अर्जुन सिंह चंदेल
हे भोलेभंडारी! स्मार्ट सिटी उज्जैयिनी की कथा तो हरि अनंत हरि कथा अनंता की तरह है। आज हम फिर इसे आगे बढ़ाते हैं। कल हमने जिक्र किया था कि स्मार्ट शहरों में 24 घंटे बिना रूके नागरिकों के घरों में जलप्रदाय होना चाहिये पर हमारे स्मार्ट उज्जैन में 48 घंटे में सिर्फ 1 घंटा ही पीने का पानी मिल रहा है वह भी मटमेला।
आज हम बात करते हैं स्मार्ट सिटी बनने के लिये जरूरी शहरी गतिशीलता और सुचारू सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की प्रभु! आपके स्मार्ट उज्जैन की यातायात गतिशीलता का हाल तो आप जानते ही हैं। स्मार्ट उज्जैन में शाम के समय सडक़ों पर चलना रोमांचकारी खेलों की तरह होता है, बेतरतीब यातायात, तंग सडक़ों पर ई रिक्शा वालों का तांडव, ऐसा लगता है मेरे शहर में यातायात के मामले में अराजकता का आलम है।
भोलेनाथ! आपको कुछ चौराहों का हाल बताना चाहूँगा। चलिये सबसे पहले तीन बत्ती चौराहे चलते हैं जो शहर का शायद व्यस्ततम चौराहा है। और हाँ याद आया यहाँ पर स्मार्ट सिटी कंपनी वालों ने यातायात नियम तोडऩे वालों के लिये कैमरे भी टाँग रखे हैं। कुछ वर्षों पूर्व जोर-शोर से ढि़ंढोरा पीटा गया था कि जो यातायात के नियम तोड़ेगा उसके घर चालान आयेगा, पेनेल्टी जमा करना होगी, तीन बार से अधिक चालान बन गया तो ड्राइविंग लायसेंस निरस्त हो जायेगा।
लाखों-करोड़ों की बत्ती इस पर दे दी गयी, सुना था कोई कंट्रोल रूम भी बनाया गया था स्मार्ट सिटी के स्मार्ट कार्यालय में। दो-चार महीने तो कुछ लोगों के चालान बने भी और शुल्क भी वसूला पर शायद काफी लंबे समय से यह कैमरे मुर्दा हो गये हैं या मुर्दा बना दिया गया है। इन्हें संचालित करने वाला नियंत्रण कक्ष भी धूल खा रहा है।
हाँ गाहे-बगाहे पुलिस विभाग को किसी अपराध के सिलसिले में जरूरत पड़ती है तो ऑक्सीजन देकर कुछ समय के लिये जिंदा कर लिया जाता है। इस तीन बत्ती चौराहे का आलम यह है कि यदि आप इंदौर की ओर से आ रहे हैं तो आपको सिग्लन के दो या तीन बार हरा होने के बाद चौराहा पार करने का मौका मिलेगा जैसे हमने महानगरों में देखा था और बायें साईड मुडने की तो आप सोच भी नहीं सकते क्योंकि सीधे जाने वाले वाहन बायें जाने वालों के लिये जगह ही नहीं छोड़ते। इस धर्मनगरी में चौराहे पर ही दो-दो हनुमान जी बैठे हैं जो धीरे चलो सुरक्षित चलो का सिर्फ संदेश ही नहीं दे रहे हैं बल्कि करके भी दिखाते हैं।
लोटी स्कूल तिराहे से भी आकर आप घंटाघर जाने के लिये मुड नहीं सकते क्योंकि मोड पर अतिक्रमण जो है। घंटाघर से आकर कोठी रोड की ओर जाना चाहे तो भी आप नहीं जा सकते हैं क्योंकि कोने पर ही एक गगन चुम्बी भवन भ्रष्टाचार की कहानी बयां करता हुआ अट्टाहास कर रहा है।
यह तो एक चौराहे की कहानी है। प्रभु आपकी सवारी तो नगर के छोटे से हिस्से से ही निकल जाती है आप तो मात्र दो ही चौराहों महाकाल घाटी और गुदरी चौराहे की ही दुर्दशा देख पाते हो कभी दौलतगंज, देवासगेट, कंठाल, बुधवारिया चौराहा, इंदौर गेट तिराहे, गधापुलिया के भी हाल देखिये शाम के समय, आप के भक्तों का कष्ट देखकर आपको आँसू न आ जाये तो फिर हमें कहना।
हमारी स्टार्ट के कत्र्ताधर्ता अधिकारियों ने शहर के 11 चौराहों के विकास की कार्ययोजना बनायी थी जिनमें भरतपुरी तिराहा, नीलगंगा चौराहा, इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहा, गेल चौराहा, इस्को पाईप फेक्ट्री, बीमा अस्पताल, कोयला फाटक, तीन बत्ती, शांति पैलेस, चामुण्डा माता, महामृत्युंजय शामिल थे। प्रभु हमें तो नहीं दिखायी दे रहा इन चौराहों का विकास, आपको दिव्य दृष्टि से दिखायी दे रहा हो तो बात अलग है। प्रभु कथा लंबी हो चली है।
(शेष व्यथा कल)