खरमोर अभयारण्य से 14 गाँव मुक्त, हजारों किसानों को 42 साल बाद मिला मालिकाना हक़

 

धार, अग्निपथ। धार और झाबुआ जिले के हजारों किसानों को चार दशकों से अधिक समय तक अपनी ही खेतों की ज़मीन पर अधिकार के लिए चल रहे संघर्ष के बाद आख़िरकार बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार ने सरदारपुर क्षेत्र के आसपास स्थित खरमोर पक्षी अभयारण्य से 216.28 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि को डीनोटिफाई कर दिया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय सरदारपुर के 14 गाँवों के लगभग 34 हज़ार हेक्टेयर खेती वाली ज़मीन के किसानों को सीधा लाभ देगा, जिन्हें अब अपनी ज़मीन का पूर्ण स्वामित्व मिलेगा।

जिले के खरमोर अभयारण्य के दायरे में आने वाले सरदारपुर के 14 गाँव क़रीब 42 साल बाद वन अधिनियम से मुक्त हो गए हैं। इन गाँवों में अब किसानों को अभयारण्य दायरे वाली अपनी ज़मीन बेचने और खरीदने का मालिकाना हक़ भी मिल चुका है, जिससे उनमें खुशी की लहर है। लंबे समय से यहाँ अभयारण्य था, लेकिन पिछले कई सालों से खरमोर पक्षी यहाँ प्रवास नहीं कर रहे हैं।

इस निर्णय से अभयारण्य के किसानों के साथ ही अब इंदौर-दाहोद रेल परियोजना के कार्य को भी गति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि सरदारपुर में वन विभाग ने दुर्लभ खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिए अभयारण्य तैयार किया था। इसके लिए 348 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अधिसूचित किया गया था। अब वन विभाग के पास 582 हेक्टेयर ज़मीन बची है, जिसमें वह खरमोर के संरक्षण की तैयारी कर रहा है।

लंबे समय से नहीं दिखा खरमोर

पिछले क़रीब एक दशक से खरमोर पक्षी इस क्षेत्र में नहीं देखा गया है। इसके चलते ग्रामीणों द्वारा अधिसूचित ज़मीन से प्रतिबंध हटाने की मांग उठाई जा रही थी। इस मामले में 3 जुलाई को राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर डीनोटिफाइड दायरे को सीमित कर दिया है। इससे 216 वर्ग किलोमीटर ज़मीन प्रतिबंध से मुक्त हो चुकी है। ऐसे में अब प्रतिबंधित क्षेत्र का दायरा 132 वर्ग किलोमीटर रह गया है।

इस प्रतिबंध के हटने का असर यह हुआ कि सरदारपुर क्षेत्र के 14 गाँवों के हज़ारों किसानों को उनकी ज़मीनों का मालिकाना हक़ मिल गया है। अब तक ये किसान ज़मीन के असली मालिक होने के बावजूद इसका इस्तेमाल अपनी मर्ज़ी से नहीं कर पा रहे थे। अब आदेश आने के बाद किसानों में खुशी है और वे अपनी ज़मीन का सही से उपयोग कर रहे हैं।

रेलवे की ज़मीन भी अब प्रतिबंध से बाहर

खरमोर अभयारण्य क्षेत्र से प्रतिबंध हटने के बाद एक तरफ़ जहाँ किसानों में खुशियों की लहर है, तो वहीं दूसरी तरफ़ रेलवे के निर्माण कार्यों में आ रही अड़चनें भी दूर होती दिख रही हैं। गौरतलब है कि सरदारपुर क्षेत्र से रेलवे लाइन निकलना प्रस्तावित है। इंदौर-दाहोद रेलवे परियोजना के तहत दूसरे फेज़ में रेलवे ने धार से सरदारपुर वाया पेटलावद के बीच रेलवे पटरी डालना प्रस्तावित किया था। इस काम के लिए रेलवे को वन विभाग से अनुमति नहीं मिल पा रही थी। अभयारण्य का दायरा सीमित होने से रेलवे को भी बड़ी राहत मिली है और अब कार्य में तेज़ी आएगी।

इन गाँवों के किसानों में छाई खुशियाँ

खरमोर अभयारण्य का दायरा कम होने के बाद सरदारपुर क्षेत्र के गुमानपुरा, बिमरोड़, छड़ावद, धुलेट, पिपरनी, सेमल्या, केरिया, करनावद, सियावद, अमोदिया, सोनगढ़, महापुरा, टिमायची, भानगढ़ के ग्रामीणों-किसानों में खुशियाँ छाई हुई हैं। ग्रामीण अब अपनी निजी भूमि की खरीदी-बिक्री कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में अधिसूचित क्षेत्र 348.12 वर्ग किलोमीटर में से 215.2872 वर्ग किलोमीटर भूमि आरक्षित क्षेत्र से बाहर हो चुकी है। शासन के नए निर्णय के बाद गाँवों में लोगों ने सालों बाद राहत की सांस ली है। मिली जानकारी के अनुसार, कई किसान अपने खेतों और ज़मीनों के विक्रय को लेकर लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे। वहीं कई लोगों ने भूमि के सौदों को लेकर कई तरह की योजनाएँ बना रखी थीं। अब प्रतिबंध हटने के बाद ज़मीन से जुड़े अधिकार वापस अपने हाथों में आने से किसानों में खुशियाँ छाई हैं। अधिसूचना मिलने के बाद किसानों में अपनी ज़मीन की ख़रीदी-बिक्री में तेज़ी देखने को मिलेगी और ज़मीन के भाव भी बढ़ेंगे।

“खरमोर हैं या नहीं” – क्या कहते हैं ग्रामीण

धुलेट गाँव के अन्य ग्रामीण कहते हैं कि उन्होंने कभी खरमोर नहीं देखा, लेकिन उनकी ज़मीन उसके लिए प्रतिबंधित थी। बीते कई वर्षों के दौरान वन विभाग को भी इस इलाके में कभी खरमोर नहीं दिखाई दिया है। गाँव के लोग इसके लिए कई बार मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव तक से मिले, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। लंबे समय के बाद हमें अपना अधिकार मिला है। वही अन्य गाँव के लोग कहते हैं कि अब हम हमारी ज़मीन का सही उपयोग कर सकते हैं।

अभयारण्य की ज़मीन जो सरदारपुर तहसील के गाँवों में लगी हुई थी, उसके प्रतिबंधों को हटा दिया गया है। इसके बाद ग्रामीणों को ज़मीन से जुड़े अधिकार मिल गए हैं। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन गाँवों की ज़मीन अभयारण्य से अलग हो गई है। -आशा परमार, एसडीएम सरदारपुर

Next Post

उज्जैन में मूसलाधार बारिश से नगर निगम कांजी हाउस की दीवार ढह गई

Tue Jul 29 , 2025
कार-स्कूटी क्षतिग्रस्त   उज्जैन, अग्निपथ। शहर में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण मंगलवार दोपहर करीब 3:30 बजे लालबाई-फूलबाई चौराहे के पास नगर निगम के कांजी हाउस की दीवार ढह गई। इस घटना में वहाँ खड़ी एक कार और एक स्कूटी चपेट में आ गईं, जिससे […]
बारिश से नगर निगम कांजी हाउस की दीवार ढह गई

Breaking News