उज्जैन, अग्निपथ. उज्जैन में मानसून से पहले नगर निगम की तैयारियों की समीक्षा बैठक में समस्याओं का अंबार सामने आया! मंगलवार को महापौर मुकेश टटवाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मानसून से पहले उज्जैन नगर निगम की ‘आधी-अधूरी’ तैयारी की पोल खुल गई. बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों के साथ-साथ कई अन्य मुद्दों पर भी तीखी बहस हुई। चौंकाने वाली बात यह रही कि चक्रतीर्थ पर शवों के स्नान के लिए पानी उपलब्ध न होने का गंभीर मुद्दा भी गरमाया।
इसके अलावा, शहर में आवारा गौवंशों से बढ़ती परेशानी और तीन-चार साल से गिरा पड़ा हाईमास्ट जैसी लापरवाही के मामले भी उठे, जिस पर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगी। महापौर ने जहां तत्काल समस्याओं के समाधान के निर्देश दिए, वहीं कुछ अधिकारियों की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई गई।
चक्रतीर्थ पर पानी का संकट और गौवंशों का आतंक: बैठक में गरमाए मुद्दे
समीक्षा बैठक के दौरान जलकार्य समिति प्रभारी प्रकाश शर्मा ने बताया कि मंगलवार को चक्रतीर्थ मोक्षधाम में शवों को स्नान कराने के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो सका। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई क्योंकि महापौर ने पिछली बैठक में चक्रतीर्थ की व्यवस्था चाकचौबंद रखने के निर्देश दिए थे। इस पर सहायक यंत्री दिलीप नौदाने ने सफाई दी कि कुछ समय के लिए पंप बंद हो गए थे, जिसके चलते ऐसी स्थिति पैदा हुई।
वहीं, शहर में आवारा घूम रहे गौवंशों को लेकर भी बैठक में तीखी बहस हुई। महापौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गौवंशों के कारण जनहानि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस पर उपायुक्त संकेश गुप्ता ने बताया कि एक दिन में केवल 20 गौवंशों को ही पकड़ा जा सकता है और उन्हें रखने के लिए कोई कांजी हाउस (खिड़की) उपलब्ध नहीं है।
इस पर एमआईसी सदस्य योगेश्वरी राठौर ने हाथ जोड़कर कहा, “कृपया भाजपा बोर्ड की लाज रख लें।” महापौर ने तत्काल गौवंशों को शहर की अन्य खिड़की में पहुँचाने के निर्देश दिए और कहा कि यदि खिड़की न हो तो उन्हें कपिला गौशाला पहुँचाया जाए।
लापरवाही की हद: तीन-चार साल से गिरा पड़ा हाईमास्ट नहीं उठाया गया
समीक्षा बैठक में शहर की पथ प्रकाश व्यवस्था का मुद्दा भी ज़ोरों से उठा। बैठक में बताया गया कि ठेकेदार द्वारा कर्मचारी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं, जिससे व्यवस्था चरमराई हुई है। प्रकाश विभाग प्रभारी जादौन ने भी इस अव्यवस्था को स्वीकार किया, जिस पर डिप्टी कमिश्नर पवनसिंह बेहद नाराज़ हुए।
एमआईसी सदस्य कैलाश प्रजापत ने लापरवाही की हद बताते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में एक हाईमास्ट पिछले तीन-चार साल से ज़मीन पर पड़ा हुआ है। उन्होंने कई बार इसे उठाने को कहा, लेकिन कोई उठाने नहीं आता। बैठक में यह भी सामने आया कि निगम आयुक्त आशीष सिंह, संदीप शिवा और डिप्टी कमिश्नर कृतिक भीमवत को बुलाने के बावजूद वे बैठक में नहीं पहुँचे, जिस पर सवाल उठे।
बैठक में एमआईसी सदस्य सत्यनारायण चौहान, शिवेंद्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, श्री रजत मेहता, जितेंद्र कुवाल, कैलाश प्रजापत, श्रीमती दुर्गा शक्ति सिंह चौधरी, डॉ. योगेश्वरी राठौर, श्रीमती सुगन बाबूलाल बाघेला, अपर आयुक्त पवन कुमार सिंह, अपर आयुक्त वित्त पुनीत शुक्ला, उपायुक्त योगेंद्र सिंह पटेल, संदेश गुप्ता, मनोज मौर्य, सहायक आयुक्त प्रफुल्ल गठरे, प्रवीण मुकाती, राघवेंद्र सिंह पालिवा, रविकांत मगरदे, पवन कुमार फुलफकीर, प्रदीप सेन, कार्यपालक यंत्री पीसी यादव, लक्ष्मण प्रसाद साहू, वैभव भावसार, सहायक यंत्री एवं स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।
बारिश की समस्या का तत्काल समाधान हो: महापौर
महापौर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बारिश के समय नागरिकों द्वारा बताई जाने वाली शिकायतों का तत्काल समाधान किया जाए। उन्होंने बताया कि प्राप्त शिकायतों की निगरानी नगर पालिका निगम द्वारा कंट्रोल रूम से की जाती है, जिसका नंबर है। इस नंबर पर नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज करवा कर बारिश के दौरान होने वाली समस्याओं का समाधान करवा सकते हैं।
अपर आयुक्त पवन कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम द्वारा बारिश के दौरान जिन क्षेत्रों में जल भराव की स्थिति निर्मित होती है, वहाँ विशेष रूप से व्यवस्थाएँ की गई हैं, ताकि अतिवृष्टि के दौरान क्षेत्र के नागरिकों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। साथ ही, निचली बस्तियों के नाले-नालियों की सफाई की गई है और शहर के प्रमुख बड़े नालों की सफाई का कार्य भी निगम द्वारा किया गया है।
यह समीक्षा बैठक इस बात पर प्रकाश डालती है कि उज्जैन में नगर निगम को अभी भी बुनियादी ढाँचे और नागरिक सुविधाओं को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर मानसून के मद्देनज़र। अधिकारियों को न केवल तात्कालिक समस्याओं पर ध्यान देना होगा, बल्कि दीर्घकालिक समाधानों पर भी काम करना होगा ताकि शहरवासियों को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े।