बड़ोद , अग्निपथ. क्षेत्र के ग्राम गुडबेली में 9 वर्षीय मासूम आयुष मेघवाल की निर्मम हत्या ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। वारदात एक चौंकाने वाला सच भी सामने लाया है। मासूम की बेरहमी से हत्या करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका ही 14 वर्षीय परिचित किशोर निकला, जिसने पहले उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य किया और फिर इस जघन्य अपराध को छिपाने के लिए आयुष की जान ले ली।
यह हृदय विदारक घटना 17 जुलाई की है, जब आयुष, पिता पन्नालाल मेघवाल के अचानक लापता होने की खबर से गांव में हड़कंप मच गया था। उसी दिन देर रात, आयुष का शव एक निर्माणाधीन मकान के पीछे प्लास्टिक की बोरी में मिलने से ग्रामीणों में दहशत फैल गई। सूचना मिलते ही बड़ोद पुलिस अधिकारी, एफएसएल टीम, डॉग स्क्वायड और फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ मौके पर पहुंचे और वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाए गए। इसमें लकड़ी के पलंग के पाए पर खून के निशान, खून के धब्बे और शव को घसीटे जाने के निशान शामिल थे।
पुलिस जांच में जो खुलासा हुआ, वह बेहद भयावह है। पड़ोस में रहने वाले 14 वर्षीय किशोर ने आयुष के साथ अनैतिक कृत्य किया। अपने इस घिनौने कृत्य को छिपाने के लिए उसने मासूम आयुष पर पहले तो पलंग के पाए से वार किया और फिर रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को प्लास्टिक की बोरी में भरकर फेंक दिया गया।
आरोपी बालक संप्रेषण गृह भेजा गया
थाना प्रभारी कृष्णकांत तिवारी ने बताया कि गहन पड़ताल के दौरान एक किशोर पुलिस के संदेह के दायरे में आया। कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इसके बाद पुलिस ने उसे किशोर न्यायालय बोर्ड आगर के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से मिले आदेश पर उसे बाल संप्रेषण गृह उज्जैन भेज दिया गया है।
समाज को इस घटना से सबक लेना चाहिए
एसडीओपी मोतीलाल कुशवाहा ने सभी माता-पिता से विशेष अनुरोध किया है कि वे अपने बच्चों के मोबाइल उपयोग पर कड़ी नजर रखें और देखें कि वे किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं और क्या सर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी के मोबाइल में ऐसे कई आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं, जो उसके इस जघन्य कृत्य की वजह हो सकते हैं।
आज के डिजिटल युग में हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, यह सोचने पर विवश करता है। एक 14 साल के किशोर द्वारा 9 साल के बच्चे के साथ अनैतिक कृत्य कर, गला घोंटकर हत्या करना और फिर शव को ठिकाने लगाना, यह घटना हमें झकझोर देती है।
हर माता-पिता को इस ओर ध्यान देना होगा कि अपने नाबालिग बच्चों को सोशल मीडिया और आपत्तिजनक कंटेंट से दूर रखें, उन पर कड़ी निगरानी रखें, तभी हमारे बच्चे सुरक्षित रह पाएंगे। अन्यथा, भविष्य में इससे भी भयानक घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। ऐसे बच्चों के लिए मनोचिकित्सक डॉक्टर की सलाह लेना भी अत्यंत आवश्यक है।