अंगारेश्वर मंदिर भी तीन साल बाद हुआ जलमग्न
उज्जैन, अग्निपथ। दो दिन से उमस से परेशान लोगों को पहली बार इस सीजन मेें रातभर की बारिश देखने को मिली है। एक ही रात में 3 इंच बारिश हो गई। जिसके चलते इस सीजन में पहली बार शिप्रा भी बड़े पुल को छूने को बेकरार है। वहीं राणोजी की छत्री और अंगारेश्वर मंदिर भी बारिश के पानी में डूब गया है।
3 इंच बारिश के चलते शहर के निचले इलाकों में पानी भर गया और नाले-नालियां उफान पर आ गए। जानकारी लगने पर शहरवासी नजारा देखने के लिए बड़े पुल पर पहुंचने लगे थे।
इस बार इंदौर और उज्जैन में मानसून उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। हालांकि भादौ मास में मानसून ने राहत देते हुए बारिश की अमृत बूंदों को बरसाना शुरु कर दिया था लेकिन इस मास के अंतिम दिनों अगस्त और सितंबर की शुरुआत में बादल जमकर बरस रहे हैं। विगत बुधवार को दिनभर रुक-रुककर बारिश होती रही। देर रात 12 बजे से धुआंधार बारिश का दौर शुरू हुआ जो सुबह 6 बजे तक रुक-रुककर जारी रहा। इस दौरान 3 इंच बारिश दर्ज की गई।
रातभर बारिश का दौर चलने से शहर के निचले क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति पैदा हो गई थी। चामुंडा चौराहा, बेगमबाग, छत्री चौक, एटलस चौराहा, ढांचा भवन, निकास चौराहा, केडी गेट सहित अन्य बस्तियों में स्थिति खराब हो गई थी।
वेधशाला और भूअभिलेख शाखा के अलग आंकड़े
वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में स्ट्रांग सिस्टम बना है जो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। इसी के चलते तेज बारिश हुई। शासकीय जीवाजी वेधशाला से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान 86 मिमी यानी 3 इंच बारिश हुई। अब तक बारिश का कुल आंकड़ा 684 मिमी यानी करीब 28 इंच तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में बारिश का दौर जारी रहेगा। वहीं कार्यालय भूअभिलेख द्वारा उज्जैन तहसील में 147 मिमी याने कि पौने छह इंच बारिश के आंकड़े जारी किये गये हैं।
अंगारेश्वर मंदिर-राणोजी की छत्री भी जलमग्न

रातभर में हुई 3 इंच बारिश कारण प्रसिद्ध राणोजी की छत्री और अंगारेश्वर महादेव मंदिर भी जलमग्न हो गये थे। अंगारेश्वर मंदिर तीन साल बाद जलमग्न हुआ। इससे गुरुवार को मंदिर पर होने वाली भात पूजाएं नहीं हो सकीं। मंदिर के पुजारी पंडित मनीष उपाध्याय और रोहित उपाध्याय ने बताया पिछले साल मंदिर के फर्श तक पानी आया था, लेकिन शिवलिंग जलमग्न नहीं हो सके थे।
साल 2022 में शिप्रा में आई बाढ़ के कारण मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। तब मंदिर का केवल शिखर ही दिखाई दे रहा था। गुरुवार को भी कई श्रद्धालु पूजा कराने आए किंतु सुबह करीब 10 बजे मंदिर जलमग्न हो गया। सुबह से ही मंदिर में पानी आने का सिलसिला शुरू हो गया था। शिप्रा का जलस्तर बढऩे से कर्मकांड रुके शिप्रा का जलस्तर बढऩे के साथ ही रामघाट पर कर्मकांड में भी बाधा पड़ी।
हालांकि कुछ पंडे पुजारियों ने अपने सुरक्षित स्थानों पर यजमानों के कर्मकांड पूरे करवाये। इस दौरान कुछ सामान पानी में डूब भी गया जिसे पंडे-पुजारी सुरक्षित जगह ले गए।
गंभीर डेम के तीन गेट खुले
लगातार बारिश और आवक के चलते गंभीर डेम के तीन गेट खोले गए हैं। डेम प्रभारी प्रवीण कुमार वर्मा ने बताया कि दो गेट 3 मीटर और एक गेट को 2 मीटर तक खोला गया है। सबसे पहले रात 12 बजे गेट नंबर 3 को खोला गया। इसके बाद देर रात 2.30 बजे गेट नंबर 2 और सुबह 7 बजे गेट नंबर 4 खोला गया। एक रात में 3 इंच बारिश होने से फिलहाल गेट खोलकर डेम का जलस्तर मेंटेन किया जा रहा है।
3 इंच बारिश फिर भी औसत से 8 इंच दूर
इस बार अच्छी बारिश अगस्त के आखिरी हफ्ते में हुई थी, जबकि सितंबर की शुरुआत भी अच्छी ही रही है। औसत बारिश का कोटा 36 इंच का है। गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह तक हुई 3 इंच बारिश अब तक करीब 28 इंच बारिश हो चुकी है और कोटा पूरा करने के लिए अभी 8 इंच बारिश की और जरूरत है जबकि माह के 25 दिन शेष हैं। अभी जिस प्रकार से सिस्टम बना हुआ है, उम्मीद है कि सितंबर माह में औसत बारिश का आंकड़ा पा हो जाएगा।
रणजीत हनुमान-दाऊदखेड़ी क्षेत्र में रेस्क्यू

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शुक्रवार सुबह तक हुई 3 इंच बारिश से इधर निचले क्षेत्रों में चारों ओर जलजमाव होने से रणजीत हनुमान मंदिर क्षेत्र स्थित आश्रम से लोगों को एनडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू किया। कलेक्टर रोशनसिंह, एसपी प्रदीप शर्मा सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों की नजर इस समय रेस्क्यू करने के उपर लगी हुई है। चिन्तामन थाना क्षेत्र के अंतर्गत दाउदखेड़ी ग्राम में एक शासकीय विद्यालय और एक स्कूल बस जलभराव में फँस गए, जिसमें कुछ शिक्षक और छात्र फँस गए थे।
सूचना मिलते ही जिला सेनानी संतोष कुमार जाट के निर्देशन में प्रभारी प्लाटून कमांडर पुष्पेंद्र त्यागी के नेतृत्व में 07 सदस्यीय एसडीईआरएफ टीम तुरंत मौके पर पहुँची। ग्रामीणों ने कुछ छात्रों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से बाहर निकाल लिया था। एनडीआरएफ ने अंतत: शिक्षकों को भी वहां से रेस्क्यू कर लिया।
