उज्जैन डायसिस को मिला आर्चडायसिस का दर्जा, बिशप वडक्केल बने प्रथम आर्चबिशप

उज्जैन आर्चडायसिस बिशप वडक्केल

उज्जैन, अग्निपथ। मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और धार्मिक नगर उज्जैन के कैथोलिक समुदाय के लिए सोमवार का दिन एक नई सुबह लेकर आया। लगभग पाँच दशकों की समर्पित सेवा और आध्यात्मिक नेतृत्व के बाद, उज्जैन कैथोलिक डायसिस (धर्मप्रांत) को अब ‘ आर्चडायसिस ‘ (महाधर्मप्रांत) का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया गया है।

देवास रोड स्थित कैथोलिक चर्च में आयोजित एक भव्य और गरिमामय समारोह में, रोमन कैथोलिक चर्च के उज्जैन डायसिस (धर्मप्रांत) को पदोन्नत कर आर्चडायसिस (महाधर्मप्रांत) का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर, उज्जैन के द्वितीय बिशप  सेबास्टियन वडक्केल जी को इस नवगठित आर्चडायसिस का प्रथम आर्चबिशप (महाधर्माध्यक्ष) नियुक्त किया गया। इस घोषणा के साथ ही संपूर्ण परिसर प्रार्थना, जयकारों और शुभकामनाओं से गूंज उठा।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में बड़ी संख्या में पुरोहित और ईसाई समुदाय के लोग उपस्थित थे। सभी ने मिलकर अपने बिशप के आर्चबिशप बनने की खुशी मनाई और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। यह क्षण न केवल एक प्रशासनिक पदोन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह इस क्षेत्र में कैथोलिक चर्च की वृद्धि, स्थिरता और सामाजिक योगदान की एक महत्वपूर्ण स्वीकृति भी है।

क्या है डायसिस और आर्चडायसिस का महत्व?

आम लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैथोलिक चर्च में डायसिस और आर्चडायसिस का क्या अर्थ है और यह पदोन्नति क्यों इतनी मायने रखती है।

  • डायसिस (धर्मप्रांत): कैथोलिक चर्च की प्रशासनिक व्यवस्था में, एक डायसिस एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है, जिसका आध्यात्मिक नेतृत्व एक बिशप (धर्माध्यक्ष) करते हैं। बिशप को उस क्षेत्र के ‘गड़रिये’ के रूप में देखा जाता है, जो अपने समुदाय की आध्यात्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक देखभाल के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे चर्च के सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करते हैं, पुरोहितों का मार्गदर्शन करते हैं और विश्वासियों को संस्कार प्रदान करने की व्यवस्था करते हैं।
  • आर्चडायसिस (महाधर्मप्रांत): जब कोई डायसिस आकार, ऐतिहासिक महत्व या आबादी के मामले में प्रमुख हो जाता है, तो उसे ‘आर्चडायसिस’ का दर्जा दिया जा सकता है। यह एक बड़ा और अधिक महत्वपूर्ण कलीसियाई क्षेत्राधिकार होता है। इसका नेतृत्व एक आर्चबिशप (महाधर्माध्यक्ष) करते हैं।

आर्चबिशप के पास अपने स्वयं के आर्चडायसिस में एक बिशप के सभी अधिकार और कर्तव्य होते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त उन्हें एक विशेष जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है। वे अपने ‘महानगरीय प्रांत’ के भीतर आने वाले अन्य, छोटे डायसिस के लिए एक पर्यवेक्षक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। इन सहायक डायसिस को ‘सफ्रगन डायसिस’ कहा जाता है। आर्चबिशप इन डायसिस के बिशपों के साथ समन्वय स्थापित करते हैं और चर्च के कार्यों में एकरूपता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

उज्जैन के आर्चडायसिस बनने के साथ ही, इसके अंतर्गत जगदलपुर, सागर और सतना के डायसिस को सफ्रगन डायसिस के रूप में शामिल किया गया है। इसका अर्थ है कि आर्चबिशप सेबास्टियन वडक्केल अब उज्जैन महाधर्मप्रांत का नेतृत्व करने के साथ-साथ इन तीन धर्मप्रांतों के लिए भी एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे।

उज्जैन डायसिस का स्वर्णिम इतिहास

उज्जैन में कैथोलिक चर्च की जड़ें गहरी हैं। इस क्षेत्र में चर्च की सेवा और उपस्थिति का एक लंबा इतिहास रहा है। २६ फरवरी, १९७७ को उज्जैन को एक पूर्ण डायसिस का दर्जा दिया गया था, जो इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। उस समय, आदरणीय फादर जॉन पेरुमट्टम को इसका पहला बिशप नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में डायसिस ने अपनी नींव मजबूत की और सेवा कार्यों का विस्तार किया।

8 सितंबर, 1998 को, आदरणीय फादर सेबास्टियन वडक्केल को उज्जैन के दूसरे बिशप के रूप में नियुक्त किया गया। तब से लेकर आज तक, उनके कुशल नेतृत्व में उज्जैन डायसिस ने सामाजिक सेवा, विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान दिया है। अपने लगभग पांच दशकों के अस्तित्व के दौरान, डायसिस ने कई स्कूल, अस्पताल और सामाजिक सेवा केंद्र स्थापित किए हैं, जो बिना किसी भेदभाव के सभी समुदायों के लोगों की सेवा कर रहे हैं।

प्रथम आर्चबिशप: डॉ. सेबास्टियन वडक्केल का परिचय

उज्जैन के प्रथम आर्चबिशप का पद संभालने वाले डॉ. सेबास्टियन वडक्केल एक विद्वान और समर्पित आध्यात्मिक नेता हैं। उनका जन्म 7 अक्टूबर, 1952 को केरल के एक धर्मपरायण परिवार में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने पुरोहित बनने के लिए सेमिनरी में प्रवेश किया। 19 अप्रैल, 1979 को उन्हें पुरोहिताभिषेक प्राप्त हुआ। ज्ञान के प्रति उनकी गहरी रुचि उन्हें रोम ले गई, जहाँ से उन्होंने ‘कैनन लॉ’ (चर्च के कानून) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

यह विशेषज्ञता उन्हें चर्च के प्रशासनिक और कानूनी मामलों का एक गहरा जानकार बनाती है। बिशप के रूप में उनका लंबा कार्यकाल और अब आर्चबिशप के रूप में उनकी नियुक्ति, उनकी क्षमताओं और ईश्वर तथा मानव सेवा के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।

कैथोलिक चर्च के जनसंपर्क अधिकारी, फादर जोस पुल्लाट ने बताया कि यह पदोन्नति पूरे मालवा क्षेत्र के लिए एक सम्मान की बात है और यह उज्जैन डायसिस द्वारा दशकों से किए जा रहे निस्वार्थ सेवा कार्यों को मिली एक पहचान है। यह नया अध्याय क्षेत्र में चर्च की आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियों को और अधिक बल प्रदान करेगा।

Next Post

बड़ोद: ट्रक से 253 किलो गांजा बरामद

Thu Sep 4 , 2025
बड़ोद (आगर), अग्निपथ। मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के विशेष अभियान के तहत, बड़ोद थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में अवैध गांजा जब्त किया है। पुलिस ने एक ट्रक से 253 किलो गांजा बरामद किया है और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। बड़ोद थाना पुलिस […]
बड़ोद: ट्रक से 253 किलो गांजा बरामद

Breaking News