खाद के लिए कतार में बैठे किसान, किया चक्काजाम

कागजों में पर्याप्त खाद मगर जमीनी स्तर पर आज भी किसान लगा रहे चक्कर

धार, अग्निपथ। इस बार किसानों ने गेहूं की बोवनी की मगर रबी सीजन की बोवनी के समय से ही खाद के लिए परेशान है। किसानों के खेत बोवनी के समय डीएपी खाद न मिलने से किसान परेशान है। तो दूसरी और गेहूं की बुवाई के बाद पानी देने के वक्त यूरिया की आवश्यकता है होती हैं। मगर इस वक्त किसान यूरिया के लिए परेशान हो रहे है। इसके लिए गांव के गांव परिवार सहित लाइन में लगे हुए हैं। गुरुवार को किसानों ने कुक्षी आलीराजपुर रोड बंद कर दिया है। सुबह से ही लंबी कतारें लग गई तो महिलाएं भी लाइन लगाकर बैठी रहीं।

इस बार हुई अच्छी बारिश के बाद किसान रबी सीजन की फसल को लेकर खासे उत्साहित है और किसानों ने इसकी तैयारी भी कर ली है, लेकिन विभाग की तैयारी न होने से किसान परेशान है। विभागीय सूत्रों की माने तो समय से डिमांड न भेजने एवं प्रदेश में डीएपी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने से यह परेशानी सामने आ रही है।

वहीं डीएपी खाद की तो अब यूरिया की किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। हाल ये हैं कि सोसायटियों व निजी केंद्रों पर यूरिया खाद नहीं मिल रहा है। इसका फायदा दुकानदार उठा रहे हैं। किसानों ने बताया दुकानों से मजबूरी में महंगा खाद करना पड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदार अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। किसानों ने सोसायटियों पर यूरिया सहित अन्य खाद का स्टाक उपलब्ध कराने की मांग की है।

बोवनी के बाद से दौड़ लगा रहे किसान

ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसलों की बोवनी की शुरुआत दे ही इसके लिए किसानों को डीएपी व यूरिया खाद की जरूरत पड़ रही है। लेकिन विपणन विभाग के लापरवाही से सहकारी समितियों निजी केंद्रों सहित खाद विक्रेताओं के यहां यूरिया खाद उपलब्ध नहीं है। इससे फसलों अभी खेती प्रभावित हो रही है। बोवनी के लिए किसानों को डीएपी खाद के लिए भटकना पड़ रहा है।

बताया जा रहा है कि 1 माह से धार क्षेत्र में डीएपी खाद की किल्तत बरकरार है। लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने खाद उपलब्ध कराने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। किसानों ने बताया निजी केंद्रों के साथ सहकारी समितियों पर खाद लेने के लिए किसान चक्कर लगा रहे हैं। इस साल वैसे ही खरीफ की फसलों में आंधी-बारिश, पानी की कमी से फसलों को नुकसान हुआ है। वहीं फसल कटाई से पहले हुई बारिश से कई खेतों में पानी भरने से उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

समितियों के पास नहीं खाद

जिले की सभी सहकारी समितियों के कई गोदाम खाली पड़े हैं। किसान बोले-खाद के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। गुरुवार को कुक्षी मार्केटिंग केन्द्र पर खाद लेने के लिए आए किसान ने बताया कि घंटों इंतजार के बाद यहां खाद मिल पाता है। साथ ही यूरिया खाद नहीं मिला। वही किसान बताते है कि पहले 12:32:16 खाद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसके विकल्प में अन्य खाद खेतो में डाला। मजबूरी में अन्य खाद खरीदना पड़ती है। वहीं यहां पर किसानों को 5 से 6 बोरी पर 2 बॉटल नेनों यूरिया की भी अनिवार्यत दी थी जिसे किसानों के जेब का बजट बिगाड़ दिया।

महिलाएं भी लाइन में

इस समय किसान केवल खाद के लिए चिंतित हैं। ऐसे में महिलाएं भी रात को ही भोजन-पानी की व्यवस्था कर खाद के लिए लाइन में लग रही हैं। रोड जाम करने वाले किसानो में बताया, जानकारी मिली थी मॉर्केटिंग में खाद आया है इसलिए यहा आये मगर यहा पर मिशन में खाद नही चढऩे से किसानों को नही दे पाया। समितियों पर खाद की जुगाड़ देख रहे हैं, ऐसी स्थिति कही क्षेत्र की है। इस बार धार जिले के कहीं किसानों ने खाद की व्यवस्था के लिए अन्य जिलों की ओर भी रुक किया वह अपनी आवश्यकता के लिए महंगे दामों में भी खाद खरीदा।

सरकार 70 प्रतिशत की कर रही निगरानी, 30 प्रतिशत पर हो रही कालाबाजारी

निजी दुकानदारों के पास खाद आते ही समाप्त हो जाता है। इसकी निगरानी कृषि विभाग नहीं कर रहा। 70 प्रतिशत सरकारी गोदामों और 30 प्रतिशत प्राइवेट दुकानों खाद या डीएपी आता है पर प्रशासन 70 प्रतिशत की निगरानी करता है 30 प्रतिशत को लेकर उसका ध्यान ही नहीं होता है। इसके चलते किसान परेशान हैं।

अगर व्यापारियों के डीएपी यूरिया निगरानी में बांटा जाता है तो किसानों को लंबी लंबी लाइन नहीं लगना पड़ेगा। इस ओर शहर में महेगें भाव मे आज भी खाद बेचा जा रहा है। वही मॉर्केफेट (विपणन)के नगद केंद्रों से खाद बेचा जाता है जिससे सोसाइटियों में समय पर खाद नहीं पहुंचाया जाता है जिसे भी यह समस्या उत्पन्न होती है।

वही नियम तो यह कहता है कि वहां से 30 प्रतिशत खाद बेच सकते हैं वह 70 प्रतिशत खाद सोसाइटियों को उपलब्ध कराना रहता। मगर इसबार सुसाइटीयो के साथ अन्य जगह पर खाद समय पर नही पहुँच पाया।

7165 मीट्रिक टन यूरिया खाद शेष

शासन से विभागीय स्तर पर 7165 मीट्रिक टन यूरिया, 2142 डीएपी और एनपीके 3213 मीट्रिक टन खाद है। जिले में अब भी रबी सीजन के लिए 61618 मीट्रिक टन यूरिया, 11909 मीट्रिक टन डीएपी और 20075 मीट्रिक टन खाद वितरण कर दिया गया है । अब तक जिले में 75000 मीट्रिक टन यूरिया, 20000 डीएपी और 26000 मीट्रिक टन लक्ष्य रखा था। जबकि 68783 यूरिया, 14051 डीएपी और 23288 मीट्रिक टन उपलब्धता की गई है।

किसान बोले- निजी दुकानों से करनी पड़ रही खरीदारी

किसान रोजाना केंद्रों के साथ निजी समिति के चक्कर लगाकर खाली हाथ लौट रहे हैं। मजबूरन उन्हें निजी दुकानों से खाद खरीदनी पड़ रही है। किसान ने बताया दुकानों पर ज्यादा दाम में खाद लेने पर लागत बढ़ रही है। आर्थिक भार बढ़ रहा है। लेकिन फसलों केर लागत के आधार पर दाम नहीं मिलते हैं। गेहूं, चना, मटर और आलू की बोवनी के समय से ही खाद की मांग ज्यादा है। लेकिन समितियों पर खाद की आपूर्ति न होने से परेशानी हो रही। किसानों ने प्रशासन से समितियों के माध्यम से खाद की आपूर्ति कराने की मांग की है।

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