– अर्जुन सिंह चंदेल
जिले की सातों विधानसभा सीटों का लेखा-जोखा देखे तो दोनों ही दल पूर्व की स्थिति में नजर आ रहे हैं। काँग्रेस जहाँ नागदा-खाचरौद, घट्टिया, तराना, उज्जैन-उत्तर में मजबूत नजर आ रही है वहीं भारतीय जनता पार्टी उज्जैन-दक्षिण, बडऩगर में मजबूत दिख रही है। महिदपुर सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के तीन बार विधायक रहे बहादुर सिंह चौहान इस बार तीसरे क्रम पर चले गये हैं।
महिदपुर में मुख्य मुकाबला काँग्रेस के दिनेश बोस और भारतीय जनता पार्टी और बहादुर सिंह से बगावत कर निर्दलीय के तौर पर चुनावी जंग में उतरे पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रताप सिंह आर्य के बीच है। विधायक बहादुर सिंह चौहान से व्यक्तिगत रंजिश के कारण चुनाव में उतरे प्रताप सिंह पूरे दम-खम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। कभी विधायक का दायां हाथ रहने के कारण वह सारे दाँव पेच चुनाव लडऩे और जीतने के जानते हैं।
महिदपुर क्षेत्र के सारे बहादुर सिंह विरोधी प्रताप सिंह के राजनैतिक छाते के नीचे आ गये हैं। चुनाव प्रचार के दौरान अपार जनसमूह को देखकर ऐसा लगता है कि वह जिले से निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत भी सकते हैं। पर यह भी तय है कि यदि वह विजयी हुए तो साथ भारतीय जनता पार्टी का ही देंगे। एक संभावना यह भी बन रही है कि निर्दलीय के रूप में वह भारतीय जनता पार्टी के वोट ही काटेंगे जिसका सीधा-सीधा लाभ काँग्रेस प्रत्याशी दिनेश बोस को मिल सकता है।
इसकी उलट स्थिति बडऩगर में दिख रही है जहाँ से काँग्रेसी विधायक मुरली मोरवाल चुनावी रण में गहरे संकट में नजर आ रहे हैं। एक तो बेटे पर दुष्कर्म के गंभीर आरोप ने उन्हें परेशान कर रखा है वहीं दूसरी ओर सारे राजनैतिक विरोधी इस बार उनके खिलाफ लामबंद नजर आ रहे हैं। मुरली मोरवाल से नाराज सारा राजपूत समाज निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह सोलंकी के समर्थन में तन-मन-धन से लगा हुआ है।
वर्ष 2018 के चुनाव में जो गलती भारतीय जनता पार्टी ने की थी कि ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदलकर अधिकांश ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी मोल ले ली थी और उसका खामियाजा भी पराजय के रूप में झेलना पड़ा था वहीं गलती इस बार काँग्रेस ने की है। पहले दिग्विजयसिंह की पंसद राजेन्द्र सिंह सोलंकी को प्रत्याशी घोषित कर दिया फिर प्रजापत समाज के मुरली मोरवाल के विरोध से घबराकर उन्हें उम्मीदवार बनाकर दही के बदले कपास खा लेने का कार्य किया है।
काँग्रेस पार्टी की इस गलती का खामियाजा उसे भुगतना ही होगा। निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह सोलंकी को मिल रहा सहानुभूति का लाभ और राजपूतों के तन-मन-धन से सहयोग के कारण राजेन्द्र सिंह सोलंकी की स्थिति काफी मजबूत दिखायी दे रही है और वह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जितेन्द्र पंड्या के बाद दूसरे नंबर पर नजर आ रहे हैं।
राजनीति के खिलाड़ी विधायक मुरली मोरवाल ने सोलंकी से हो रहे डैमेज कंट्रोल को रोकने के लिये भारतीय जनता पार्टी द्वारा जिले में एक भी प्रत्याशी नहीं दिये जाने के कारण बडऩगर में 20-22 हजार से अधिक मतदाताओं वाले माली समाज से प्रकाश गौड़ को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ा करवा दिया है। ऐसी चर्चा है कि पीछे से समर्थन दे रहे मुरली मोरवाल के अलावा माली समाज ने भी 50 लाख रुपये की बड़ी राशि एकत्र करके स्वच्छ और ईमानदार छवि वाले शहीदों परिवारों के हित में कार्य करने वाले समरसता मिशन के भाई प्रकाश गौड़ के लिये कंधे से कंधा मिलाकर पूरा माली समाज प्रचार में लगा हुआ है।
प्रकाश गौड़ के जनसम्पर्क में भी अपार जनसमूह उमड़ रहा है। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के परंपरागत वोटों में सेंध लग जाने के कारण भाजपा प्रत्याशी को भारी नुकसान होगा और पार्टी को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कुल मिलाकर बडऩगर विधानसभा के चुनाव बहुत ही दिलचस्प मोड़ पर आ गये हैं। बहुत आश्चर्य की बात नहीं होगी यदि निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह सोलंकी यह बाजी अपने नाम भी कर ले तो पर यह बात 100 प्रतिशत कहना अभी जल्दबाजी होगी।
(शेष कल)