उज्जैन में 25 करोड़ से बनेगा गीता भवन

नीलगंगा कब्रिस्तान के सामने पट्टाभिराम मंदिर की 10 बीघा जमीन का चयन; पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर बनने जा रहे हैं वैचारिक केंद्र;

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के ‘मोहन’ तूने कर दिया कमाल। सचमुच अपनी कर्मभूमि के ऋण से कैसे उऋण होना चाहिये इसकी मिसाल पूरे देश के सामने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रस्तुत की है।

इस उज्जैयिनी के तो जैसे भाग्य ही खुल गये, पहले महाकाल लोक का निर्माण और उससे पूरी दुनिया में फैली उज्जैन की खुशबू से शहर के विकास को पंख तो लगे ही थे पर बाबा महाकाल की कृपा से मोहन जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो विकास ने सुपर सोनिक विमान जैसी गति पकड़ ली है। बीते 6 माहों में शायद ही ऐसा कोई सप्ताह बीता हो जब उज्जैन को सौगात मिलने की खबर ना आयी हो।

अग्निपथ के पाठकों और उज्जैनवासियों के लिये आज एक और बड़ी खबर यह है कि वार्ड क्रं. 35 स्थित पट्टाभिराम मंदिर की रिक्त पड़ी 10 बीघा भूमि (2 लाख 25 हजार स्क्वेयर फीट) पर जो कि नीलगंगा कब्रिस्तान के सामने स्थित है पर 25 करोड़ की लागत से गीता भवन का निर्माण किया जायेगा। भोपाल में बीते दिनों इसे प्रशासकीय स्वीकृति भी मिल गयी है। सर्वे कार्य पूर्ण होने के बाद विस्तृत कार्य योजना बनाकर निर्माण हेतु निविदा आमंत्रित की जायेगी।

क्यों बन रहे हैं मध्यप्रदेश में 413 गीता भवन

धार्मिक ग्रंथों, साहित्य, वैज्ञानिक अनुसंधान के सुलभ अध्ययन और जनसाधारण में पुस्तकों के अध्ययन के प्रति घटती रूचि, धार्मिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के सर्वसुलभ वैचारिक अध्ययन केन्द्र के रूप में इन गीता भवनों को विकसित किया जायेगा।

उज्जैन में हुआ भूमि का आवंटन

उज्जैन में गीता भवन के निर्माण हेतु पट्टाभिराम मंदिर (रंगखाता) जो कि लगभग 10 बीघा है। गीता भवन निर्माण हेतु जिलाधीश द्वारा नगर निगम उज्जैन को दी जा रही है। यह भूमि रेलवे स्टेशन से 500 मीटर और महाकाल मंदिर 1.5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। पूर्व में इस भूमि को महाकाल मंदिर समिति को अतिथि निवास हेतु दिये जाने हेतु विचार चल रहा था। यदि प्रशासन को और भूमि की आवश्यकता पड़ी तो आसपास के अवैध निर्माण को भी जमींदोज किया जायेगा।

कहां कैसा स्वरूप होगा इन गीता भवनों का

मुख्यमंत्री मोहन यादव जी की परिकल्पनानुसार पूरे मध्यप्रदेश को 4 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। प्रथम श्रेणी में 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन। श्रेणी 2 में 5 लाख से कम जनसंख्या वाला नगर निगम- अन्य नगर निगम। श्रेणी 3 में मध्यप्रदेश की 99 नगर पालिका परिषद। श्रेणी 4 में प्रदेश की 298 नगर परिषद शामिल की गई हैं।

  • श्रेणी 1 की प्रत्येक नगर निगम में 2 एकड़ (7.26 बीघा) क्षेत्र अथवा स्थान की उपलब्धतानुसार भवन का निर्माण/पुननिर्माण किया जायेगा। इसमें पुस्तकालय, 2000 व्यक्तियों की बैठक व्यवस्था वाला सभागार तथा समुचित पार्किंग की व्यवस्था होगी। अनुमानित लागत 25 करोड़।
  • श्रेणी 2 की प्रत्येक नगर निगम में 1.5 एकड़ (5.445 बीघा) क्षेत्र में भवन निर्माण। जिसमें पुस्तकालय, 1000 व्यक्तियों की बैठक व्यवस्था वाला सभागार, समुचित पार्किंग। अनुमानित लागत 20 करोड़।
  • श्रेणी 3 की प्रत्येक नगर पालिका में 1.0 एकड़ (3.63 बीघा) क्षेत्र में गीता भवन निर्माण। पुस्तकालय, 750 व्यक्तियों की बैठक व्यवस्था वाला सभागार, पार्किंग। अनुमानित लागत 15 करोड़।
  • श्रेणी 4 की प्रत्येक नगर परिषद में 0.5 एकड़ (1.815 बीघा) क्षेत्र में भवन निर्माण। पुस्तकालय, 500 व्यक्तियों की बैठक व्यवस्था वाला सभागार तथा पार्किंग व्यवस्था। अनुमानित लागत 10 करोड़ रुपये होगी।

जन सामान्य के लिये ऐसे उपयोगी साबित होंगे गीता भवन पुस्तकालय

1. प्रत्येक गीता भवन में एक पुस्तकालय, होगा जिसमें वरिष्ठजन, प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यार्थियों के लिये और सामान्य पाठक के लिये पृथक-पृथक-3 वाचन कक्ष रहेंगे। एक ई लायब्रेरी कक्ष, एक सभागार होगा।

2. गीता भवन परिसर में एक पुस्तक/साहित्य/सामग्री बिक्री केन्द्र होगा। इस बिक्री केन्द्र में देश और प्रदेश के साथ ही दुनिया के विचारकों, विद्वानों, लेखकों, साहित्यकारों, विशेषज्ञों और विशेषकर भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी।

3. पार्किंग/केफेटेरिया/स्वल्पाहार गृह।

4. गीता भवनों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु दुकानों का निर्माण।

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