अर्जुन के बाण: उज्जैन के लिये हाथ में रेत की तरह गुजरने वाला एक-एक दिन महत्वपूर्ण

अर्जुन सिंह चंदेल

हे नीलकंठ! अब वर्षों बाद मेरी उज्जैयिनी का भाग्योदय हुआ है। प्रदेश को राजा (मुख्यमंत्री) इस नगरी से मिला है। अब इस शहर के लिये प्रत्येक दिन बहुत महत्वपूर्ण है। उज्जैन में पदस्थ सारे प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों, सभी राजनैतिक दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं, मीडिया के समस्त बंधुओं के साथ ही प्रत्येक उज्जैनवासी का भी यह दायित्व है कि वह शहर के विकास की गति को तेज करने के लिये अपने कत्र्तव्यों का पालन करे और सरकार को सहयोग प्रदान करे। यह स्वर्णिम समय फिर दोबारा से लौटकर आने वाला नहीं है।

प्रभु! अब यह देश के अन्य 100 शहरों की तरह वाली सामान्य स्मार्ट सिटी नहीं है अब यह 7 करोड़ के मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय मोहन जी के गृह नगर वाली स्मार्ट सिटी है। ‘मेरी उज्जैयिनी सबसे नियारी’ अब यह धरातल पर भी दिखना चाहिये। अब तक जो हुआ सो हुआ। अब स्मार्ट सिटी के सारे प्रोजेक्टों की पुन: समीक्षा होना चाहिये, महाकाल क्षेत्र का विस्तार और सौंदर्यीकरण तो हो चुका अब शहर के 7 लाख बाशिंदों के जीवन में हम क्या परिवर्तन ला सकते हैं, शहर को कैसे आज के अत्याधुनिक समय के हिसाब से अपडेट किया जा सकता है इस पर मंथन होना चाहिये।

अभी तो स्मार्ट सिटी के सारे कार्य भगवान भरोसे ही चल रहे हैं। प्रदूषण बताने वाले टाँगे गये डिस्पले बोर्ड एक ही आँकड़ा महीनों तक बता रहे हैं, क्षिप्रा के पानी का प्रदूषण बताने वाले बोर्ड के भी यही हाल है। आई.टी. कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण, सुशासन ई गवर्नेस, टिकाऊ पर्यावरण जैसे कार्य दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं।

बदहाली का आलम यह है कि स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अधिकारियों ने महानंदानगर क्षेत्र में दो-तीन वर्षों पूर्व करोड़ों की लागत से सायकल टे्रक बनवा दिया, कुछ सायकलें भी दो चार जगह शो पीस की तरह रखवा दी वर्तमान में उस सायकल ट्रेक का क्या उपयोग हो रहा है, खरीदी गयी सायकलें कहाँ गयी इसका पता तो प्रभु आपको ही लगाना होगा, हम भोले-भाले उज्जैनवासियों के वश की बात नहीं है।

माननीय मुख्यमंत्री जी यदि आप तक हमारी बात पहुँच जाये तो मेहरबानी करके उज्जैन की स्मार्ट सिटी में ईमानदार, तेज-तर्रार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की तैनाती कीजिये साथ ही पूरे प्रदेश के कत्र्तव्यनिष्ठ शासकीय कर्मचारियों की भी यहाँ प्रतिनियुक्ति पर पदस्थी कीजिये।

थके हारे, और सेवानिवृत्त अधिकारियों से काम नहीं चलने वाला है। पूर्व में पी.एच.ई. से सेवानिवृत्त एक इंजीनियर यहाँ से माल जीम कर कोटा पूरा होने पर बोरिया-बिस्तर बाँधकर रवाना हो चुके हैं। उज्जैन नगर के लिये समय रेत की तरह हाथ से निकल रहा है। मुख्यमंत्री पद पर रहते आप इस उज्जैयिनी को जितना दे पायेंगे वह आपका पुण्य प्रताप होगा जिसे यह शहर और इसके नागरिक सदियों तक याद रखेंगे। उम्मीद करता हूँ महाकाल और मेरे ‘मोहन’ से कि मेरा लेखन और पत्रकारिता का धर्म उपने उद्देश्यों में सफल होगा।
जय महाकाल

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