धार, अग्निपथ। धार की भोजशाला में लंबे संघर्ष के बाद 22 साल पहलेताले खुले थे। इसकी 22वीं वर्षगांठ पर मंगलवार सुबह राजा भोज बसंत उत्सव समिति द्वारा भोजशाला के बाहर जश्न मनाया गया। इस दौरान भोजशाला के बाहर की जमकर आतिशबाजी करते हुए मिठाइयां बांटी गई। साथ ही संशोधित वक्फ बिल पर खुशी हिंदू संगठनों द्वारा जताई गई है।
दरअसल प्रति मंगलवार को धार की भोजशाला में हिंदू समाज को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा का अधिकार प्राप्त हैं। जिसके तहत बडी संख्या में हिंदू समाज के लोग भोजशाला पहुंचे। नियमित सत्या्ग्रह के तहत गर्भगृह में मां वाग्देवी व भगवान हनुमान का चित्र रखकर समाज द्वारा पूजा की गई। इस दौरान सरस्वती वंदना व हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए आरती कर प्रसादी का वितरण भी किया गया।
आंदोलन की शुरुआत
हिंदू समाज ऐतिहासिक भोजशाला के लिए वर्षों से संघर्ष करता आ रहा है। सन 1997 में तत्कालीन कलेक्टर ने भोजशाला में हिंदू समाज के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद हिंदुओं ने लगातार आंदोलन किया, तब जाकर 8 अप्रैल 2003 को भोजशाला में हिंदुओं के प्रवेश का रास्ता साफ हुआ ताला खुलने के आज 22 साल पूरे हो गए हैं।
आंदोलन के सक्रिय पदाधिकारी गोपाल शर्मा ने बताया कि भोजशाला में 12 मई 1997 को तत्कालीन कलेक्टर ने हिंदू समाज के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय में समाज ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई और बड़े आंदोलन की शुरुआत हुई।
2 हजार पर कार्यवाही
शर्मा के अनुसार सन 2002 में हुए आंदोलन में तीन लोगों का बलिदान भी हुआ व आठ लोगों पर रासुका लगाया गया, और 2000 से अधिक लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया था। करीब 14 हजार लोगों पर अन्य प्रकरण दर्ज किए गए थे। इस तरह के बलिदान के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तत्कालीन मंत्री भावना बेन चिखलिया ने आदेश दिया था कि मंगलवार को भोजशाला में पूजा अर्चना होगी, जबकि साल में एक बार बसंत पंचमी पर पूजा की जा सकती है। वहीं शुक्रवार को नमाज होगी। शेष दिन आम पर्यटकों को भोजशाला में एक रुपये के शुल्क पर प्रवेश दिया पूरे होने जा रहे हैं।