उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ के लिए स्थायी कुंभ नगरी बनाने के सरकारी प्रस्ताव का किसानों ने जोरदार विरोध किया है। अपनी मांग को लेकर रविवार को किसानों ने चक्रतीर्थ शमशान घाट पर पानी में खड़े होकर प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने आगर रोड पर चक्काजाम भी किया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। पुलिस के समझाने के बाद किसानों ने प्रदर्शन समाप्त किया।
क्यों हो रहा है विरोध?
किसानों का कहना है कि वे सिंहस्थ के लिए अस्थायी तौर पर जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन स्थायी रूप से अधिग्रहण नहीं चाहते। उनका तर्क है कि अधिकतर किसानों के पास छोटी जोत हैं और नए भूमि अधिग्रहण कानून से वे बर्बाद हो जाएंगे। किसान पुरानी योजना के तहत ही भूमि अधिग्रहण की मांग कर रहे थे।
प्रमुख आपत्तियाँ:
- किसानों का भविष्य: छोटे किसानों के लिए उनकी 50% से अधिक भूमि का अधिग्रहण होने पर उनके पास कुछ नहीं बचेगा।
- अस्थायी बनाम स्थायी निर्माण: किसान सवाल उठा रहे हैं कि अगर सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण किया जाएगा तो साधु-संत कहाँ रहेंगे।
- अध्यात्म से कंक्रीट तक: किसानों का कहना है कि उज्जैन को आध्यात्मिक नगरी के बजाय कंक्रीट की नगरी बनाया जा रहा है।
- पारदर्शिता की कमी: किसानों को लैंड पूलिंग स्कीम और वास्तविक योजना के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है।
पुलिस की सख्ती और प्रदर्शन की रणनीति
किसानों ने पहले रामघाट पर जल सत्याग्रह की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने सभी घाटों पर बैरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया। इसके बाद किसानों ने अपनी रणनीति बदली और दो समूहों में बंट गए। एक समूह पुलिस को चकमा देकर चक्रतीर्थ शमशान घाट पहुँचा और पानी में उतरकर प्रदर्शन किया। वहीं, दूसरे समूह ने अनाज मंडी के सामने चक्काजाम कर दिया, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस ने उनके बुजुर्ग किसानों को आधी रात को हिरासत में लिया, जिसके कारण वे विरोध कर रहे थे। पुलिस के आश्वासन के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया।
इस विरोध प्रदर्शन से साफ है कि किसान अपनी आजीविका और भविष्य को लेकर चिंतित हैं। प्रशासन को इस मुद्दे पर किसानों के साथ बातचीत करके कोई उचित समाधान निकालना होगा।
