नृत्य-गायन-वादन की त्रिवेणी से आज सजेगी सावन महोत्सव की नौंवी शाम

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 18 वे अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव का नौंवा आयोजन आज शनिवार 2 सितंबर की शाम आयोजित होगी। शिव संभवम के नाम से त्रिवेणी संग्रहालय के सभागृह में शाम 7 बजे से कार्यक्रम आयोजित होगा।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया आयोजन में सुश्री भव्या सारस्वत के शास्त्रीय ध्रुपद गायन, अभिषेक व्यास खाचरोद के गिटार वादन व पद्मश्री सुश्री रंजना गौहर के ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति होगी।

कलाकारों का परिचय

भव्या सारस्वत- भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में ध्रुपद युवा कलाकारों में सुश्री भव्या सारस्वत ने अपनी विशेष पहचान बनाई है साथ ही में वह दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी भी हैं। दरभंगा घराने से जुड़े हुए देश के प्रख्यात धु्रवद गायक पं.ब्रजभूषण गोस्वामी से भव्या सारस्वत ध्रुपद गायन एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत संकाय के प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार गोस्वामी के सानिध्य में खयाल गायन की विधा में प्रशिक्षण ले रही हैं।

भव्या सारस्वत ध्रुपद एवं ख्याल शैली में ऑल इंडिया रेडियो की ग्रेडेड कलाकार है व भारत सरकार की ओर से उन्होंने स्कॉलरशिप भी प्राप्त की इसी के साथ ही उन्होंने संगीत विधा के क्षेत्र में कई पुरस्कार अर्जित किए है।

अभिषेक व्यास- विगत कई पीढ़ीयों से हवेली संगीत कीर्तन परंपरा के अनुसरण में गायन, तबला, पखावज की आरंभिक शिक्षा अपने पिता स्व. श्री गिरिराज व्यास एवं दादाजी स्व. घनश्यामलाल जी व्यास से प्राप्त की। संगीतिक अभिव्यक्ति हेतु अपने पिता के अनुरूप स्पेनिश गिटार वाद्य को चुना। अपने पिता के अतिरिक्त ईश्वरचंद्र शर्मा एवं शहज़ाद शेख से शिक्षा प्राप्त की। गिटार को शास्त्रीय संगीत के अनुकूल बनाने हेतु कई मौलिक परिवर्तन किये गए, तत्पश्चात यह वाद्य मकरन्दिका भारतीय शास्त्रीय गिटार के रूप में सामने आया जिसे वर्तमान में बहुत पसंद किया जा रहा है।

वर्तमान में कई वर्षों से इंदौर के विख्यात सितार वादक अरुण मोरोने से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। प्रसार भारती द्वारा विगत बारह वर्षों से अनुमोदित, विक्रमादित्य अलंकरण प्राप्त अभिषेक अखिल भारतीय तानसेन समारोह, कालिदास समारोह सहित अनेक प्रतिष्ठित संगीत समारोहो में सम्पूर्ण देश में अपनी कला का सफल प्रदर्शन कर चुके हैं।

पद्मश्री रंजना गौहर- एक प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना, गुरु, कोरियोग्राफर, फिल्म निर्माता और उत्सव आयोजक हैं। रंजना जी ने ओडिसी द डांस डिवाइन नामक एक पुस्तक भी लिखी है। श्रीमती रंजना गौहर को ओडिसी नृत्य के क्षेत्र में उनकी दीर्घकालिक सेवाओं के लिए 2003 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह भारत के राष्ट्रपति (2007) से राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ओडिसी नृत्य की मंदिर परंपरा में अपने शोध के लिए वरिष्ठ फेलोशिप, इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार और महरी पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी हैं।

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