भैरवगढ़ जेल में शुगर, ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग और चर्म रोग के डॉक्टर्स की दरकार
उज्जैन, अग्निपथ । भैरवगढ़ जेल में कैदियों के लिये उपचार की सही तरह से व्यवस्था नहीं है। जेल प्रशासन को छोड़ें तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी ऐसा कोई अनुभवी डॉक्टर वहां पर पदस्थ नहीं किया गया है, जोकि कैदियों को सही तरह से इलाज दे सके। जानकारी में आया है कि जेल में इन दिनों बंदियों को खुजली की बीमारी हो रही हैं। रोज करीब चार से पांच नए बंदी इस बीमारी का ईलाज कराने डॉक्टर के पास पहुँच रहे हैं। जेल में करीब 2 हजार बंदी चर्म रोग से पीडि़त हैं। ऐसे में जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ को भेजकर वहां के कैदियों को राहत दी जा सकती है।
भैरवगढ़ जेल में डॉ. शिवनारायण मेनिया को पदस्थ कर रखा है। जोकि पेशे से डेंटिस्ट हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सामान्य, मानसिक और चर्म रोग से पीडि़त कैदियों को किस तरह से इलाज मिल रहा होगा। ज्ञात रहे कि जेल से सबसे अधिक कैदी मानसिक और चर्म रोग जैसी बीमारियों के पीडि़त रहते हैं।
मानसिक रोग के डॉक्टर राकेश मीणा को हाल ही में जिला अस्पताल में इस पद के खाली होने पर भैरवगढ़ जेल से यहां पर पदस्थ किया गया है। जबकि जेल में उनकी सबसे अधिक आवश्यकता थी। हालांकि मानसिक रोग के बड़ी संख्या में मरीज जिला अस्पताल इलाज करवाने के लिये पहुंच रहे हैं। लेकिन उनके सामने दूसरे भी विकल्प हैं। लेकिन जेल के कैदियों के पास केवल एक ही विकल्प है। वो है स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस रोग के डॉक्टर को जेल में पदस्थ करना। जेल प्रशासन के द्वारा भी इस पर अपना ध्यान फोकस नहीं किया जा रहा है।
वहीं चर्म रोग के भी जेल में रोजाना एक व दो बंदी नियुक्त डॉक्टर के पास खुजली की शिकायत लेकर आ रहे हैं। डॉक्टर द्वारा उन्हें सरकारी दवाइयाँ दी जा रही हैं, जिससे खुजली में कोई खास सुधार नहीं हो रहा हैं। क्योंकि डॉक्टर चर्म रोग के डॉक्टर नहीं हैं।
मेडिसीन के डॉक्टर की भी दरकार
जेल में करीब 100 से 150 बंदी ऐसे हैं जिन्हें ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ है। बंदियों की इन बीमारियों का उपचार जेल की डिस्पेंसरी में ही करवाया जा रहा है। इनको भी वही डॉक्टर देख रहे हैं। लेकिन मेडिसीन का अनुभव नहीं होने से किस तरह का इलाज हो रहा होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। ज्ञात रहे कि जेल में शुगर, ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग और चर्म रोग जैसी बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में हैं। यहां पर तीनों तरह के डॉक्टर की पदस्थी की दरकार है।
तीन डॉक्टर पदस्थ करना आसान नहीं
भैरवगढ़ जेल में इन तीनों प्रकार के डॉक्टर्स को पदस्थ करने की जरूरत है। लेकिन जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी होने के कारण फिलहाल वहां पर डॉक्टर्स पदस्थ नहीं किये जा सकते। जिला अस्पताल में मेडिसीन के दो डॉक्टर्स हैं। माधव नगर में भी केवल दो डॉक्टर्स हैं। डॉ. नारायण अतरोलिया चर्म रोग के डॉक्टर हैं। उनको भी जिला अस्पताल में पदस्थ रखना आवश्यक है। डॉ. जितेन्द्र मीणा को जीवाजीगंज अस्पताल में पदस्थ कर रखा है। ऐसे में इन कैदियों के लिये जेल प्रशासन को स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टर्स पदस्थ करने की मांग करना पड़ेगी।