आचार्य विश्वरत्नसागर जी के आह्वान पर भूमिपूजन में एक घंटे में मिली 5.75 करोड़
उज्जैन, अग्निपथ. उज्जैन के खाराकुआ स्थित सकल जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्रीसंघ, श्री ऋषभदेव छगनीरामजी की पेढ़ी में रविवार को एक ऐतिहासिक घटना घटी। आचार्य विश्वरत्नसागर जी मसा के कर कमलों द्वारा पाँच मंजिला आयंबिल भवन का भूमिपूजन किया गया। इस दौरान आयोजित बोली प्रक्रिया ने सभी को चकित कर दिया, जब केवल एक घंटे के भीतर ही 5.75 करोड़ की बोलियाँ प्राप्त हुईं। यह भवन लगभग 7.50 करोड़ की लागत से निर्मित होगा, जो जैन समुदाय के समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
इस भव्य अवसर पर अहमदाबाद, बेंगलुरु, मुंबई और संपूर्ण मालवा से बड़ी संख्या में संतों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिसने कार्यक्रम की शोभा बढ़ा दी।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए बहुप्रतीक्षित निर्माण
इस पाँच मंजिला तपाराधना भवन की भूमि शुद्धि गुरुवार, 26 जून को सुबह 8 बजे की गई थी, और रविवार, 29 जून को प्रातः 9 बजे आचार्य देव विश्वरत्न सागरजी महाराज के हाथों भूमिपूजन संपन्न हुआ। इस भवन के निर्माण के लिए आयोजित बोली में मुंबई के साधकों ने सबसे अधिक बोली लगाई।
ज्ञात हो कि सिद्धचक्र पट की स्थापना और प्रतिवर्ष होने वाली दोनों शाश्वत ओलीजी आयंबिल तपाराधना यहाँ लगातार 82 वर्षों से हो रही है। वर्तमान में यहाँ यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला, आयंबिल भवन, भोजनशाला, उपाश्रय भवन आदि की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण महोत्सवों और विशेष आयोजनों पर श्रद्धालुओं को असुविधा होती थी। लंबे समय से इन सुविधाओं की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो अब पूरी होने जा रही है।
आचार्य देव विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराजा ने श्रीसंघ के सहयोग से धर्मशाला, आयंबिल भवन, भोजनशाला और उपाश्रय भवन को पूर्ण करवाने का संकल्प लिया है। इन नवीन निर्माणों के द्वारा इस तीर्थ को एक सुव्यवस्थित एवं विकसित महातीर्थ बनाकर पूरे देश में इसका नाम रोशन किया जा सकेगा।
श्री ऋषभदेव छगनीरामजी की पेढ़ी: एक प्रसिद्ध तीर्थ
खाराकुआ स्थित श्री सिद्धचक्राराधन केसरीयानाथ तीर्थ की महिमा जग प्रसिद्ध है। श्रीपाल मयणा सुंदरी द्वारा की गई आयंबिल तपाराधना के पुण्य प्रभाव के कारण न केवल पूरे देश से, बल्कि विश्वभर से यात्री यहाँ आकर आयंबिल तपाराधना के साथ धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्रियाओं द्वारा शांति और मोक्ष मार्ग प्राप्त करने के लिए तत्पर रहते हैं। 16 अप्रैल 1985 (वि.सं. 1992) में उज्जैन में ऋषभदेव छगनीरामजी की पेढ़ी की स्थापना हुई थी। गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री चंद्रसागर सूरीश्वरजी महाराजा ने पेढ़ी स्थित मंदिरों का जीर्णोद्धार भी करवाया था।