चौबीस खंभा पर हुई नगर पूजा, मां महामाया व महालया के पूजन के बाद नगर के देवी-देवताओं को पूजा
उज्जैन, अग्निपथ। नवरात्रि की महाअष्टमी पर शुक्रवार को शासकीय नगर पूजा की गई। कलेक्टर नीरज सिंह ने चौबीस खम्बा माता मंदिर में महामाया और महालया माता को मदिरा का भोग लगाकर पारंपरिक पूजन किया। इसके बाद कलेक्टर की अगुवाई में एक दर्जन से अधिक पटवारी, कोटवार सहित कई अधिकारी-कर्मचारी और श्रद्धालु सडक़ पर मदिरा की धार लगाते आगे बढ़े।
शासकीय दल ने ढोल-बैंड बजाते हुए 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 40 मंदिरों में पूजा की। नगर पूजा की यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। इसके लिए आबकारी विभाग शराब की 31 बोतल नि:शुल्क राजस्व विभाग को देता है। शहर में शासन की ओर से आश्विन मास के शुल्क पक्ष की अष्टमी को यह पूजा तांत्रिक स्वरूप में होती आ रही है। इस दौरान नगर के 40 देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजन होता है।
ढोल-नगाड़ों के साथ माता की महा आरती के बाद माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री, चुनरी और बड़बाकल का भोग लगाया जाता है। इसी दिन दोपहर 12 बजे हरसिद्धि मंदिर के गर्भगृह में भी माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित कर शासकीय पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां को मदिरा का भोग लगाने से शहर में सुख-समृद्धि आती है।
शहर में बूंद-बूंद कर 27 किमी तक शराब की धार लगाने की परंपरा के लिए करीब हफ्तेभर पहले एसडीएम दफ्तर से आबकारी विभाग को पत्र जारी किया जाता है। यह पत्र पटवारी द्वारा रेलवे स्टेशन स्थित आबकारी विभाग के कार्यालय पहुंचाया जाता है। यहां भंडार से आबकारी विभाग पूजन के लिए मुफ्त 31 बोतल देता है। शराब और बलबाकल का भोग लगाने और नगर पूजा की जवाबदारी पटवारी, कोटवार और एक वसूली पटेल के हाथों में होती है। राजस्व विभाग के सहयोग से होने वाली पूजा का कुल खर्च 18 हजार रुपए आता है।
अंकपात स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर नगर पूजा का समापन होता है। करीब 20 साल पहले वसूली पटेल को यहीं से 18-20 बोतल शराब पूजन के लिए दी जाती थीं। पटवारी इन्हें 2 दिन पहले ही मंदिर में पहुंचा देते थे।
27 किलोमीटर की यात्रा 40 मंदिरों में पूजा
चौबीस खंबा मंदिर में माता महामाया और महालया की पूजा के बाद शासकीय दल नगर पूजा के लिए निकलता है। कोटवार मदिरा से भरी हांडी लेकर चलते हैं, इसकी धार नगर के रास्तों पर बहती है। ढोल के साथ निकले शासकीय दल के सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजा करते हैं। देवी और भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है। हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है। करीब 8 बजे गढ़ कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद नजदीक के हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा समाप्त होती है।