मंदिर समिति के कर्मचारी पहले ही छीन लेते हैं साथ लाया जल, कई बार बनती है विवाद की स्थिति
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में मनमानी का आलम देखिये कि आम दर्शनार्थी सप्ताह में चार दिन गर्भगृह में जाकर श्री महाकालेश्वर शिवलिंग को स्पर्श कर सकता है लेकिन जल नहीं चढ़ा पाता। श्रद्धालु बड़े ही उत्साह से घर से जल लेकर आते हैं लेकिन गर्भगृह में प्रवेश करने के पहले ही उनका जल छीन लिया जाता है। हालात यह है कि सिर्फ 750 रुपए की रसीद लेकर गर्भगृह में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु ही महाकाल को जल अर्पित कर पा रहे हैं।
वैशाख मास प्रारंभ होने के साथ ही श्री महाकालेश्वर मंदिर में देश-विदेश के श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है। शिव आराधना के लिए यह महीना सर्वोत्तम माना गया है। इस महिने में सभी शिव मंदिरों में ठंडे जल की मटकी शिवलिंग पर जल अभिषेक के लिए बांधी जाती है। लेकिन श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति सामान्य श्रद्धालुओं को जल अर्पित करने से रोक रही है।
रोज होते हैं विवाद
आम दर्शनार्थी जब बड़े ही उत्साह से जल लेकर अंदर पहुंचे हैं और नंदी हाल में ही उनसे लोटा-जल आदि ले लिया जाता है तो वे क्रोधित हो जाते हैं और लगभग रोज ही विवाद की स्थिति बनती है। कई श्रद्धालु तो दूर-दूर से पवित्र नदियों का जल लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें भी अंतत: निराश ही लौटना पड़ता है।
जल द्वार के पास लगता था पात्र
श्री महाकालेश्वर मंदिर में हमेशा सामान्य श्रद्धालुओं के लिए कार्तिकेय मंडप और सभा मंडप में जल द्वार के समीप जल पात्र लगाए जाते थे, जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं का जल मशीन द्वारा फिल्टर होकर सीधे भगवान महाकाल पर अर्पित होता था। वर्ष 2018 मेें दानदाता के माध्यम से फिल्टर प्लांट वाला जल पात्र तैयार करवाया गया था। जो अब बंद है। वैशाख महिने में जल अर्पण का महत्व होने के बाद भी मंदिर समिति ने इस व्यवस्था को नजर अंदाज क्यों किया यह समझ से परे है। इसके कारण हजारों श्रद्धालु जल अर्पित करने से वंचित हो रहे है।
सिर्फ सभा मंडप में है जलपात्र
महाकाल मंदिर में वर्तमान में सभामंडप में जल द्वार पर छोटा जल पात्र लगा है। जिसमेेंं नियमित आने वाले दर्शनार्थी भगवान को पात्र के माध्यम से जल अर्पित करते है। इसके अलावा सभा मंडप से होकर आने वाले 250 रुपए टिकट वाले श्रद्धालु सीधे बेरिकेट्स की ओर बढ़ जाते है। यहां पर न तो सूचना बोर्ड लगा है ना ही बड़े जल पात्र तैयार किए गए है। टिकट वाले श्रद्धालु बेरिकेट्स दर्शन कर बाहर हो जाते है। दूसरी व्यवस्था में फैसेलिटी से होकर आने वाले सामान्य श्रद्धालुओंं के लिए कार्तिकेय मंडपम में जल अर्पण पात्र लगाया जाता था। वर्तमान में यहां रखे जल पात्र को नही लगाया गया है। ऐसे में श्रद्धालु गणेश मंडपम तक पहुंच कर दर्शन कर बाहर हो जाते है।
सिर्फ जलाभिषेक की रसीद वाले श्रद्धालु चढ़ा रहे है जल
श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में दर्शन के लिए 750 रूपए की जलाभिषेक रसीद लेने वाले श्रद्धालुओं को सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने का मौका मिल रहा है। हालांकि यह रसीद भी ऑनलाइन होने से पहले ही बुक हो जाती है। इस रसीद पर शाम 6 से रात 8 बजे तक प्रवेश दिया जाता है, लेकिन संध्या पूजन और श्रृंगार होने से जल चढ़ाना प्रतिबंधित रहता है। दर्शनार्थी केवल दर्शन लाभ ले सकते है। इसके अलावा 250 रुपए शीघ्र दर्शन और सामान्य दर्शनार्थियों के लिए जल पात्र लगाने की कोई व्यवस्था नही की गई है।
मंदिर समिति की बैठक में उठायेंगे यह मुद्दा
इस बाबत मंदिर समिति के सदस्य श्री राम शर्मा पुजारी ने कहा कि महाकाल मंदिर में आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को जल अर्पित कराने के लिए मंदिर समिति को पहले से ज्यादा जल पात्र लगाना चाहिए, जिससे अधिक संख्या में श्रद्धालु जल अर्पित कर सकें। कई लोग जल अर्पित नहीं कर पाने के कारण विवाद भी करते हैं। श्री शर्मा ने कहा कि मंदिर समिति के बीच वे यह मुद्दा जरूर उठायेंगे।