अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
30 फुट चौड़ी डामर की सडक़ के इस ओर हम खड़े थे वहीं सडक़ के दूसरी ओर पहाड़ों पर बसे देश भूटान का भव्य और विशालकाय द्वार था। भूटान के शहर फुंटरशोलिंग की जगमगाती लाइटेें हमें उनके देश आने का स्नेहिल आमंत्रण दे रही थी। भूटान रायल के चाक चौबंद जवान आकर्षक वेशभूषा में तैनात थे। हम घूम-फिरकर वापस अपनी होटल लौट आये।
यहाँ यह बता दूँ कि पश्चिम बंगाल का यह शहर भूटान के प्रवेश का एकमात्र सुगम रास्ता है व्यापारिक रूप से उन्नत जयगाँव के बाजारों में हमेशा रौनक रहती है क्योंकि भूटानी नागरिक उनकी पूरी खरीददारी जयगाँव से ही करते हैं। होटल में थोड़ी देर बाद ही एक स्मार्ट नवयुवक आ पहुँचा उसने अपना परिचय देते हुए टेक राज नाम बताया और कहा कि भूटान की आपकी सात दिवसीय यात्रा के लिये मैं आपका गाईड रहूँगा। टेकराज ने बताया कि सुबह 9 बजे हम भूटान की सीमा में प्रवेश करेंगे आप सभी लोग अपने पासपोर्ट या मतदाता परिचय पत्र साथ रखें उसके जाने के बाद हम सभी भोजन के लिये भूटान सीमा पर स्थित वेदिका रेस्टोरेन्ट पहुँच गये जो किसी मारवाड़ी का था।
नाम के अनुरुप वेदिका रेस्टोरेन्ट का खाना स्वादिष्ट और किफायती था मात्र 850/- रुपये में हम 6 लोगों ने डटकर खाना खाया। दाल-मिक्सवेज, चपाती और चावल। रेस्टोरेन्ट के नीचे ही मिठायी की दुकान थी जहाँ गुड के रसगुल्ले प्रसिद्ध थे। मिठायी की दुकान के मालिक हरियाणा के मूल निवासी थे उनसे लगभग 45 मिनट बंगाल के विभिन्न मुद्दों पर बौद्धिक चर्चा हुयी। होटल वाले को सुबह जल्दी नाश्ते का आर्डर (सब्जी-पूरी) देकर हम सभी लोग सोने चले गये।
सुबह भूटान की यात्रा को लेकर उत्साह चरम पर था। सुबह 5 बजे ही नींद खुल गयी सभी लोग 6 बजे तक सज-धज कर राजा-बाबू बन गये थे। तैयार होकर होटल के नीचे आये तो सडक़ के दूसरी ओर लाईन से बिहारी लोगों के ३-४ ठेले खड़े थे जो गरमा-गरम पूडिया निकाल रहे थे। हमने अपना निर्णय बदला और ठेले पर ही स्ट्रीट फूड का आनंद लिया। गर्म पुडियों और आलू की मस्त सब्जी के साथ ब्रेड आमलेट चाय का भी आनंद लिया सभी 6 लोगों ने मात्र 300/- रुपयों में भरपेट नाश्ता कर लिया।
होटल पहुँचकर रात को दिया गया नाश्ते का आर्डर कैंसिल कर दिया। होटल का बिल जमा करते समय हमें पता चला कि बाहर जो हम 4 पूड़ी सब्जी 30 रुपये में खाकर आये थे वह होटल में 150/- रुपये की थी। मन प्रसन्न हुआ और स्वयं ही अपनी पीठ ठोकी की चलो ग्रुप के 600/- रुपये बचाये। ठीक ८:४५ पर ही हमारी यात्रा के लिये अधिकृत गाईड टेकराज पारंपरिक वेशभूषा में आ गया। टेकराज ने भूटान यात्रा पर हमारे साथ रहने वाली ६५ लाख मूल्य की टोयटा हाईरूफ हियास बस को जयगाँव में हमारी होटल पर ही बुलवा लिया। सारा सामान उसी में रख कर हाईरूफ बस को रवाना कर दिया गया और हम लोग पैदल ही टेकराज के साथ भूटान में प्रवेश के लिये चल दिये।
हाँ एक बात और आपको बताना भूल रहा था कि यदि आप सुबह 7 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक भारत से भूटान के फुंटशोलिंग शहर जाकर घूमकर वापस आ सकते हो तो आपको 1250/- रुपये का सतत दैनिक शुल्क (एस.डी.एफ.) नहीं देना पड़ेगा। रात्रि 8 बजे से आप लेट हो गये तो यह शुल्क आपको जमा करना होगा। 200 मीटर पैदल चलने के बाद सुरक्षा जाँच से गुजरने के बाद हमने भूटान के स्वागत गलियारे में प्रवेश कर लिया।
पूरा लकड़ी से बना गलियारा भूटान की सभ्यता और भव्यता को दर्शा रहा था गलियारा खत्म होने के बाद हम भूटान देश में खुले आकाश के नीचे थे हमें थोड़ी दूरी और जाना था क्योंकि इमीग्रेशन सेंटर की इमारत अलग जगह थी। हमारा गाईड टेकराज भी नया ही था उसे हिंदी लगभग नहीं के बराबर आती थी उसे भी नहीं पता था इमीग्रेशन सेंटर कहाँ है। पूछते-पूछते हम जा रहे थे तभी हम सबने सडक़ पार करने के लिये जैसे ही कदम बढ़ाया पुलिस की सीटी गूँज उठी।
शेष कल