंडो कर दी जाए तो श्रद्धालु इस भीषण गर्मी में इंतजार करने से बच सकता है।

हारफूल वालों की टेबल अंदर

प्रोटोकाल काउंटर की विंडो के सामने के लोहे के छोटे बेरिकेड के अंदर हारफूल वालों ने कब्जा कर रखा है। यहां पर उनकी टेबल आदि लगी रहती है। भीड़ के बीच श्रद्धालु को मालूम नहीं पड़ता है कि प्रोटोकाल काउंटर किस जगह पर है। वहीं रही सही कसर बड़े बेरिकेड पूरा कर देते हैं। यह प्रोटोकाल की विंडो को पूरा ढंक देते हैं। जिसके चलते सडक़ से विंडो दिखाई नहीं देती है। इन हारफूल वालों को हटाने का काम केएसएस सिक्यूरिटी कंपनी का है। लेकिन निर्देश नहीं मिलने के चलते इस ओर से उदासीनता बरती जा रही है।

कंट्रोल रूम को नहीं दिखाई देता

कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारियों और प्रभारियों का काम सीसीटीवी से निगरानी रखने और व्यवस्था बनाने का है। लेकिन अप्रशिक्षित कर्मचारियों को यहां पर लगाया गया है। जोकि केवल उदघोषणा करने का काम करते हैं। प्रोटोकाल कार्यालय के बाहर के खंबे पर एक बड़ा डोम कैमरा और छोटे कैमरे लगे हुए हैं। लेकिन यहां के हारफूल वाले और अन्य दलालों के लगाए गए जमघट को हटाने के निर्देश आज तक सिक्यूरिटी को नहंी दिए गए हैं। ऐसे में केवल देखावे के तौर पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। इसका कोई औचित्य अभी तक सामने नहीं आया है।

रास्ते भर में न कोई होर्डिंग न बैनर

हाल ही में प्रोटोकाल कार्यालय को आनन फानन में नि:शुल्क अन्न क्षेत्र में स्थानांतरित तो कर दिया गया है। लेकिन आज भी प्रशासनिक कार्यालय के सामने स्थित फेसिलिटी सेंटर के अंदर बने पुराने प्रोटोकाल कार्यालय को यहां से हटाए जाने की सूचना नहीं लगाई गई है। ऐसे में बाहर से आने वाले श्रद्धालु सीधे पैदल चलकर यहां तक पहुंचते हैं और फिर पूछताछ कर लंबा चलते हुए अन्न क्षेत्र पहुंचते हैं।

ऐसे में बड़े बुुजुर्ग और बच्चे साथ में हों तो यह परेशानी दोगुनी हो जाती है। यही हाल प्रोटोकाल कार्यालय का भी है। यहां पर व्यवस्था अनुसार होर्डिंग बैनर आदि लगाकर बताया जाना चाहिए कि प्रोटोकाल कार्यालय और शेष सुविधाएं यहां पर उपलब्ध हैं। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। श्रद्धालु भगवान भरोसे आता है और दर्शन कर वापस चला जाता है। चारधाम स्थित पार्किंग पर भी बड़े बैनर आदि लगाए जाकर बताया जाना चाहिए कि कौन सी व्यवस्थाएं किस ओर हैं।

चांदी का अभिषेक पात्र-चौरस दान में आये

भगवान महाकाल को राजस्थान के निवासी संतोष कुमार गोयल एवं जितेन्द्र कुमार गोयल ने 5 किलो 463 ग्राम चांदी का अभिषेक पात्र अर्पित किया। जिसे मंदिर के कोठार शाखा द्वारा प्राप्त कर दानदाता को रसीद प्रदान की गई। इसी प्रकार उज्जैन की श्रीमती राधा शिवनारायण जायसवाल ने 1 किलो 768 ग्राम चॉदी के 3 नग चौरस दान किये। जिसे प्रशासक गणेश कुमार धाकड द्वारा प्राप्त किया गया।

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