टनल निर्माण अंतिम चरण में
धार, अग्निपथ। जिले में अब रेल के इंतजार की घड़ी धीरे-धीरे खत्म होने जा रही है। इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट के तहत टीही से धार तक के हिस्से में निर्माण कार्य तेज हो गया है। 46 किलोमीटर लंबे इस हिस्से में से 35 किलोमीटर ट्रैक तैयार हो चुका है, जहाँ रेलवे ने अस्थायी पटरियाँ भी बिछा दी हैं। टनल के दूसरी ओर पीथमपुर स्टेशन तक और पीथमपुर से धार के करीब 8-10 किलोमीटर पहले तक तेजी से काम चल रहा है।
प्रोजेक्ट के सभी चार नए स्टेशन – पीथमपुर, सागौर, गुणावद और धार – की बिल्डिंग बन चुकी है और अब इन पर फिनिशिंग का काम चल रहा है। रेलवे के कंस्ट्रक्शन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनका ज्यादातर काम तैयार है। टनल में हो रही देरी के कारण काम अटका हुआ था, लेकिन अब टनल तैयार होते ही बाकी बचे काम को जल्द पूरा किया जाएगा।
आदिवासी अंचल में आजादी के बाद से अब तक ट्रेन नहीं पहुँची है। यहाँ 3 किलोमीटर लंबी टनल से गुजरकर ट्रेनें पहुँचेंगी। इस चुनौतीपूर्ण हिस्से में टनल के निर्माण के बाद पश्चिम मध्य प्रदेश रेलवे नेटवर्क को धार, झाबुआ के अलावा अब सीधे गुजरात से जोड़ा जा सकेगा।
इंदौर और मुंबई की दूरी होगी कम
204 किलोमीटर लंबी इंदौर-दाहोद रेल परियोजना मध्य प्रदेश को गुजरात से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके शुरू होने से इंदौर और मुंबई के बीच की दूरी कम हो जाएगी, जिससे मुंबई और गुजरात के लिए एक नया और कम दूरी का रेल रूट उपलब्ध हो सकेगा। इस प्रोजेक्ट से प्रदेश का आदिवासी अंचल भी सीधे पीथमपुर और इंदौर के रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगा।
पीथमपुर क्षेत्र में पटरी बिछाने से लेकर टनल फिनिशिंग का काम अंतिम चरण में है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, फरवरी 2026 में टीही में बन रही करीब 3 किलोमीटर लंबी टनल का काम पूरा हो जाएगा।
टनल की डेडलाइन फरवरी 2026 निर्धारित
इंदौर-दाहोद प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन फरवरी 2026 तय की गई है। इंदौर से धार की कनेक्टिविटी में पीथमपुर से आगे टिही का पहाड़ी क्षेत्र सबसे बड़ी बाधा थी। टिही के आगे बनाई जा रही लगभग 2.95 किलोमीटर लंबी टनल में से अब तक 1.87 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है, जहाँ रेलवे ट्रैक बिछाने का काम भी शुरू हो गया है। यह टनल का काम दिसंबर तक पूरा होना था, लेकिन अब इसकी डेडलाइन फरवरी 2026 निर्धारित की गई है।
टनल का काम 2017-18 में शुरू हुआ था, लेकिन बीच में बारिश के कारण काम रुका रहा। जून 2023 में एक नई कंपनी द्वारा यह काम फिर से शुरू किया गया, जिसे अब तेजी से पूरा किया जा रहा है।
इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट की टनल की विशेषता
इंदौर-दाहोद रेलवे प्रोजेक्ट की यह टनल जमीन से 20 मीटर (लगभग 65 फीट) नीचे बन रही है, जो 8 मीटर (लगभग 26 फीट) ऊँची और इतनी ही चौड़ी है। इसे बनाने में रेलवे को 1000 से ज्यादा ब्लास्ट करने पड़े। टनल के अंदर से 1.75 लाख क्यूबिक मीटर मलबा निकाला गया है।
टनल को ड्रिल और ब्लास्ट तकनीक से बनाया जा रहा है, जिसमें ब्लास्ट करने के बाद लोहे की फ्रेम का सपोर्ट देकर प्रेशर मशीन से कंकरीट भरा जाता है।
1680 करोड़ रुपये है प्रोजेक्ट की लागत
इंदौर-दाहोद रेलवे प्रोजेक्ट 2008 में स्वीकृत हुआ था, जिसकी वर्तमान में लागत 1680 करोड़ रुपये से अधिक है। इस प्रोजेक्ट में 200.97 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन डाली जा रही है। वर्तमान में इंदौर से टिही के बीच 21 किलोमीटर और दाहोद से कठ्ठीवाला के बीच 16 किलोमीटर हिस्से में काम पूरा हो चुका है।
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से इंदौर के बाद राऊ, टिही, पीथमपुर, सागौर, गुणावद और धार स्टेशन इस नेटवर्क से जुड़ जाएँगे।
जनवरी में ट्रैफिक चालू करने का प्लान और आरओबी का काम
इंदौर-अहमदाबाद फोरलेन पर बन रहे आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) की एक पट्टी का काम 90 प्रतिशत हो चुका है। रेलवे ने इसमें ट्रेन क्रॉसिंग वाले हिस्से में लोहे की गर्डर का काम 15 दिसंबर तक पूरा करने की डेडलाइन तय की है।
वहीं, नागदा-गुजरी फोरलेन पर बने फ्लायओवर को तोड़ने का काम भी समय से पहले ही पूरा कर लिया गया है और आरओबी का निर्माण शुरू हो चुका है, जिसकी डेडलाइन मार्च 2026 है। अधिकारियों का कहना है कि वे काम में देरी नहीं करेंगे, क्योंकि इसी ब्रिज के नीचे से ट्रेन को स्टेशन तक पहुँचना है, इसलिए समय पर काम करना आवश्यक है।
