पटवारी-पुलिस पर मिलीभगत का इल्जाम
नलखेड़ा, अग्निपथ। तहसील क्षेत्र के बोरखेड़ी गांव में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां किसानों ने पटवारी और पुलिसकर्मियों पर कुछ प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर उनकी खड़ी गेहूं की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट करने का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित किसानों ने इस संबंध में कलेक्टर प्रीति यादव और पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार सिंह को एक लिखित शिकायत आवेदन दिया है, जिसमें दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
ग्राम बोरखेड़ी सलोकी के किसान जितेंद्रसिंह और गजराजसिंह राजपूत ने शिकायत में बताया है कि उनकी कृषि भूमि सर्वे क्रमांक 29, 31, 32, 33, 36, 81 पर, जिसका रकबा $6.40$ हेक्टेयर है, उनका वर्षों से कब्जा चला आ रहा है। उन्होंने इस बार दो बांटेदारों, राजेश हरिजन और दयाराम बागरी के माध्यम से गेहूं की फसल बोई थी और उसमें सिंचाई का काम चल रहा था।
किसानों के मुताबिक, बीते सोमवार, 15 दिसंबर को अचानक राजेंद्र खंडेलवाल, हेमराज पाटीदार, मनोज अग्रवाल और दीपक कटारिया समेत लगभग 25 से 30 अज्ञात व्यक्ति हथियारों (बंदूक और लट्ठ) के साथ उनकी जमीन पर कब्जा करने की नीयत से आए। चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों के साथ हल्का पटवारी देवेंद्र राठौर और कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। किसानों ने आरोप लगाया है कि इन लोगों ने खेत पर काम कर रहे बांटेदारों और महिलाओं के साथ न सिर्फ बदसलूकी और मारपीट की, बल्कि उनकी बोई हुई पूरी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।
किसानों का स्पष्ट आरोप है कि पटवारी देवेंद्र राठौर और पुलिसकर्मी बिना किसी आधिकारिक आदेश या नोटिस के मौके पर पहुंचे और फसल नष्ट करने में मदद की। किसान गजराजसिंह ने यह भी बताया कि संबंधित कृषि भूमि का मामला सिविल न्यायालय नलखेड़ा में अभी भी विचाराधीन है। इसके बावजूद, पटवारी और पुलिस विपक्षी लोगों को जमीन पर कब्जा दिलाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिस समय उनकी फसल नष्ट की जा रही थी, उन्हें पुलिस ने थाने पर बिठा रखा था, जबकि विपक्षी लोगों को खेत पर भेज दिया गया।
इस मामले पर जब तहसीलदार प्रियंक श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने साफ किया कि उनकी ओर से सोमवार को कोई सीमांकन का आदेश जारी नहीं किया गया था, और पटवारी स्वयं अपनी मर्जी से वहां गया होगा। वहीं, पटवारी देवेंद्र राठौर ने पहले तो विवादित भूमि पर जाने से इनकार किया, लेकिन जब वीडियो में उनकी मौजूदगी की बात कही गई तो वह वीडियो दिखाने की मांग करने लगे। न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के बावजूद पटवारी के जरीब लेकर मौके पर पहुंचने का यह कृत्य प्रशासन पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले और पटवारी पर क्या कार्रवाई करता है।
