धार में किसानों की दुर्गति: नकली बीज और भारी बारिश से सोयाबीन की फसल बर्बाद

धार में किसानों की दुर्गति: नकली बीज

तीसरी बोवनी की नौबत

धार, अग्निपथ। इस साल धार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। मानसून की शुरुआत से ही किसानों को एक नहीं, बल्कि दो से तीन बार दोहरी मार झेलनी पड़ी है। बीज माफिया द्वारा बेचे गए कथित नकली बीजों और अनवरत मानसूनी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है, जिसके चलते कई किसानों को दो से तीन बार बोवनी करनी पड़ रही है।

जिले के अनाड़, सकतली, पचलना, तोरनोज, बिल्लोदा आदि गांवों के किसानों को नकली बीज समस्या सबसे ज्यादा झेलनी पड़ी है। इस बार भी जिले में करीब 3 लाख 10 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की गई थी, लेकिन खराब बीज के बावजूद कृषि विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। बता दें कि धार जिला प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

शुरुआत से ही दिक्कत: अंकुरण में समस्या और खेत में ही सड़ा बीज

जिले में मानसून की दस्तक के बाद लगभग हर दिन बारिश हो रही थी। किसानों ने 22 जून से 1 जुलाई के बीच सोयाबीन की बोवनी की, लेकिन कई जगहों पर फसल में अंकुरण ही नहीं हो सका। बीज जमीन के अंदर ही सड़ गया। इसके अलावा, एक सप्ताह की सोयाबीन की फसल के छोटे पौधे लगातार जलजमाव के कारण गल गए।

किसानों ने बताया कि प्रारंभिक अनुकूलता के बाद भी उन्हें अंकुरण में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। खेतों में अत्यधिक नमी, जड़ गलन रोग और दवाइयों के सही उपयोग न होने को भी इसका कारण माना जा रहा है। यदि बोवनी के बाद एक बार भी धूप या मौसम खुलता तो बीज को गर्मी मिलती और अंकुरण ठीक हो पाता, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया, जो कि मौसम की बड़ी परेशानी रही।

बार-बार बोवनी से खेत हुए खराब, बढ़ गई लागत

बारिश और अत्यधिक नमी के चलते सोयाबीन सहित अन्य मौसमी फसलों का अंकुरण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस बार सोयाबीन की बुवाई के बाद बीज खेत में ही खराब हो रहे हैं, जिससे किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। खेतों में बीज सडऩे और अंकुरण से पहले ही गलने की घटनाएं सामने आ रही हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों का निरीक्षण किया। वैज्ञानिक जीएस गठिया का कहना है कि पिछली बार की सोयाबीन कटाई के दौरान वाले बीज में भी दिक्कत आई थी। उन्होंने बताया कि बोवनी के बाद लगातार पानी गिरने और नमी की आर्द्रता व तापमान भी अंकुरण प्रभावित होने का मुख्य कारण रहा है।

अंकुरण का दावा फेल, बाहर से आए नकली बीज में ज्यादा दिक्कत

किसान दिलीप डोडिया ने बताया कि इस बार बीज को लेकर चिंताजनक स्थिति रही। उन्होंने कहा कि किसानों के नकली बीज के अंकुरण का प्रतिशत कमजोर रहा है, खासकर उन बीजों में जो बीज बेचने वाले किसानों या व्यापारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हुए बीजों में इस तरह के हालात नहीं बने हैं। जो बीज बाहर से या आसपास के गांवों के किसानों से लिया गया, वह खरा नहीं उतर पाया है। अब किसानों को अर्ली वैरायटी किस्मों की बोवाई करनी पड़ रही है, जिसकी कटाई भी पहले हो जाएगी।

गुणवत्ता वाले बीज निकले नकली, बढ़ी किसानों की परेशानी

किसानों का कहना है कि उन्होंने अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीदे थे, फिर भी बीज खेत में खराब हो गए। इससे उन्हें दोबारा बुवाई करनी पड़ रही है, जिससे लागत बढ़ गई है और समय भी बर्बाद हो रहा है। कृषि विभाग ने पहले ही किसानों को सतर्क रहने के लिए आगाह किया था, लेकिन बीज माफियाओं द्वारा बेचे गए खराब बीजों ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

निरीक्षण में पाया गया कि सोयाबीन की फसल में अंकुरण प्रभावित रहा है। कुछ बीज जमीन के अंदर ही सड़ गए हैं और कई पौधे जमीन के नीचे सडऩ के कारण मर गए थे। इसका मुख्य कारण बुवाई के समय और उसके बाद खेतों में अत्यधिक नमी है, जिससे पिथियम, फायटोपथोरा और राइजोक्टोनिया जैसे हानिकारक फफूंद तेजी से पनप कर बीज व पौधों को खत्म कर दिया।

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