ऑटो टेस्टिंग ट्रैक से पकड़ी नीलगाय

धार जिले में पहली बार बोमा पद्धति से चलाया अभियान

धार, अग्निपथ। इन दिनों नीलगाय पकड़े का काम जिले में वन विभाग द्वारा नेट्रेक्स में किया जा रहा है क्योंकि पीथमपुर स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में आ रही दुनियाभर की कारों, कमर्शियल वाहनों की टेस्टिंग में नीलगाय सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। टेस्टिंग के दौरान ट्रैक व अन्य गाडिय़ों की गति 100-150 किमी होती है सामने अचानक नीलगायें आ जाने और कई बार टकरा जाने से वाहनों की टेस्टिंग ठीक से नहीं हो पा रही थी।

इस पर नैट्रेक्स ने भोपाल वन विभाग से अनुरोध किया जिसके बाद जिले में टेस्टिंग ट्रैक के चारों तरफ बड़ी संख्या में पनप रहीं नीलगायों को बाहर करने का काम किया जा रहा है।

41 नीलगायों को गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ दिया

1 जून तक चलने वाले अभियान में वन विभाग ने 7 दिन में 41 नीलगायों को पकड़ा और गांधी सागर अभयारण्य ले जाकर छोड़ दिया। वन विभाग के अनुविभागीय अधिकाराी एसके रनशोरे ने बताया कि यहां लगभग 70 से अधिक नीलगाय होने की जानकारी मिली थी। नेट्रेक्स परं नीलगायों के पहुंचने से हादसों की आशंका रहती थी। इन्हें पकडऩे और अन्य स्थानों पर छोडऩे के लिए वन विभाग मांडू के रेंजर कमलेश मिश्रा और धानमोद रेंजर विवेकसिंह पटेल सहित 15 से अधिक कर्मचारी नीलगाय पकड़ रहे है। 20 अधिक इंदौर के सदस्य भी शामिल हैं।

सोलंकी के अनुसार 1 जून तक नीलगायों को पकडक़र अभयारण्यों में छोडऩे का क्रम जारी रहेगा। जिले में बोमा पद्धति का इस्तेमाल पहली बार ह्यो रहा जब पशुओं को एक साथ पकडऩा हो। इसमें फनल या वी-आकार की बाड़ का उपयोग कर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है।

1000 एकड़ में नेट्रेक्स फैला है

भारी वाहनों की टेस्टिंग के लिए उद्योग मंत्रालय द्वारा नेट्रेक्स बनाया गया है। यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हाई स्पीड ऑटो टेस्टिंग ट्रैक है। ट्रैक की लंबाई 11.3 किमी और चार लेन हैं। ट्रैक को लगभग 1000 एकड़ क्षेत्र में 1321 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है। इस ट्रैक पर 350 किमी प्रतिघंटे की गति से वाहनों की टेस्टिंग की जा सकती है। नेट्रेक्स के आसपास घना जंगल है और अंदर दो बड़े तालाब हैं। नीलगायों को पसंद की वनस्पति यहां आसानी से मिल जाती है, इसलिए यह उनका पसंदीदा स्थान बन गया है।

हर रोज मॉनिटरिंग अब 29 से फिर शुरू होगा

एसडीओ एसके रनशोरे ने बताया कि नीलगाय पकडऩे के लिए कर्मचारियों को विशेष परीक्षण भी दिया गया है जिसमें उनको किस तरीके से नीलगाय को रेस्क्यू करना है वहीं सुरक्षा के साथ खुद कर्मचारियों सुरक्षा कैसे करना वही वनरक्षक के साथ टीम कर्मचारियों सुरक्षा उपकरण के साथ कार्य स्थल पर काम करते थे सुबह 6 बजे टीम मौके पर पहुँचकर काम करती जो 12 बजे तक किया जाता था वहीं 4 बजे से शाम होता था। वही नीलगाय को पकडऩे के दौरान बोमा क्षतिग्रस्त हो गया है जिसके कारण अब आगे का कार्य 29 तारीख से शुरू किया जाएगा।

किसानों को भी होगा फायदा

पीथमपुर नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में नीलगाय पकंडने के बाद पीथमपुर के आसपास के किसानों को भी थोड़ी राहत मिलेगी क्योंकि नीलगाय अलग-अलग झुंड में फसलो को नुकसान पहुँचाती है जिसके कारण किसान परेशान होते है यह दिनभर में 20 से 25 किलो मीटर का इलाका घूमती है जिसे किसानों के खेतों में नहोता है जिससे हजारों हेक्टेयर फसल का नुकसान होने से बचेगी।

वही धार जिले के साथ में ही मंदसौर नीमच अन्य कई जिलों में नीलगाईयों का आतंक बढ़ता जा रहा है। वही नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में लगभग 70 से अधिक नीलगाय है जो प्रजनन करने के बाद सख्या भी बढ़ती है मगर अब इनके पकडने से आसपास के किसानों को भी थोड़ा फायदा होगा।

नीलगाय पकडने का कार्य चल रहा है इसके लिए टीम बनाई गई है जिसमे मांडू धानमोद के साथ चार से पांच जिले की टीम के साथ पकडऩे का काम चल रहा है अभी 41 नीलगाय पकड़ ली गई है और गांधी सागर अभ्यारण्य में छोड़ दी गई वही 1 जून नीलगाय पकंडने का कार्य किया जाएगा।

अशोक कुमार सोलंकी डीएफओ धार।

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