एनक्यूएएस की टीम जिला अस्पताल का रिअसेसमेंट करने 8 फरवरी से दो दिवसीय दौरे पर आयेगी

पिछले सितंबर माह में अंक कम मिलने से अस्पताल क्वालिफाई नहीं कर पाया था

उज्जैन, अग्निपथ। पिछले वर्ष के सितंबर माह में (एनक्यूएएस) नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड के मानकों पर संभाग का सबसे बड़ा जिला अस्पताल खरा नहीं उतरा था। अस्पताल को अंक कम मिले थे। ऐसे में वह क्वालिफाई नहीं कर पाया। यानी चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में जिला अस्पताल पिछड़ गया था। लेकिन अब रिएसेसमेंट करने के लिये फिर से एनक्यूएएस की दो सदस्यीय टीम 8 एवं 9 फरवरी को जिला अस्पताल के मानकों को देखने के लिये आ रही है।

टीम में एनएचएम भोपाल के संदीप शर्मा और देवास की डॉ. स्नेहलता वर्मा जिला अस्पताल की क्वालिटी का निरीक्षण करने के लिये आ रही हैं। ज्ञात रहे कि जिला अस्पताल के करीब 9 विभागों में राष्ट्रीय स्तर की तीन सदस्यीय टीम ने सितंबर-2023 को स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता की पड़ताल की थी। इसमें उन्होंने इमरजेंसी कक्ष में मरीजों को दी जा रही चिकित्सा सेवाएं देखी तो नाराज हो गए।

संभागीय स्तर के अस्पताल की इमरजेंसी में ऐसे हाल थे कि यहां के स्टॉफ ने ड्रेस तक नहीं पहन रखी थी। यहां पर मरीज का इलाज कर रहे ड्रेसर ने ब्लड लगी कैंची ही समीप में रख दी थी, जिसको लेकर टीम ने नाराजगी जताते हुए संकेत दे दिए थे कि यह ठीक नहीं है और गुणवत्ता के स्तर की चिकित्सा सेवाएं नहीं है। इसके बाद जो परिणाम आए, उसमें जिला अस्पताल को गुणवत्ता के स्तर के अंक नहीं मिल पाए।

रिएसेसमेंट के लिये किया था अप्लाई

एनक्यूएएस की टीम निरीक्षण के दौरान विभाग वार अंक देती है, जिसे जोडक़र फाइनल अंक निकाला जाता है। इसके आधार पर रैंकिंग तय की जाती है। जिला अस्पताल को 100 में से 68 अंक ही मिले थे। ऐसे में एनक्यूएएस की सूची में उज्जैन को स्थान नहीं मिल पाया था। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा ने एक बार फिर से एनक्यूएएस की टीम द्वारा रिएसेसमेंट करने के लिये अप्लाई किया था।

आपसी समन्वय नहीं होने के कारण भी पिछड़ा

इसके चलते उज्जैन जिला अस्पताल को अंक कम मिले और वह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में पिछड़ गया। दूसरी बड़ी वजह यह भी सामने आई है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच में आपस में समन्वय नहीं होना व प्रॉपर एक-दूसरे से संपर्क नहीं रहना और सहयोग की कमी भी देखी गई। करोड़ों का बजट होने के बावजूद प्रशासन अस्पताल की आंतरिक व्यवस्थाओं को सुधारने में नाकाम रहा।

यही वजह है कि अस्पताल प्रशासन उच्च स्तर की सेवाएं प्रमाणित नहीं कर पाया। ऐसे में उज्जैन स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़ गया। उज्जैन को पछाड़ते हुए मंदसौर जिला अस्पताल ने चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में स्थान पा लिया था।

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