महाकाल का सम्राट अशोक ब्रिज बना दूर का दर्शन

फरवरी में लोकार्पित ब्रिज दो माह बाद भी उपयोग के लिए नहीं खुला

उज्जैन अग्निपथ। श्री महाकाल मंदिर में रुद्र सागर पर बना सम्राट अशोक ब्रिज आम लोगों के लिए दूर का दर्शन साबित हो रहा है। ऐसे तो इस ब्रिज का लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 फरवरी को ही कर चुके हैं। लेकिन दो महीने बाद भी यह ब्रिज सिर्फ दूर से ही दर्शन के काम आ रहा है। इस पर आवागमन अभी तक शुरू नहीं हुआ है।

चार धाम मंदिर की ओर से महाकाल मंदिर की ओर आने के लिये यह ब्रिज बनाया गया था। रुद्रसागर पर यह ब्रिज उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा 25 करोड़ 22 लाख रुपए की लागत से निर्माण कराया गया है। पुल की लंबाई 200 मीटर और चौड़ाई 6 मीटर है। पुल के मध्य में 19 मीटर चौड़ा व्यू एरिया बनाया गया है।

दावा किया गया है कि यहां से श्रद्धालु रुद्रसागर की खूबसूरती और महाकाल मंदिर के शिखर दर्शन कर सकेंगे। साथ ही चारधाम मंदिर-हरसिद्धि मंदिर की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को इस पुल से बड़ी राहत मिलेगी। इस पुल के उपयोग से महाकाल मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार मानसरोवर द्वार तक जाने में दर्शनार्थियों को डेढ़ किलोमीटर कम चलना पड़ेगा।

जानकारों ने बनवाया फिर भी तकनीकी गलतियां छोड़ी

इस पुल का लोकार्पण 15 फरवरी 2025 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया था। उसी वक्त इसका नाम भी सम्राट अशोक पर किया गया था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि निर्माणकर्ताओं ने पुल में कई तकनीकी खामियां छोड़ दी थी जो पुल से गुजरने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा पर खतरा थे।

जैसे पुल के रैलिंग में लगे पत्थर कमजोर थे जो मामूली चोट में ही टूट रहे थे। रैलिंग के बीच गैप भी अधिक था जिसमें से कोई भी पुल के नीचे रुद्रसागर मेें गिर सकता था। यह खामियां उजागर होने के बाद सुरक्षा कारणों से पुल को बंद रखा गया है। रैलिंग में अधिक गैप होने के कारण इसे भरने का काम चल रहा है।

कार्रवाई नहीं, सिर्फ खामियां दूर करवा रहे हैं

सूत्रों के मुताबिक पुल का निर्माण तकनीकी जानकारों के मार्गदर्शन में हुआ है। समय-समय पर पुल का निरीक्षण कर स्मार्ट सिटी के तकनीकी जानकार और अफसरों ने निर्माण कार्य की ओके रिपोर्ट जारी की। जिसके आधार पर ही पुल का लोकार्पण किया गया। लेकिन जब खामी उजागर हुई तो अब जिम्मेदार सिर्फ उन खामियों को दूर करवा रहे हैं।

लेकिन खामियां छूटने के जिम्मेदारों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। अब प्रयास यह किया जा रहा है कि कैसे भी आनन-फानन में कमियों पर पर्दा डालकर उसे जनता के लिए खोला जाये। तकनीकी गलतियों के कारण बाद में जो भी अनहोनी होगी, उसका फंदा डालने के लिये नई गर्दन तलाश ली जायेगी।

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