e-attendance| ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ शिक्षकों का जोरदार प्रदर्शन: गरिमा और व्यावहारिकता पर उठे सवाल

e-attendance को लेकर विरोध

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन प्रेस क्लब हाउस में आज ई-अटेंडेंस संघर्ष मोर्चा (E-Attendance Struggle Front) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली (e-attendance) के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह प्रणाली कर्मचारियों/शिक्षकों की गरिमा, व्यावसायिक स्वतंत्रता और कार्य की प्रकृति के विरुद्ध है। इस नई प्रणाली को शिक्षा व्यवस्था के लिए एक अनावश्यक बोझ बताते हुए, मोर्चा ने सरकार से इसे तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की मांग की है।

ई-अटेंडेंस: शिक्षकों पर अनावश्यक निगरानी का प्रयास

मोर्चा के पदाधिकारियों – जिला संयोजक मनोहर गिरी, एवं अध्यक्षीय मंडल के ओपी यादव, डॉ. कैलाश बारोठ, शेख मोहम्मद हनीफ, प्रेमप्रकाश पंड्या – ने बताया कि अधिकारियों द्वारा शिक्षकों पर अनावश्यक निगरानी थोपने का प्रयास किया जा रहा है। उनका तर्क है कि शिक्षकों की भूमिका केवल उपस्थिति दर्ज करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रणाली शिक्षकों के शैक्षणिक कार्यों से ध्यान भटकाने वाली है, जो शिक्षा व्यवस्था के मूलभूत ढांचे को प्रभावित करती है।

व्यावहारिक समस्याएँ और मानवीय पहलू

ई-अटेंडेंस संघर्ष मोर्चा का मानना है कि यह प्रणाली जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाती और शिक्षकों/कर्मचारियों की गरिमा के अनुकूल नहीं है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी नेटवर्क और तकनीकी समस्याएँ हैं, जिससे सही ढंग से उपस्थिति दर्ज कर पाना संभव नहीं है। उन विद्यालयों में जहाँ बिजली, नेटवर्क, संसाधन और बुनियादी ढाँचा तक नहीं है, वहाँ e-attendance की अनिवार्यता एक प्रकार से शिक्षकों को दंडित करने जैसा प्रतीत होता है। शिक्षकों को अपने मोबाइल और डेटा से काम चलाने को मजबूर होना पड़ रहा है, जो न्यायसंगत नहीं है।

मोर्चा ने इस प्रणाली की अमानवीयता पर भी प्रकाश डाला। यदि किसी दिन नेटवर्क फेल हो जाता है, मोबाइल गुम हो जाता है, खराब हो जाता है, चार्ज नहीं हो पाता, या शिक्षक/कर्मचारी किसी आपात स्थिति में होते हैं, तो भी उन्हें अनुपस्थित मान लिया जाता है। उन्हें अपना पक्ष रखने तक का मौका नहीं दिया जाता। यह e-attendance प्रणाली पूरी तरह से अमानवीय प्रतीत होती है, और यह मानसिकता कि शिक्षक “कर्तव्यविमुख” हैं, शिक्षक समाज के मनोबल को तोड़ रही है।

e-attendance को लेकर प्रमुख आपत्तियाँ और माँगें

मोर्चा ने e-attendance प्रणाली को लेकर अपनी मुख्य आपत्तियाँ और व्यावहारिक समस्याएँ प्रस्तुत कीं:

  • नेटवर्क और तकनीकी अव्यवस्था: ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में आज भी सिग्नल नहीं आता, जिससे ई-अटेंडेंस एक बोझ बन गया है, जबकि सभी कार्यालयों में उपस्थिति और मॉनिटरिंग की पर्याप्त व्यवस्था है।
  • संसाधनों का अभाव: शिक्षक स्वयं के मोबाइल और डेटा से काम चलाने को मजबूर हैं।
  • शिक्षा से भटकाव: शिक्षक का कार्य पढ़ाना-लिखाना है, न कि मोबाइल नेटवर्क से जूझना। ई-अटेंडेंस व्यवस्था निश्चित ही शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी।
  • मानवता की अवहेलना: आपात स्थितियों में भी अनुपस्थिति दर्ज करना अमानवीय है।
  • शिक्षक वर्ग की गरिमा को ठेस: अधिकारियों द्वारा “कर्तव्यविमुख” मानने की मानसिकता से शिक्षक समाज का मनोबल टूट रहा है।

e-attendance संघर्ष मोर्चा की प्रमुख माँगें हैं:

  • ई-अटेंडेंस को अनिवार्य के स्थान पर वैकल्पिक किया जाए, जब तक सभी विद्यालयों/कार्यालयों में नेटवर्क, डिवाइस और संसाधनों की व्यवस्था न हो जाए।
  • इस प्रणाली को लागू करने से पहले शिक्षक/कर्मचारी संगठनों से विचार-विमर्श कर व्यावहारिक समाधान निकाला जाए और उन्हें विश्वास में लिया जाए।
  • जहाँ अटेंडेंस आवश्यक हो, वहाँ सरकार द्वारा प्रमाणित उपकरण व नेटवर्क सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

आंदोलन की चेतावनी

शिक्षक/कर्मचारी समाज की यह सामूहिक आवाज है कि वे शिक्षा के क्षेत्र में इस नई तकनीक का विरोध नहीं करते, बल्कि स्वागत करते हैं, परंतु अधिकारियों द्वारा थोपे गए और अव्यवस्थित प्रयोगों से वे असहमत हैं। इसी को लेकर 5 जुलाई, 2025 को शाम 4 बजे से कालिदास अकादमी कोठी रोड से जिले भर के 3 हजार शिक्षक/कर्मचारी मौन रैली और हाथ में तख्तियाँ लेकर 5 बजे कोठी पैलेस पहुँचकर मुख्यमंत्री के नाम जिलाध्यक्ष को ज्ञापन देंगे। मोर्चा ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी माँगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो वे प्रदेश स्तरीय चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

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