श्रावण माह में महाकाल मंदिर के नियम में बड़ा बदलाव: जाने कब शुरू होगी भस्म आरती

सावन भस्म आरती

दर्शनार्थियों को मिलेगी विशेष सुविधा

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण माह के दौरान दर्शन और भस्म आरती के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। 11 जुलाई से शुरू हो रहे श्रावण माह में भगवान महाकाल अपने भक्तों के लिए जल्दी जागेंगे। विशेष रूप से, श्रावण माह के चारों सोमवार को भस्म आरती का समय बदल जाएगा, जिससे भक्तों को अधिक सुविधा मिलेगी और भीड़ प्रबंधन में भी सहायता मिलेगी।

श्रावण माह में भस्म आरती का नया समय

सामान्य दिनों में, श्री महाकाल मंदिर में भस्म आरती सुबह 3:00 बजे होती है। लेकिन, श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को, भगवान महाकाल के पट तड़के 2:30 बजे ही खुल जाएंगे और भस्म आरती शुरू हो जाएगी। यह बदलाव भक्तों को विशेष रूप से लाभान्वित करेगा, क्योंकि श्रावण माह में भक्तों की भारी संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

श्रावण माह के चारों सोमवार को भस्म आरती का परिवर्तित समय:

  • प्रथम सोमवार: 14 जुलाई
  • द्वितीय सोमवार: 21 जुलाई
  • तृतीय सोमवार: 28 जुलाई
  • चतुर्थ सोमवार: 4 अगस्त

इन तिथियों पर भस्म आरती आधा घंटा पहले शुरू होगी, जबकि अन्य दिनों में यह अपने निर्धारित समय सुबह 3:00 बजे ही होगी।

भक्तों के लिए विशेष व्यवस्थाएं और सुविधाएं

श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि श्रावण माह में भस्म आरती के समय में परिवर्तन के साथ-साथ दर्शनार्थियों के लिए कुछ विशेष व्यवस्थाएं भी की गई हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि प्रतिदिन केवल 1500 से 1700 भक्तों को ही भस्म आरती दर्शन की अनुमति मिल पाती है। इस सीमित संख्या के कारण कई भक्त दर्शन से वंचित रह जाते हैं।

इसी समस्या के समाधान के लिए, श्रावण माह में भस्म आरती के लिए बिना अनुमति वाले श्रद्धालुओं के लिए कार्तिकेय मंडपम को खाली रखा जाएगा। इसका अर्थ यह है कि जिन भक्तों के पास भस्म आरती के लिए पूर्व अनुमति नहीं है, वे कार्तिकेय मंडपम से चलित दर्शन कर सकेंगे। यह व्यवस्था उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत होगी जो श्रावण में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आते हैं और जिन्हें भस्म आरती की अनुमति नहीं मिल पाती है। इससे मंदिर परिसर में भीड़ का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा और अधिक से अधिक भक्त बाबा महाकाल के दर्शन का लाभ उठा सकेंगे।

श्रावण माह का महत्व और महाकाल मंदिर की भूमिका

श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, और ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे पृथ्वी का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग माना जाता है। श्रावण माह में यहां आने वाले भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, जिससे मंदिर प्रशासन के लिए व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

भस्म आरती, जिसे भगवान शिव के शृंगार का एक अभिन्न अंग माना जाता है, महाकाल मंदिर की एक अनूठी परंपरा है। यह आरती सुबह भस्म से की जाती है, और इसके दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तों को पहले से ही ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से अनुमति लेनी होती है, क्योंकि सीमित स्थान के कारण सभी को अनुमति नहीं मिल पाती।

प्रशासन की चुनौती और भक्तों की उम्मीदें

प्रशासक प्रथम कौशिक के अनुसार, इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य श्रावण माह के दौरान भक्तों को सुगम और सुरक्षित दर्शन उपलब्ध कराना है। भीड़ को नियंत्रित करना और सभी भक्तों को भगवान के करीब लाने के लिए यह आवश्यक है कि व्यवस्थित तरीके से दर्शन कराए जाएं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए नियम कितने प्रभावी साबित होते हैं और भक्तों को कितनी राहत मिलती है। निश्चित रूप से, इन परिवर्तनों से उज्जैन में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और महाकाल दर्शन का अनुभव और अधिक यादगार बनेगा।

Next Post

कृष्ण जन्मभूमि मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईदगाह को 'विवादित ढांचा' कहने की याचिका खारिज की

Fri Jul 4 , 2025
इलाहाबाद। कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में एक अहम मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मथुरा की ईदगाह मस्जिद को अदालत के रिकॉर्ड में ‘विवादित ढांचा’ के रूप में दर्ज करने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश पंकज नाकी की अध्यक्षता वाली […]

Breaking News