आगर, अग्निपथ. आगर जिले का शासकीय जिला अस्पताल इन दिनों अपनी बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में है। सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के कितने भी वादे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। आगर मालवा का जिला शासकीय अस्पताल इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहाँ मरीजों को आए दिन किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
हाल ही में अस्पताल की पानी की टंकी में मृत कबूतर के अवशेष मिलने से मरीजों और सामाजिक संगठनों ने भारी नाराजगी जताई थी। उस समय अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कर दिया था, लेकिन समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं।
आईसीयू में एसी बंद, मरीज गर्मी से परेशान
ताजा मामला अस्पताल के गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) से जुड़ा है, जहाँ पिछले कई दिनों से एयर कंडीशनर (एसी) बंद पड़ी है। आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीज भीषण गर्मी के कारण बेहद परेशान हैं। आईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में एसी का बंद होना कोई छोटी बात नहीं, बल्कि यह अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। आईसीयू में उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जाता है जिनकी हालत अत्यंत गंभीर होती है, और ऐसे में एसी बंद होने से उन मरीजों पर क्या बीत रही होगी, यह सिर्फ वही महसूस कर सकते हैं।
स्टाफ का मरीजों के प्रति दुर्व्यवहार
जिला अस्पताल में अक्सर यह भी देखा गया है कि वार्ड में भर्ती मरीजों के साथ स्टाफ का व्यवहार ठीक नहीं रहता। स्टाफ के दुर्व्यवहार से मरीज अपनी बीमारी के साथ-साथ मानसिक पीड़ा का भी सामना करने को मजबूर होते हैं। यदि कोई मरीज इसका विरोध करता है, तो उसे रेफर या डिस्चार्ज करने की धमकी दी जाती है, जिससे मजबूर मरीज अपनी बीमारी के कारण चुपचाप सब सहते रहते हैं।
डॉक्टरों की लेटलतीफी और निजी प्रैक्टिस
जिला अस्पताल में मरीजों को अक्सर डॉक्टरों के चैंबर के बाहर लंबे समय तक इंतजार करते देखा जाता है। इसका मुख्य कारण डॉक्टरों का समय पर ड्यूटी पर न पहुँचना है। कई डॉक्टर अपनी शासकीय ड्यूटी की बजाय पहले अपने निजी निवास पर मरीजों को देखते हैं। इन निजी क्लीनिकों पर मरीजों की भारी भीड़ रहती है, क्योंकि बहुत से मरीज अस्पताल की परेशानियों से बचने के लिए इन डॉक्टरों के निजी आवास पर इलाज कराना बेहतर समझते हैं।
इन डॉक्टरों को यह ध्यान नहीं रहता कि ग्रामीण अंचल से आए मरीज अस्पताल में उनका इंतजार कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, अस्पताल में इंतजार कर रहे मरीज बेहद परेशान होते हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देना चाहिए ताकि डॉक्टर समय पर अस्पताल पहुँच सकें और मरीजों को उचित उपचार मिल सके।