उज्जैन, अग्निपथ। जिले के घट्टिया विकासखंड क्षेत्र से एक ऐसी खबर आई है जो विकास और परेशानी के बीच फंसी आम आदमी की लाचारी को उजागर करती है। उटेसरा गांव के निवासी मानसिंह राजोरिया नामक किसान ने प्रशासन से अपने खेत तक जाने के लिए हेलिकॉप्टर की मांग की है।
लेकिन इसके पीछे की वजह उतनी ही दर्दनाक है। साल 2023 में उज्जैन-गरोठ हाईवे के निर्माण ने मानसिंह की पांच बीघा जमीन को दो हिस्सों में बांट दिया, जिससे उनके खेत में जाने वाले तमाम रास्ते पूरी तरह बंद हो गए। हाईवे की ऊंचाई खेत से दो मीटर ज्यादा होने और प्रशासन द्वारा अंडरपास या रास्ता न दिए जाने से मानसिंह अब अपने ही खेत में कदम नहीं रख पा रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि न तो वहां ट्रैक्टर ले जाया जा सकता है और न ही बैलगाड़ी। किसानों ने भी अपनी जमीन से रास्ता देने से मना कर दिया है ।
‘चप्पलें घिस गईं, अब जहर ही विकल्प है’
तीन सालों से अपनी समस्या को लेकर दफ्तर-दफ्तर भटक रहे हैं। तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक और सीएम हेल्पलाइन तक गुहार लगाने के बावजूद जब कोई समाधान नहीं निकला । तो उन्होंने तंग आकर एसडीएम को हेलिकॉप्टर के लिए आवेदन सौंप दिया। उन्होंने अपने आवेदन में भावुक होते हुए लिखा है कि अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते उनकी चप्पलें घिस चुकी हैं। यदि सरकार उन्हें रास्ता नहीं दे सकती, तो उन्हें हेलिकॉप्टर मुहैया कराए ताकि वे अपने परिवार का पेट पाल सकें, अन्यथा उनके पास पूरे परिवार के साथ जहर खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
प्रशासन का कहना
इस चेतावनी भरी मांग के बाद प्रशासनिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है। घट्टिया एसडीएम राजाराम करजरे ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा है कि उन्हें किसान का आवेदन प्राप्त हुआ है और वे जल्द ही इस समस्या का उचित निराकरण निकालने का प्रयास करेंगे।
फिलहाल, यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है कि कैसे एक बड़े हाईवे प्रोजेक्ट ने एक छोटे किसान की आजीविका को अधर में लटका दिया है।
