उपराष्ट्रपति बोले- समय आ गया है अंग्रेजियत छोडऩे का, सीएम ने कहा-हमारी सनातन संस्कृति अंतहीन
उज्जैन, अग्निपथ। दिल्ली के लाल किले में शनिवार को तीन दिनी विक्रमोत्सव की शुरुआत हुई। यहां सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन किया गया। इसमें विक्रमादित्य के जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की सभी गाथाएं प्रस्तुत की गई। नाटक में 125 कलाकारों और 50 सहयोगियों के माध्यम से विक्रमादित्य की गौरव गाथा प्रदर्शित की गई।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के संविधान में दर्शाए गए 22 सांस्कृतिक चित्रों का उल्लेख करते हुए कहा, प्रारंभ में गुरुकुल और रामायण जैसे चित्र यह संकेत देते हैं कि शिक्षा, संस्कृति और धर्म भारत के शासन-दर्शन के मूल तत्व रहे हैं। भाषा को लेकर उन्होंने साफ कहा, अब वह समय आ गया है जब हमें अंग्रेजियत को छोड़ देना चाहिए।
तकनीकी शिक्षा अब विभिन्न भारतीय भाषाओं में संभव हो चुकी है। यह एक क्रांतिकारी बदलाव है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति अंतहीन है। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी शामिल हुए।
14 अप्रैल तक होगा महानाट्य का मंचन
बता दें कि सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित महानाट्य का मंचन शनिवार से 14 अप्रैल तक नई दिल्ली के लाल किले में माधवदास पार्क में होगा। नाट्य मंचन के दौरान महान सम्राट विक्रमादित्य, विक्रम संवत् और देश के गौरवशाली इतिहास में उनके योगदान से देश को अवगत करवाया जाएगा।
धनखड़ बोले- विक्रमादित्य न्याय और संस्कृति का प्रतीक
विक्रमादित्य महानाट्य के मंच से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत लंबे अंतराल के बाद एक नए युग में प्रवेश कर चुका है- आर्थिक प्रगति, वैश्विक सराहना और मजबूत संस्थागत ढांचे के साथ देश अब सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जिसकी सांस्कृतिक विरासत 5 हजार साल पुरानी हो।
ऐसे में यह आवश्यक है कि हम अपनी जड़ों की ओर लौटें और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से आत्मबोध को सशक्त करें। उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य को न्याय और संस्कृति का प्रतीक बताते हुए कहा कि जिस आदर्श शासन की कल्पना उस युग में की गई थी, आज वह आधुनिक भारत की शासन-प्रणाली में मूर्त रूप ले रहा है।
संविधान के चित्रों में रची-बसी है भारत की आत्मा
उपराष्ट्रपति ने बताया कि एक समय था जब अंग्रेजी को केवल क्वालिफाइंग सब्जेक्ट के रूप में रखा गया था, लेकिन 2009 में आई सरकार ने इसे फिर से रैंकिंग सब्जेक्ट बना दिया। उन्होंने इस बदलाव को भारतीय भाषाओं के सम्मान के खिलाफ बताया। अब हर क्षेत्र में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा मिल रहा है। संसद में 22 भाषाओं का उपयोग होता है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इंडियन क्लासिकल लैंग्वेज को विश्व मंच पर प्रतिष्ठा मिल रही है।
उपराष्ट्रपति ने मोहन यादव को बताया ‘मनमोहन’
मंच से उपराष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भी विशेष सराहना की। उन्होंने कहा, आप सिर्फ नाम से नहीं, हर दृष्टि से मनमोहन हैं। आपने दिल्ली के दिल पर असर छोड़ा है। आपकी सांस्कृतिक सोच और नाट्य प्रेम इस आयोजन में झलकता है।